सीपीआरआई शिमला ने ईजाद कीं तीन किस्में
शिमला। केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र (सीपीआरआई) शिमला Central Potato Research Center (CPRI) Shimla ने 90 दिन में तैयार होने वाली कुफरी सूर्य, कुफरी ख्याति और कुफरी सुख्याति आलू की तीन किस्में ईजाद की हैं। मैदानी इलाकों में तापमान अधिक होने के कारण ये किस्में कम समय में तैयार हो रही हैं।
इससे गंगा नदी से सटे देश के मैदानी इलाकों के किसान गेहूं और धान की फसल की अवधि के बीच के समय में अब आलू की पैदावार ले सकेंगे। इन किस्मों से किसान प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल तक की पैदावार ले सकेंगे। अभी गेहूं और धान की फसल की अवधि के बीच के समय में किसान अभी कोई फसल नहीं उगा रहे हैं।
अमूमन, पहाड़ी क्षेत्रों में आलू की फसल 100 से 120 दिन में तैयार होती है। सीपीआरआई के वैज्ञानिकों के प्रयासों से अब तीन किस्मों से किसान आलू की पैदावार कम समय में ले सकेंगे। इन किस्मों के आलू का बीज उगाकर किसान अपेक्षाकृत कम अवधि में फसल तैयार कर मुनाफा कमा सकते हैं।
कसौटी पर खरा नहीं उतरा कुफरी पुखराज बीज
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. विनय भारद्वाज Scientist Dr. Vinay Bhardwaj ने बताया कि इन किस्मों से पहले कुफरी पुखराज आलू बीज उगाकर कम अवधि में तैयार करने का प्रयोग किया था। इसका आलू कम समय में तैयार हो जाता था, लेकिन इसकी भंडारण अवधि कम थी।
आलू का छिलका पतला होने के कारण समस्या आ रही थी। तीनों किस्मों के बीच में कम अवधि में आलू तैयार हो रहा है। उत्पादन भी 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक रहता है।
किसानों को वित्तीय लाभ होगा और देश की आलू की जरूरत पूरी होगी
सीपीआरआई के निदेशक एनके पांडे Director of CPRI NK Pandey कहते हैं कि गंगा नदी से सटे मैदानी इलाकों में किसान तीसरी फसल के रूप में गेहूं और धान के बीच की अवधि में आलू की पैदावार कर सकते हैं।
इससे किसानों को वित्तीय लाभ भी होगा और देश की आलू की जरूरत भी पूूरी होगी। मैदानी इलाकों में देश का 70 फीसदी आलू पैदा होता है।