बीएसपी के निदेशक प्रभारी ने भूमि अभिलेख सूचना तथा प्रबंधन प्रणाली का किया शुभारंभ
भिलाई। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता Director-in-charge of SAIL-Bhilai Steel Plant Anirban Dasgupta ने भूमि अभिलेख सूचना तथा प्रबंधन प्रणाली (एलआरआईएमएस) Land Records Information and Management System (LRIMS) का गुरुवार 27 अक्टूबर 2022 को औपचारिक उद्घाटन कर प्रणाली का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) एम एम गद्रे व मुख्य महाप्रबंधक (नगर सेवाएं एवं सीएसआर) एस वी नंदनवार तथा नगर सेवा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण विशेष रूप से उपस्थित थे।
इस प्रणाली से माउस के सिंगल क्लिक पर बीएसपी की भूमि और मानचित्रों की तत्काल जानकारी हो सकेगी तथा नगर सेवा विभाग के विभिन्न कार्यों में सुविधा प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगी।
विदित हो कि भिलाई इस्पात संयंत्र जिसे, स्थापना काल में भिलाई स्टील प्रोजेक्ट के रूप में जाना जाता था के द्वारा स्थापना के समय, 1950 के दशक में भिलाई और उसके आसपास स्टील प्लांट और टाउनशिप की स्थापना के लिए काफी जमीन का अधिग्रहण किया गया था।
चूंकि ऐसी भूमि को भिलाई स्टील प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गयी थी अतः इस भूमि को राष्ट्रपति के दो अनुबंधों के माध्यम से भिलाई इस्पात संयंत्र को सौंप दिया गया।
सेल भिलाई इस्पात संयंत्र, एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम होने के नाते, इस फ्रीहोल्ड भूमि का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त हो गया।
इस प्रकार कुछ समय से सटीक अक्षांश-देशांतर निर्देशांक के माध्यम से किसी भी स्थान की पहचान करने के लिए नवीनतम उपकरण भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) Geographic Information System (GIS) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
जिसके माध्यम से सभी अधिग्रहित भूमि को मानचित्रों और अधिग्रहण रिकॉर्डों के साथ समेकित करने का प्रयास किया जा रहा था।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में देश भर में विभिन्न स्थानों पर सेल के स्वामित्व वाली भूमि के भूमि रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने के लिए सेल कॉर्पोरेट स्तर पर भी पहल की गई है।
इस दिशा में, बीएसपी के नगर सेवा विभाग ने 2019-20 में एक निविदा जारी की और कोलकाता स्थित एक जीआईएस एजेंसी को भिलाई टाउनशिप और परिधीय भूमि से संबंधित भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण का काम सौंपा।
पिछले डेढ़ वर्षों के दौरान, भिलाई टाउनशिप और परिधीय भूमि से संबंधित सभी मानचित्रों, अभिलेखों को स्कैन और भू-संदर्भित किया गया।
साथ ही सभी महत्वपूर्ण सतह के ऊपर की विशेषताएं जैसे घर, बाजार, सड़क, खेल के मैदान और पार्क आदि के रूप में चिन्हित किया गया।
साथ ही पाइपलाइन, सीवरेज सिस्टम, हाई टेंशन लाइन आदि जैसी भूमिगत सुविधाओं को एक डिजिटल मानचित्र में एकीकृत किया गया, जिस पर एनआरएससी-इसरो हैदराबाद से प्राप्त एक उपग्रह छवि को आरोपित किया गया।
इसके अलावा, साइट पर सटीक पहचान के लिए सभी सुविधाओं को जियो-टैग भी किया गया।