2022-2023 फसल वर्ष के दौरान रकबे का अनुमान तथा फसल
के स्वास्थ्य और अपेक्षित उपज का आकलन करने उठाया कदम
नई दिल्ली। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) The Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority (APEDA) तथा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय Ministry of Commerce and Industry ने 2022-2023 खरीफ फसल मौसम के दौरान जलवायु-आधारित उपज मॉडलिंग का उपयोग करके सुगंधित और लंबे अनाज चावल यानी बासमती चावल के रकबे का अनुमान लगाने, फसल के स्वास्थ्य और अपेक्षित उपज का आकलन करने के लिए बासमती फसल सर्वेक्षण Basmati crop survey शुरू किया है।
दो साल के अंतराल बाद हो रहा राष्ट्रीय सर्वे
इस बार बासमती फसल सर्वेक्षण दो साल के अंतराल के बाद किया जा रहा है क्योंकि यह कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण 2020 और 2021 के दौरान आयोजित नहीं किया जा सका। बासमती चावल एक पंजीकृत भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग वाला कृषि उत्पाद और वैश्विक बाजार में कमांड प्रीमियम उत्पाद है।
यह सर्वेक्षण बासमती निर्यात विकास फाउंडेशन (बीईडीएफ) Basmati Export Development Foundation (BEDF) के तहत किया जा रहा है, जो एपीडा की एक शाखा है। इस साल दिसंबर तक फाइनल सर्वेक्षण रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाना है।
सर्वेक्षण मॉडल के अनुसार, सात बासमती उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश (30 जिले) और जम्मू एवं कश्मीर के तीन जिले में जिला स्तर पर चयनित किसानों के नमूना समूह के आधार पर क्षेत्र आधारित और इसके साथ ही उपग्रह इमेजरी सर्वेक्षण किया जा रहा है।
सर्वे के दौरान फसल के साथ किसानों की भी ली जा रही तस्वीरें
सर्वेक्षण की सटीकता के स्तर का पता लगाने के लिए, जीपीएस स्थलों को रिकॉर्ड किया जाना है और सर्वेक्षण में भाग लेने के समय प्रत्येक किसान की तस्वीरें भी ली जा रही हैं। अप्रैल-जून 2022-23 में बासमती चावल का निर्यात 25.54 प्रतिशत बढ़कर 1.15 अरब डॉलर का हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में 922 मिलियन यानी 0.922 अरब अमेरिकी डॉलर था।
एपीडा अपनी शाखा बीईडीएफ के माध्यम से बासमती चावल की खेती को बढ़ावा देने में राज्य सरकारों की सहायता कर रहा है। एपीडा और बीईडीएफ द्वारा आयोजित किए जा रहे विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए प्रमाणित बीजों के उपयोग, अच्छी कृषि पद्धतियों और कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में जानकारी दी जाती है।
बासमती के पोर्टल पर पंजीयन कराने भी प्रोत्साहित किया जा रहा किसानों को
बासमती चावल की खेती एक भारतीय परंपरा है और इस परंपरा को बनाए रखना एक सामूहिक जिम्मेदारी है क्योंकि वैश्विक बाजार में बासमती चावल की भारी मांग है।
किसानों को राज्य कृषि विभाग के माध्यम से basmati.net पर अपना पंजीकरण कराने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है।
इस पहल के तहत, बीईडीएफ ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के चावल निर्यातक संघों के साथ-साथ संबंधित राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और राज्य कृषि विभागों के सहयोग से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बासमती चावल उगाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सात राज्यों में 75 जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
बीईडीएफ प्रमुख बासमती चावल उत्पादक राज्यों में विभिन्न एफपीओ, निर्यात संघों आदि में तकनीकी भागीदार के रूप में भी शामिल है।
दस साल में दोगुना हुआ बासमती चावल का निर्यात
भारत ने पिछले तीन वर्षों में बासमती चावल का करीब 12 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया है। वर्ष 2021-22 में भारत से सुगंधित लंबे अनाज वाले चावल यानी बासमती चावल के कुल पोत लदान में सऊदी अरब, ईरान, इराक, यमन, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, कुवैत, यूनाइटेड किंगडम, कतर और ओमान की हिस्सेदारी करीब 80 प्रतिशत है।
बासमती चावल भारत से निर्यात होने वाले सबसे बड़े कृषि उत्पादों में से एक है। वर्ष 2020-21 के दौरान भारत ने 4.02 अरब अमेरिकी डॉलर के मूल्य के 4.63 मिलियन मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात किया। पिछले 10 वर्षों में, बासमती चावल का निर्यात दोगुना से अधिक हो गया है। वर्ष 2009-10 के दौरान बासमती चावल का निर्यात 2.17 मिलियन मीट्रिक टन दर्ज किया गया था।