विशेषज्ञों ने पोषणयुक्त चावल के माध्यम से पोषण सुरक्षा पर प्रकाश डाला, कार्यशालाएं और सेमीनार आयोजित
नई दिल्ली। पोषणयुक्त चावल Fortified Rice को लोकप्रिय बनाने और इसके फायदों के बारे में लोगों को जागरुक कराने केंद्र सरकार की ओर से कार्यशालाओं और सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।
देश के जनजातीय क्षेत्रों को जागरूक करने के लिए, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) Department of Food and Public Distribution (DFPD) और गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना राजस्थान, केरल की राज्य सरकारों ने उन जनजातीय क्षेत्रों और जिलों में यह आयोजन कर रहा है, जहां के लोग थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया की चपेट में आते हैं।
कार्यशालाओं में हो रहा
जिज्ञासाओं का समाधान
गुजरात में राज्य सरकार ने इस माह 9 सितंबर को मेरिल अकादमी, वापी में एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसके बाद, 13 सितंबर को नंदूरबार (महाराष्ट्र), 14 सितंबर को नासिक (महाराष्ट्र), 15 सितंबर को कांकेर (छत्तीसगढ़), 16 सितंबर को जमशेदपुर (झारखंड) में, 20 सितंबर को बड़वानी (म.प्र.), 22 सितंबर को मंडला (म.प्र.) और 24 सितंबर को शहडोल (म.प्र.) में डीएफपीडी, विकास भागीदारों और एफसीआई के सहयोग से कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में राज्य सरकारों के मंत्री, कलेक्टर, डीएम, तकनीकी विशेषज्ञ, स्थानीय विशेषज्ञ, डॉक्टर, सिविल सर्जन, गैर सरकारी संगठन, उचित मूल्य की दुकान के डीलर, सरपंच, जनजातीय क्षेत्रों के नेता, नागरिक आपूर्ति के अधिकारी, स्वास्थ्य, आईसीडीएस, विकास भागीदार और विशेषज्ञ शामिल हुए।
विषय विशेषज्ञों ने गंभीर रोगों
से लड़ने में सहायक बताया
इन आयोजनों में विषय विशेषज्ञों के तौर पर डॉ. एस नायर, डॉ. एच गांधी, एमएस विश्वविद्यालय, वडोदरा, डॉ. के यादव, डॉ. टी आचारी, एम्स, नई दिल्ली, डॉ. राघवेंद्र सिंह, एमएएमसी, नई दिल्ली, डॉ. एन तायडे, पीडीएम मेडिकल कॉलेज, अमरावती, डॉ. एन बावा, नंदूरबार, डॉ. आर मेंडे, नेटप्रोफैन, नागपुर, डॉ. एम रुइकर, एम्स, रायपुर, डॉ. एस अग्रवाल, स्वास्थ्य विभाग, छत्तीसगढ़, डॉ. यू. जोशी, महानिदेशक, सिकल सेल संस्थान, छत्तीसगढ़, डॉ. बी. साहू, डॉ. के. सिंह, डॉ. एस.के. मकरम, वैज्ञानिक, कृषि विकास केन्द्र, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कांकेर, डॉ. डी. कुमार, सहायक प्रोफेसर, रिम्स, रांची, डॉ. ए. चटर्जी और डॉ. डी. पांडे, एम्स, भोपाल ने लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
विशेषज्ञों ने फोर्टिफाइड स्टेपल और हीमोग्लोबिनोपैथी जैसे थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया पर उनके प्रभाव पर प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने गंभीर बीमारियों से लड़ने में पोषणयुक्त चावल को महत्वपूर्ण बताया।
गलतफहमी को भी कर रहे दूर
प्रस्तुतियों के बाद पैनल चर्चा, तकनीकी विशेषज्ञों और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और एफसीआई के अधिकारियों द्वारा प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किए गए। विशेषज्ञों ने जनता के लिए पोषणयुक्त चावल के लाभों पर प्रकाश डाला और लोगों और स्थानीय मीडिया की चिंताओं और गलतफहमी को दूर किया।
फोर्टीफिकेशन एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित सूक्ष्म पोषक तत्व (लौह, फोलिक एसिड, विटामिन बी 12) को 1:100 के अनुपात (100 किलोग्राम के साथ 1 किलोग्राम एफआरके मिलाकर) में फोर्टीफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) यानी पोषणयुक्त चावल के दाने सामान्य चावल (कस्टम मिल्ड चावल) में मिलाने की प्रक्रिया है।
कैसा होता है पोषणयुक्त चावल
पोषणयुक्त चावल सुगंध, स्वाद और बनावट में लगभग पारंपरिक चावल के समान होते हैं। यह प्रक्रिया चावल मिलों में चावल को भूसी से अलग करते समय की जाती है।
चावल की भूसी अलग करने वाली मशीनों, एफआरके निर्माताओं, उद्योगों और अन्य हितधारकों पर निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए पोषणयुक्त चावल के उत्पादन और आपूर्ति के लिए चावल फोर्टीफिकेशन इकोसिस्टम उल्लेखनीय ढंग से बढ़ाया गया है।
देश में 9000 से अधिक चावल मिलें हैं जिन्होंने पोषणयुक्त चावल के उत्पादन के लिए सम्मिश्रण बुनियादी ढांचा स्थापित किया है और उनकी संचयी मासिक उत्पादन क्षमता लगभग 60 एलएमटी है जो पिछले वर्ष से 4 गुना से अधिक है।
चावल का फोर्टिफिकेशन कम प्रतिवर्तन काल (टीएटी) के साथ आहार में विटामिन और खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिए किफायती और पूरक रणनीति है और पोषण सुरक्षा की दिशा में एक कदम है और देश में एनीमिया और कुपोषण से लड़ने में मदद करता है। इस रणनीति को दुनिया के अनेक भागों में लागू किया गया है।