आज पुण्यतिथि: क्रूर, लालची ‘कौशल्या’ बनकर लोकप्रियता हासिल
हुईं थी मनोरमा को, हिंदी फिल्मों में कईं यादगार भूमिकाएं निभाईं
मुंबई। हिंदी सिनेमा की महिला खलनायिकाओं की बात होती है तो मनोरमा का नाम टॉप पर आता है। फिल्म ‘सीता और गीता’ में हेमा मालिनी की चाची का रोल निभाने वाली मनोरमा ने सैकड़ों फिल्मों में काम किया। मनोरमा ऐसी अदाकारा थीं जिनका नाम भले ही दर्शकों को ना पता हो, लेकिन उनके काम को सभी पहचानते थे।
गोल-मटोल चेहरे और आंखों व ओंठों को खास अंदाज में मटकाते हुए पर्दे पर उनका आना ही इस बात की गारंटी देता था कि अब कुछ रोमांचक होने वाला है।
मनोरमा लंबे समय पर सिनेमा में सक्रिया रहीं। 1941 से लेकर साल 2005 तक उन्होंने काम किया।
16 अगस्त 1926 को पंजाब के लाहौर में मनोरमा का जन्म हुआ था। उनका असली नाम एरिन इसाक डेनियल था। इस नाम से उनके फैंस हमेशा अनजान रहे।
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उन्होंने ‘खजांची’ नाम की फिल्म में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की, तब उन्हें बेबी आयरिश के नाम से जाना जाता था। उनकी मां आयरिश थीं और पिता भारतीय क्रिश्चियन। लौहार में वह सवार्धिक फीस लेनी वाली अदाकारा थीं।
जब वह बंटवारे के बाद भारत आईं तो एक्टर चंद्रमोहन ने उनका नाम प्रोड्यूसर्स को सुझाना शुरू किया। साल 1949 में उन्होंने पंजाबी फिल्म ‘लच्छी’ से डेब्यू किया और साल 1950 में हिंदी फिल्म ‘हंसते आंसू’ और 1953 में ‘परिणीता’ में नजर आईं। इसके बाद वह फिल्म मेकर्स की पसंद बन गईं और एक के बाद एक शानदार फिल्मों में नजर आईं।
‘सीता और गीता’ ‘दो कलियां’, ‘दो फूल’ में उनका निभाया खलनायिका का किरदार यादगार रहा। 1972 में आई ‘सीता और गीता’ में मनोरमा द्वारा निभाया गया कौशल्या चाची का किरदार आज भी लोकप्रिय है। मनोरमा ने अपने फिल्मी करियर में ज्यादातर खलनायिका और हास्य कलाकार की भूमिका ही निभाई।
मनोरमा ने अभिनेता राजन हक्सर से निकाह किया था। दोनों विभाजन के बाद भारत आ गए थे, और राजन निर्माता बन गए। फिल्मों में क्रूर चाचियां- सौतेली मांयें तो बहुत आईं।
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इनमें कुछ ने दर्शकों को हंसाया भी और परेशान भी किया, लेकिन ‘सीता और गीता’ की मनोरमा की बराबरी न कोई कर सकी और न कर सकेगी। आलम कुछ ऐसा था कि सीता और गीता के बाद लोग इस चाची से नफरत करने लगे थे।
मनोरमा की गोल-गोल आंखें, मटकाकर बोलना, बेचारी सीता की संपत्ति पर कुंडली मारकर बैठना आज भी दर्शक पसंद करते हैं। मनोरमा ने अपने फिल्मी करियर में 150 से ज्यादा फिल्में कीं।
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आखिरी बार वह 2005 में दीपा मेहता की फिल्म ‘वाटर’ में नजर आईं थी। 15 फरवरी 2008 को मनोरमा का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।
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