आज जयंती-हिंदी सिनेमा में उम्र के आखिरी
पड़ाव तक सक्रिय रहे अभिनेता ओमप्रकाश
मुंबई। बॉलीवुड में ऐसे बहुत से दिग्गज अभिनेता हुए हैं, जो भले ही आज इस दुनिया में ना हों पर उनकी अदाकारी और इंडस्ट्री में उनके योगदान का मुकाबला अब भी कोई नहीं कर सकता है।
कुछ ऐसा ही अंदाज था चरित्र अभिनेता ओम प्रकाश का। उन्हें आज भले ही इंडस्ट्री ने भुला दिया हो, लेकिन एक दौर वो भी था जब हर दूसरी फिल्म में ओमप्रकाश नज़र आते थे। उन्होंने कई हिट फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी।
अभिनेता ओम प्रकाश का जन्म 19 दिसंबर 1919 को विभाजन से पहले लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनका पूरा नाम ओम प्रकाश छिब्बर था।
ओमप्रकाश के पिता एक अमीर किसान हुआ करते थे, जिनकी कई एकड़ जमीनें थीं और उनकी देखरेख वो खुद ही करते थे। लाहौर और जम्मू जैसे क्षेत्र में उस दौर में उनके कई बड़े बंगले भी थे। लेकिन ओम को दौलत का मोह कभी नहीं रहा, उनका मन हमेशा से अभिनय के लिए धड़कता था।
ओम प्रकाश शुरुआती दौर में रामलीला में भाग लिया करते थे। उन्होंने स्टेज पर सबसे पहला एक्ट रामलीला में ही किया था, जिसमें उनका किरदार ‘सीता का था। वर्ष 1937 में उन्होंने एक उद्घोषक के रूप में ऑल इंडिया रेडियो ज्वॉइन किया, जहां उन्हें मासिक 25 रुपए सैलरी मिलती थी। उनका ये रेडियो शो लाहौर और पंजाब में काफ़ी पॉपुलर हुआ था। ओम ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत साल 1942 में की थी।
इसके बाद वर्ष 1950 से 1980 तक उन्होंने सहायक अभिनेता के रूप में कई यादगार किरदार निभाए, जिसके लिए उन्हें कई अवॉर्ड्स भी मिले। उन्हें अपने कॅरियर की पहली फिल्म के लिए मात्र 80 रुपए तनख्वाह के रूप में मिले थे। वो उस दौर की एक साइलेंट फिल्म थी, जिसमें उन्होंने बहुत ही छोटा किरदार निभाया था।
शुरुआती दिनों में चरित्र अभिनेता ओम प्रकाश को उतनी लोकप्रियता नहीं मिल पाई थी। लेकिन वर्ष 1949 में उन्होंने एक फिल्म लखपति में विलेन का किरदार निभाया था,जो कि सिनेमा प्रेमियों के बीच काफ़ी पॉपुलर हुआ। इसके अलावा ओम प्रकाश को क्लासिकल म्यूजिक का भी जबरदस्त शौक था।
ओमप्रकाश को ‘दासी फिल्म के जरिये पहला ब्रेक मिला, इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। ओमप्रकाश ने अपने करियर में आजाद,मिस मैरी, हावड़ा ब्रिज, दस लाख, प्यार किए जा, खानदान, साधु और शैतान, गोपी, दिल दौलत दुनिया समेत कई फिल्मों में काम किया।
हर फिल्म में उनका किरदार पहले से जुदा होता था। उन्होंने 60 के दशक में संजोग, जहांआरा और गेटवे आफ इंडिया जैसी फिल्में बनाईं। वे डायरेक्टर भी रहे।
राजकपूर और नूतन जैसे स्टार्स को उन्होंने ‘कन्हैया’ में डायरेक्ट किया था। वे अमिताभ बच्चन के साथ भी ‘शराबी’, ‘जंजीर’, ‘नमक हलाल’, ‘अलाप’, ‘परवाना’, ‘दो और दो पांच’, ‘चुपके-चुपके जैसी फिल्मों में नज़र आए थे। इसके अलावा ओम प्रकाश ने ‘चमेली की शादी’, ‘साधू और संत’, ‘तेरे घर के सामने’, ‘आंधी’, ‘लोफर’, ‘पड़ोसन’, ‘हावड़ा ब्रिज’, ‘घर-घर की कहानी, ‘सास भी कभी बहू थी, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘नौकर बीवी का’ और ‘अमर प्रेम’ जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया।
21 फ़रवरी, 1998 को 80 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने की वजह से ओम प्रकाश ने मुंबई के लीलावती अस्पताल में आखिरी सांस ली और इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
एक विधवा औरत पर रहम खाकर की थी उसकी बेटी से शादी
ओम प्रकाश की लव स्टोरी भी बड़ी दिलचस्प थी। अपनी आत्मकथा में उन्होंने बताया कि मुझे एक सिख लड़की से प्यार हो गया था लेकिन लड़की के घरवाले मेरे खिलाफ थे क्योंकि मैं हिंदू था। मेरी मां उनके घर बात भी करने गई लेकिन उसके घरवाले नहीं मानें। इसके बाद जो कुछ हुआ उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
एक दिन ओमप्रकाश पान की दुकान पर खड़े थे तभी एक विधवा महिला आई और अपनी बड़ी बेटी से शादी करने के लिए ओमप्रकाश से मिन्नतें करने लगी।
ओमप्रकाश की आत्मकथा के मुताबिक महिला ने कहा कि वो विधवा हैं और उनकी चार बेटियां हैं जिनमें सबसे बड़ी 16 साल की है। वो मुझे दामाद बनाना चाहती थीं। इस बारे में मेरी मां से भी उनकी बात हो चुकी थी। उन्होंने मेरे आगे अपना पल्लू फैलाया और विनती की कि मैं उनकी बेटी से शादी कर लूं। फिर क्या था मैंने अपने प्यार को भुला दिया और उस महिला की लड़की से शादी कर ली।