आयकर का नया नियम नकेल कसेगा सूदखोरों पर
रायपुर। आयकर विभाग (income tax department) ने नया नियम जारी किया है। इसके अनुसार निजी ऋण देने वाले साहूकारों, व्यापारियों और कारोबारियों को बताना होगा कि उनके पास राशि कहां से आई। अभी तक सिर्फ ऋण लेने वाले को ही बताना पड़ता था कि उन्होंने कहां से और कितना ऋण लिया।
इसके दस्तावेज के साथ वह रिटर्न दाखिल कर देते थे। उसे विभाग स्वीकार भी कर लेता था। जारी नए नियम के अनुसार ऐसा नहीं होगा। लोन लेने और देने वाले दोनों को आय के स्रोत बताने होंगे। नहीं तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी।
गलत एंट्री पर होगी विभागीय जांच और लगेगी पेनाल्टी
आयकर विभाग ने आयकर की धारा-68 में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। इसके अनुसार जिसने लोन लिया है और वो ये प्रमाण नहीं कर पाया कि उसने लोन देने के लिए पैसे कहां से लाए, तो ऐसे लोगों की रकम को नकद भुगतान माना जाएगा।
कर निर्धारण की धारा-115 बीबीई के अनुसार इन पैसों का निर्धारण किया जाएगा। यानी इसे भी आय मानकर उस पर 72.5 प्रतिशत टैक्स पेनाल्टी एवं सरचार्ज की वसूली की जाएगी। इसके लिए संबंधित को बाकायदा नोटिस भी जारी किया जाएगा।
आयकर रिटर्न भरते समय देनी होगी इसकी सही जानकारी
बैंकों से लोन लेने पर नहीं लागू होगा यह नियम, इसके लिए नियम अलग
बैंकों से घर, वाहन, जमीन या किसी अन्य चीज के लिए ऋण लेते हैं तो ऐसे लोगों पर यह नियम लागू नहीं होगा। क्योंकि बैंक के पास अपने आय के स्रोत हैं। साथ ही वह ऋण लेने वाले से गारंटी के रूप में कुछ न कुछ चीज अपने पास रखता है, ताकि उसे किसी तरह का नुकसान न हो। बैंक के आय के स्रोत भी स्पष्ट रहते हैं।
इसकी वजह से बैंक से मिलने वाले ऋण में इसे शामिल नहीं किया गया है। इसके लिए अलग नियम बनाए गए हैं। हालांकि ये नियम सामान्य है। सिर्फ जानकारी प्रस्तुत करनी होगी।
साहूकारों और उनसे लोन लेने वालों को होगी दिक्कतें
बैंकों में सभी प्रकार के दस्तावेज नहीं दे पाने वाले लोग आमतौर पर साहूकारों, संस्थाओं और बड़े कारोबारियों से ही ऋण लेते हैं। नए नियम से इन लोगों से ऋण लेने वाले कारोबारियों और मध्यम वर्गीय परिवारों को लोन लेने में दिक्कत होगी।
उन्हें इन संस्थाओं से जमीन, गाड़ी खरीदने और मकान बनाने के लिए लोन नहीं मिल पाएगा। बड़े कारोबारी अब हर किसी को लोन देने के स्थान पर केवल उन्हें ही ऋण देंगे, जिसे वह बता सकेंगे कि उन्होंने लोन देने के लिए रकम कहां से लाए हैं।
लोने देने वाले के दस्तावेज अपने साथ रखना होगा
सीए महावीर जैन ने कहा कि विभागीय कार्रवाई और जांच से बचने के लिए लोन लेने वाले, लोन देने वाले साहूकार या कारोबारी से उनका पैनकार्ड, उनके आयकर रिटर्न की एक फोटोकॉपी, अपना बैंक स्टेटमेंट और अन्य दस्तावेज जरूर रखें, ताकि तीन-चार साल बाद यदि कोई जांच होती है। आयकर अधिकारी जांच करते हैं तो आप परेशानी से बच सकते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जो व्यक्ति रिटर्न दाखिल नहीं कर रहा है।