असगर मेहदी
जैसे-जैसे किसी सभ्यता का विकास होता तो उसे एक ऐसे कैलंडर की आवश्यकता होती है जो शुरुआती दौर के सामाजिक और सांस्कृतिक तक़ाज़ों के साथ सत्ता के सियासी, धार्मिक और सियासी तक़ाज़ों को पूरा कर सके। ऐसा नहीं है कि रोमन कैलंडर के अतिरिक्त अन्यत्र कैलंडर का प्रचलन में नहीं था।
मिस्र और ईरान में अपने सोलर कैलंडर प्रचलित थे। ईरान में कैलेंडर की परंपराओं का सबसे पहला प्रमाण दूसरी सहस्राब्दी ई० पू० में मिलता है जो ईरानी पैगंबर जोरोस्टर की उपस्थिति से भी पहले का है।
हम देखते हैं कि पहला पूरी तरह से संरक्षित कैलेंडर हख़ामिनिशीह सल्तनत (Achaemenid Empire) का है, जो 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व का एक शाही राजवंश था, जिसने पारसी धर्म को जन्म दिया था।
पूरे रिकॉर्ड किए गए इतिहास के अध्ययन से स्पष्ट है कि ईरानी संस्कृति और सभ्यता कैलेंडर रखने के विचार और महत्व के लिए उत्सुक रही है। वे सौर कैलेंडर (solar calendar) का उपयोग करने वाली पहली सभ्यताओं में से थे और सूरज को चाँद पर तरजीह देते थे।
ईरानी संस्कृति में सूर्य हमेशा एक धार्मिक और दैवीय प्रतीक रहा है और साइरस द ग्रेट के बारे में लोककथाओं का मूल है
ग्रीक प्रभुत्व और उसके बाद उसके राजनीतिक पतन के साथ अनेक सभ्यताओं के कैलेंडर में ख़ामियाँ हो पैदा गयीं जो रोमन साम्राज्य के ज़माने में काफ़ी जटिल होती चली गयीं।
रोमन साम्राज्य में वैज्ञानिक और दार्शनिक समझ का अभाव पैदा होने लगा था जिसने आगे चलकर dark ages ka रूप धारण कर लिया था। अब सबसे बड़ी समस्या इज़ाफ़ी (intercalary) महीनों को लेकर थी। वर्तमान में फ़रवरी को इस श्रेणी में रखा जाता है।
महीनों के दिनों की संख्या इस प्रकार निर्धरीयत थी कि रोमन अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार प्रत्येक वर्ष किसी भी महीने में 23-24 दिन जोड़े देते थे और इसका निर्धारण पूरी तरह सियासी होता था जिसकी वजह से जनता को अनेक परेशनियों का सामना करना पड़ता था।
इस समस्या के निवारण और सुधारों की दिशा में सीज़र ने संजीदगी से सोचना शुरू किया। उसके सुधारों का उद्देश्य एक ऐसे कैलंडर की रचना करना था जो बिना इंसानी मदाख़लत (intervention) के सूरज की गर्दिश के अनुसार काम करे।
लेकिन अचानक मिस्र से युद्ध को स्थिति उत्पन्न हो गयी और जब 46 ई० पू० में मिस्र से युद्ध के बाद रोम लौटा तो उसने एक कैलेंडर में सुधार के लिये एक मीटिंग तलब की।
प्लूटार्क के अनुसार, कैलेंडर की समस्या को हल करने के लिए सीज़र ने अपने समय के सर्वश्रेष्ठ दार्शनिकों और गणितज्ञों को बुलाया। प्लिनी का कहना है कि सीज़र को उनके सुधार में अलेक्जेंड्रिया के खगोलशास्त्री सोसिजेन्स का योगदान महत्वपूर्ण है जिसे इस प्रोजेक्ट का प्रमुख डिजाइनर माना जाता है
। सबसे महत्वपूर्ण काम यह हुआ कि इज़ाफ़ी महीनों की संख्या को कम करके केवल फ़रवरी को यह रुतबा दिया गया। आखिरकार, एक कैलेंडर स्थापित करने का निर्णय लिया गया जो पुराने रोमन महीनों, मिस्र के कैलेंडर की निश्चित लंबाई और ग्रीक खगोल विज्ञान के 365 1⁄4 का संयोजन था।
इस तरह नया कैलंडर 1 जनवरी 45 BC से लागू माना गया। धीर-धीर रोमन कैलेंडर रोमान दुनिया से बाहर क़बूलियत पता गया। ईसाई जगत में रोमन कैलंडर के इस्तेमाल परमतभेद बने रहे।
एशिया और अफ़्रीका में सिकंदरिया कैलेंडर माना जाता रहा जबकि यूरोप में रोमन। धीरे-धीरे यूरोप के वर्चस्व में वृद्धि के साथ रोमन कैलेंडर का प्रचलन आम हो गया।
एक बात और, 1840 में तुर्की की सल्तनत ने भी “रूमी कैलेंडर” को अपना ही लिया। इस संक्षिप्त नोट में इतना उल्लेख काफ़ी है, और पोप ग्रेगोरी के सुधार का उल्लेख ज़रूरी महसूस नहीं हुआ।