आज जन्मदिन-चार साल तक फिल्में करने के बाद भी होटल में काम
करना पड़ा था प्राण को, उनके आते ही परदे पर पसर जाता था खौफ
मुंबई। बॉलीवुड इंडस्ट्री के खतरनाक विलेन कहे जाने वाले प्राण भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी अदाकारी के चर्चे आज भी होते है। उन्होंने 1940 से 1990 के दशक तक दर्शकों को अपनी दमदार एक्टिंग कायल बना दिया था। इसलिए अपने शीर्ष दौर में वो हीरो से ज्यादा फीस लिया करते थे।
पान की दुकान से किस्मत ने लिया था मोड़
प्राण ने आखिर फिल्मों में कदम कैसे रखा इसके पीछे भी मजेदार किस्सा है। बात 1939 की है, लाहौर में एक पान की दुकान में कुछ लड़के अक्सर रात को पान खाने आया करते थे। इन्हीं में से एक प्राण भी थे। उन दिनों वे एक फोटोग्राफर के असिस्टेंट हुआ करते थे। इसी दौरान एक रात उनकी किस्मत ऐसी पलटी कि वे पूरी इंडस्ट्री पर छा गए। 12 फरवरी, 1920 को जन्में प्राण का पूरा नाम प्राण कृष्ण सिंकद है। उन्होंने 12 जुलाई 2013 को दुनिया का अलविदा कहा था।
Also read:देव आनंद एवं अमर प्रेयसी सुरैया का प्रेम…जो अधूरा होकर भी मुकम्मल हो गया
एक रात प्राण पान की दुकान के पास बैठकर बड़े ही स्टाइल से सिगरेट पी रहे थे और पान खा रहे थे। उनकी नशीली आंखें और स्टाइल देखकर पास में खड़े एक आदमी ने उनका नाम पूछा तो उन्होंने ध्यान नहीं दिया। उस आदमी ने फिर पूछा, इस बार प्राण ने गुस्से में कहा, “आपको मेरे नाम से क्या करना है?”
Also read:दक्षिण से आई येसुदास की आवाज ने देश-दुनिया को अपना दीवाना बना दिया
फिर आदमी ने बताया, “मैं वली मोहम्मद हूं, मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर दलसुख एम पंचोली का राइटर। मैं एक फिल्म की कहानी लिख रहा हूं, जिसका नाम यमला जट है। उसका किरदार तुम्हारी तरह ही बात करता है, पान चबाता है, क्या तुम ये रोल करोगे?”
आखिर फिल्मों की तरफ लौटना पड़ा
हालांकि, प्राण ने उस आदमी की बातों पर ध्यान नहीं दिया और मना कर दिया। मोहम्मद वली ने उन्हें अगले दिन स्टूडियो आने के लिए कहा। सुबह हुई तो प्राण ने सोचा, रात को वो आदमी पान की दुकान पर लोगों के सामने अपना इम्प्रेशन जमाने की कोशिश कर रहा होगा, कौन जाए स्टूडियो।
Also read:‘छोटी बहन’ की छवि को तोड़ने नेगेटिव रोल भी किए,फिल्मों में सफल पारी खेली नंदा ने
और वे स्टूडियो नहीं गए. कई दिनों बाद जब प्राण एक दिन फिल्म देखने गए तो वहां फिर उनकी मुलाकात वली मोहम्मद से हुई। प्राण को देखते ही वो भड़क गए और डांटने लगे. इसके बाद प्राण ने कहा कि वे स्टूडियो आने के लिए तैयार है। प्राण की बात सुनकर वली ने कहा, “मुझे अपना पता दो, मैं साथ लेकर चलूंगा तुम्हें, क्योंकि मुझे तुम पर भरोसा नहीं है।”

अगले दिन प्राण स्टूडियो पहुंचे तो पंचोली साहब ने उन्हें साइन करना चाहा। प्राण ने कहा, “मेरे परिवार में किसी ने भी फिल्मों में काम नहीं किया है। मैं अपने घरवालों से इजाजत तो ले लूं।”
Also read:फिल्मों में मुख्य किरदार के साथ अहम हिस्सा हुआ करते थे मुकरी
प्राण की बात सुनकर पंचोली साहब भड़क गए और कहा कि अगर कॉन्ट्रेक्ट साइन करना है तो अभी करों नहीं तो जाओ। और इस तरह उन्होंने 50 रुपए महीने पर काम करना शुरू किया। फिर उन्होंने कॉन्ट्रेक्ट साइन किया।
विभाजन के बाद आ गए हिंदुस्तान

प्राण ने बंटवारे से पहले कुछ पंजाबी और हिंदी फिल्मों में बतौर लीड एक्टर काम किया। प्राण ने लाहौर में 1942 से 46 तक यानी 4 साल में 22 फिल्मों में काम किया। इसके बाद विभाजन हुआ और वो भारत आ गए और फिर यहां उन्हें फिल्मों में बतौर विलेन पहचान मिली।
Also read:फिल्मी संगीत में प्रयोगवादी परंपरा शुरू की थी सी. रामचंद्र ने
प्राण बंटवारे के बाद पत्नी और एक साल के बेटे अरविंद को लेकर अगस्त 1947 में मुंबई आ गए। मुंबई में उनके पास कोई काम नहीं होने की वजह से पैसों की तंगी होने लगी। इसके बाद उन्होंने 8 महीने तक मरीन ड्राइव के पास स्थित एक होटल में काम किया।
पहला ब्रेक मिला 1942 में
प्राण को हिंदी फिल्मों में पहला ब्रेक साल 1942 में फिल्म ‘खानदान’ से मिला था। इस फिल्म की नायिका नूरजहां थीं। 1960 से 70 के दशक में प्राण की फीस 5 से 10 लाख रुपए होती थी. केवल राजेश खन्ना और शशि कपूर को ही उनसे ज्यादा फीस मिलती थी। उन्होंने करीब 350 फिल्मों में काम किया।
Remembering the veteran film 🎦actor #Pran on his birth anniversary
🎬One of the most illustrious actors of Indian 🇮🇳 film industry
🎬Bestowed with Padma Bhushan (2001) Dada Saheb Phalke Award (2012)
Watch this video to know about his life journey@nfdcindia @ianuragthakur pic.twitter.com/hRCx0AVSM7
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) February 12, 2023
1950 से 1980 यानी 4 दशकों तक प्राण फिल्म इंडस्ट्री के खूंखार विलेन के तौर पर मशहूर रहे। एक बार प्राण दिल्ली में अपने दोस्त के घर चाय पीने गए. उस वक्त उनके दोस्त की छोटी बहन कॉलेज से वापस आई तो दोस्त ने उसे प्राण से मिलवाया।
Also read:शाही किरदारों पर फिल्म बनती तो पहली पसंद होते थे प्रदीप कुमार
इसके बाद जब प्राण होटल लौटे तो दोस्त ने उन्हें पलटकर फोन किया और कहा कि उसकी बहन कह रही थी कि ऐसे बदमाश और गुंडे आदमी को घर लेकर क्यों आते हो? बता दें कि प्राण अपने किरदार को इतनी खूबी से निभाते थे कि लोग उन्हें असल में भी बुरा ही समझते थे। प्राण कहते थे कि उन्हें हीरो बनकर पेड़ के पीछे हीरोइन के साथ झूमना अच्छा नहीं लगता।
‘उपकार’ ने बदली इमेज

एक इंटरव्यू में प्राण ने बताया था,फिल्म “उपकार“ से पहले सड़क पर मुझे लोग देख लेते तो ओ बदमाश, ओ लफंगे, अरे गुंडे कहकर फब्तियां कसते थे। जब मैं परदे पर दिखता था तो बच्चे मां के पल्लू में मुंह छुपा लेते थे। फिर मनोज कुमार ने ‘उपकार’ में मेरी इमेज बुरे आदमी से एक अच्छा आदमी की बना दी।”
प्राण की वजह से अमिताभ बच्चन बने एंग्री यंगमैन

अमिताभ बच्चन के करियर को संवारने वाली फिल्म ‘जंजीर’ पहले धर्मेंद्र, देव आनंद और राजकुमार को ऑफर हुई थी, लेकिन फिल्म के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर प्रकाश मेहरा इस फिल्म को इन तीनों में से किसी के साथ भी फ्लोर पर नहीं ला पाए।
Also read:असरानी ने कहा था,”कभी मेरा भी ऐसा ही पोस्टर लगेगा…” और बात सच हो गई
जब तीनों ने ‘जंजीर’ को ठुकरा दिया तो एक दिन प्राण ने प्रकाश मेहरा को अमिताभ बच्चन को फिल्म में लेने की सलाह दी। मेहरा के मुताबिक,“प्राण ने मुझसे कहा था कि अमिताभ को ‘बॉम्बे टू गोवा’ में देखने के बाद मुझे लगता है कि वह फ्यूचर स्टार है।”
प्राण की फैमिली
प्राण का जन्म दिल्ली बल्लीमारान के एक खानदानी रईस परिवार में हुआ था। प्राण के पिता लाला केवल कृष्ण सिकंद पेशे से सिविल इंजीनियर थे। वो ब्रिटिश सरकार के दौरान सरकारी निर्माण का ठेका लिया करते थे। Pran used to charge more than many heroes in his era, even after doing films for four years Pran had to work in a hotel, as soon as he came fear spread on the screen.
Also read:गंभीर शब्दावली में लिखे गीतों की मानवीयता के पक्ष में सुरीली अदायगी दी दत्ता ने
केवल कृष्ण सरकारी इमारतों, सड़कों और पुल निर्माण में महारत रखते थे। प्राण ने 1945 में शुक्ला अहलूवालिया से शादी की थी। उनके 3 बच्चे हैं। दो बेटे अरविंद और सुनील सिकंद और एक बेटी पिंकी है।
प्राण के कुछ मशहूर डायलॉग्स
A villain who was a loveable 💕 anti hero #Pran https://t.co/VE5DN4SW1S
— Vinod Sharma (@VinodSharmaView) February 11, 2023
फिल्म ‘जंजीर’– “इस इलाके में नए आए हो बरखुरदार, वर्ना यहां शेर खान को कौन नहीं जानता.”
फिल्म ‘जंजीर’– “शेर खान शेर का शिकार नहीं करता, वैसे भी हमारे मुल्क में या तो शेर बहुत कम रह गए हैं, हमने सुना है कि हुकूमत ने भी शेर मारने की ममानियत कर दी है।”
फिल्म ‘मजबूर’– “अगर तुमने मुझपर गोली चलाई तो तुमसे ज्यादा पागल और कोई नहीं होगा, इसलिए कि सिर्फ मैं जानता हूं कि तुम बेगुनाह हो।”
फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’-“पहचाना इस इकन्नी को? यह वही इकन्नी है जिसे बरसों पहले उछालकर तुमने मेरा मजाक उड़ाया था। रॉबर्ट सेठ तुम्हारे ही सोने से तुम्हारे ही आदमियों को खरीद कर आज मैं तुम्हारी जगह पहुंच गया हूं और तुम मेरे कदमों में।”
#Pran – the most multi-faceted character-actor of Hindi Cinema. On his 103rd birth anniversary today, a classic from #Upkar (1967) where he played the unforgettable 'Malang Chacha'
आसमान पर उड़ने वाले
मिट्टी में मिल जाएगा…#MannaDey #Indeewar #KalyanjiAnandji #ManojKumar pic.twitter.com/bmaDLtcKoS
— Raajaysh Chetwal (@raajaysh) February 12, 2023
फिल्म ‘उपकार’– “भारत तू दुनिया की छोड़ पहले अपनी सोच। राम ने हर युग में जन्म लिया है, लेकिन लक्ष्मण जैसा भाई दोबारा पैदा नहीं हुआ।”
फिल्म ‘कालिया’-“हमारी जेल से संगीन से संगीन कैदी जो बाहर गया है, उसने तुम्हारे उस दरबार में दुआ मांगी है तो यही दुआ मांगी है कि अगर दोबारा जेल जाए तो रघुबीर सिंह की जेल में ना जाए।”
फिल्म ‘शराबी’-“आज की दुनिया में अगर जिंदा रहना है तो दुनिया के बटन अपने हाथ में रखने पड़ते हैं।”
फिल्म ‘अराउंड द वर्ल्ड’-“टोक्यो में रहते हो पर टोकने की आदत नहीं गई।”