बाजार में आवाक हुई कम, विदशों में सप्लाई बंद
रायपुर। 15 दिन के अंदर जीरा पूरे देश में 100 रुपए महंगा हो गया है। जीरे के बड़े कारोबारियों का कहना है कि अभी कीमतें और ऊपर जाएंगी। यह आज तक का सबसे हाई रेट है। अचानक से जीरे में आई तेजी के पीछे ओस का न गिरना है। जीरे की खेती के लिए ओस जरूरी होती है।
जीरे की खेती पूरे देश में राजस्थान और गुजरात के सटे कुछ इलाकों में होती है। इसकी सबसे बड़ी मंडी ऊंझा राजस्थान में है। यहीं से देश-विदेश में जीरा सप्लाई होता है। जीरे काे नवंबर में बोया जाता है और फरवरी में फसल तैयार होती है।
जीरे के लिए सबसे जरूरी होती है ओस। जीरे को ओस की जरूरत होती है। जब आसमान से ओस गिरती है, तभी जीरे के फूल और फल आते हैं।
अमूमन दिसंबर के महीने में जीरे के फूल आ जाते हैं, लेकिन इस बार अभी तक ओस नहीं गिरी है। किसानों का कहना है कि अगर 15 दिन ओस नहीं गिरी तो जीरे की कीमत किसी भी ऊंचाई तक जा सकती है। बता दें कि जीरा आज तक 240 रुपए प्रति किलो के ऊपर कभी नहीं गया।
आधी से भी कम हो गई आवक
ऊंझा के जीरा कारोबारी हार्दिक पटेल बताते हैं कि 15 दिन पहले जीरे की कीमत 250-280 रुपए तक थी, अभी जीरा 330-380 रुपए तक बिक रहा है। खुदरा में यह 100 रुपए महंगा हो चुका है।
कोरोना के पहले जीरा 150-200 रुपए ही था। पहले इन दिनों में मंडियों में जीरे की आवक 15-20 हजार बोरी रोज आती थी। लेकिन इस वर्ष सिर्फ 7-8 हजार बोरी ही आ रही हैं। फसल खराब होने की वजह से किसान भी डरे हुए हैं। अगर 15 दिन में ओस नहीं गिरी तो बाजार 500 के पार भी जा सकता है।
विदेशों में भी जीरे की सप्लाई बंद
रायपुर में जीरे के बड़े कारोबारी नितिन खत्री का कहना है कि विदेशों में जीरे का एक्सपोर्ट बंद है। भारत से बड़े पैमाने में जीरे का एक्सपोर्ट चीन, इंडोनेशिया, अमेरिका जैसे देशों में होता है। डॉलर की कीमतों में आई उछाल की वजह से कंटेनर का सैटलमेंट नहीं हो पाया है।
जीरे की बढ़ी कीमतों की वजह से कोई भी क्रेडिट में जीरा विदेश नहीं भेज रहा है। अगर जीरे का एक्सपोर्ट हो रहा होता तो आज देश में जीरा 400 रुपए पार कर चुका होता।
आंकड़ों में समझें जीरे का उत्पादन
जीरा का औसत उत्पादन एक करोड़ बोरी सालाना होता है
एक बोरी में 60 किलो जीरा होता है
घरेलू और एक्सपोर्ट खपत 90 लाख बोरी के आस पास होती है
वर्ष 2022 में जीरा का उत्पादन कम हुआ लगभग 70 लाख बोरी, इसलिए जीरा 190-240 तक पहुंच गया था
वर्ष 2023 में मौसम की बेरुखी के कारण 50-60 लाख बोरी फसल आने का ही अनुमान है
यही हाल रहा तो बर्बाद हो जाएगी फसल
जीरे की खेती करने वाले बड़े किसान राजकुमार का कहना है कि जीरे के पौधे को ज्यादा ध्यान नहीं देना पड़ता है। बोवाई हुए 2 महीने हो चुके हैं। लगभग 50 प्रतिशत समय बीत चुका है लेकिन पौधो में न तो तरक्की दिख रही है और न ही जीरे के फूल।
जीरे की फसल को आने में मात्र 30-40 दिन और रह गए हैं अगर यही हाल रहा तो जीरा 400-500 रुपए प्रति किलो भी पहुंच सकता है। वहीं राजस्थान और गुजरात में जीरे को छोड़ धनिया, ईसबगोल, ग्वार गम के रेट भी बहुत ऊपर चल रहे हैं, जिस कारण से किसानों का भी रुख जीरे से मुड़ कर इस खेती की ओर बढ़ रहा है।