समय पर चावल जमा होने से मार्कफेड को 8 हजार करोड़
रूपए मिले, ब्याज में 100 करोड़ रूपए की भी हुई बचत
रायपुर। केन्द्रीय पूल में कस्टम मिलिंग का चावल जमा कराने के मामले में छत्तीसगढ़ ने रिकार्ड सफलता हासिल की है। छत्तीसगढ़ में 65.21 लाख मीट्रिक टन चावल केन्द्रीय पूल में जमा कराने के लक्ष्य के विरूद्ध 9 सितम्बर की स्थिति में 59.39 लाख मीट्रिक टन चावल सीएमआर के रूप में केन्द्रीय पूल में जमा करा दिया है। Chhattisgarh achieved record success in the matter of depositing custom milling rice in the central pool
ऐसा पहली बार हुआ है कि धान खरीदी के साथ-साथ युद्ध स्तर पर कस्टम मिलिंग कराकर छत्तीसगढ़ ने अपने कोटे का रिकार्ड चावल एफसीआई और नागरिक आपूर्ति निगम को दे दिया है। यह छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों एवं दूरदर्शी निर्णयों के चलते संभव हो सका है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में राज्य में धान की खरीदी, कस्टम मिलिंग और केन्द्रीय पूल में चावल जमा कराने की चाक-चौबंद व्यवस्था से उपार्जित धान के नुकसान और सूखत से होने वाले नुकसान रूका है। केन्द्रीय पूल में सीएमआर का चावल बड़ी मात्रा में जमा होने से मार्कफेड को इस साल बीते वर्ष की तुलना में 8 हजार करोड़ रूपए का अधिक भुगतान प्राप्त हुआ है, जिसकी बदौलत बैंक ऋण की वापसी के चलते 100 करोड़ रूपए के ब्याज की भी बचत हुई है। मुख्यमंत्री ने राज्य में कस्टम मिलिंग और सीएमआर के रूप में केन्द्रीय पूल में रिकार्ड चावल जमा कराने की सफलता के लिए विभागीय अधिकारी को बधाई दी है।
खरीफ वर्ष 2021-22 में राज्य में सर्वाधिक धान उपार्जन का कीर्तिमान रचने के बाद साथ ही समितियों से धान का उठाव और केन्द्रीय पूल में चावल जमा कराने के मामले में भी छत्तीसगढ़ ने एक नया कीर्तिमान रचा है। 9 सितम्बर की स्थिति में मिलर्स द्वारा 59.39 लाख मीट्रिक टन चावल एफसीआई और नान में जमा किया जा चुका है।
मात्र 5.82 लाख मीट्रिक टन चावल सीएमआर में जमा किया जाना शेष है। कस्टम मिलिंग के लिए राज्य के मिलर्स को 97.30 लाख मीट्रिक टन धान प्रदाय किया गया है, जिसके एवज में मिलर्स को 65.25 लाख मीट्रिक टन चावल जमा कराना है। सितम्बर माह के अंत तक सीएमआर का चावल जमा कराने का लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद है।
खाद्य विभाग के सचिव श्री टी.के. वर्मा ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में 97.99 लाख मेट्रिक टन धान की समर्थन मूल्य पर रिकार्ड खरीदी की गई।
उपार्जित धान का समय पर उठाव व मिलिंग एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि इतनी वृहद मात्रा में उपार्जित धान का सुनियोजित रूप से उठाव व निराकरण न होने के फलस्वरूप इसके अमानक होने के साथ-साथ सूखत से भी बड़ी हानि होने की संभावना थी, किन्तु धान के उठाव व निराकरण के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन रणनीति तैयार कर इसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया।
परिणाम स्वरूप खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में राज्य में पहली बार माह अप्रैल-मई में ही उपार्जन केन्द्रों से तथा जून माह में संग्रहण केन्द्रों में भंडारित धान की शत-प्रतिशत मात्रा का उठाव कर लिया गया। राज्य में पहली बार बारिश शुरू होने से पहले ही कस्टम मिलिंग के लिए धान का उठाव पूरा कर लिया गया। उपार्जन केन्द्रों से सीधे मिलरों द्वारा धान का रिकार्ड उठाव करने के कारण परिवहन व्यय, सूखत की मात्रा एवं धान की सुरक्षा एवं रखरखाव के व्यय में भी बीते वर्षों की तुलना में बेहद कमी आई है।