विधानसभा में आरक्षण का नया विधेयक पास,राज्यपाल को भेजेंगे
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने वाले दो नये विधेयकों को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है।
अब इसे राज्यपाल को भेजा जाएगा। उनके हस्ताक्षर करने के बाद विधेयक अधिनियम बन जाएंगे। Chhattisgarh Legislative Assembly unanimously passed two new bills giving reservation to Scheduled Castes, Scheduled Tribes, Other Backward Classes and general category poor
असाधारण राजपत्र में प्रकाशित होते ही यह प्रदेश में आरक्षण की नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। उसके बाद ही प्रदेश में नई भर्तियों और स्कूल-कॉलेजों में दाखिले के लिए आरक्षण का रोस्टर जारी होगा। उच्च न्यायालय के 19 सितम्बर को आये एक फैसले से छत्तीसगढ़ में आरक्षण खत्म हो गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा विधेयक के पारित होने के बाद आज ही हमारे वरिष्ठ मंत्री इस पर दस्तखत कराने के लिए राज्यपाल के पास जाएंगे। हम सुप्रीम कोर्ट में भी क्वांटिफिएबल डाटा के साथ कोर्ट में भी अपना पक्ष रखेंगे। मुख्यमंत्री ने विपक्ष से अपील करते हुए कहा, नेता प्रतिपक्ष, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, रमन सिंह, बृजमोहन अजय चंद्राकर, बसपा और जनता कांग्रेस के विधायक संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री से मिलते हैं। इसमें दलगत बात नहीं होनी चाहिए।’ इससे पहले विपक्ष इन विधेयकों के लिए संशोधन प्रस्ताव लाया।
नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा, क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश ही नहीं की गई। सदन को उसकी कोई जानकारी नहीं है। सरकार कह रही है जनसंख्या के अनुपात को आरक्षण का आधार बनाया है तो बिना डाटा के कैसे आधार बना दिया। पहले डाटा पेश कर देते। फिर कानून बना लेते। सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों थी।
अब आरक्षण छत्तीसगढ़ में बाक़ायदा एक क़ानून बन जाएगा।
इस विधेयक पर तत्काल हस्ताक्षर करने का अनुरोध लेकर वरिष्ठ मंत्रिगण सदन की बैठक ख़त्म होते ही महामहिम राज्यपाल के पास जाएंगे।
उम्मीद है कि यह औपचारिकता भी आज रात तक पूरी हो जाएगी।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) December 2, 2022
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा आज का दिन संविधांन के लिए कला दिन है। क्या छोटे से चुनाव के लिए संविधान के विरुद्ध कानून बनाएंगे। धरमलाल कौशिक ने कहा इस बात की क्या गारंटी है कि कल कोई कुणाल शुक्ला इस विधेयक को कोर्ट में चुनौती नहीं देगा।
इन कानूनों से मिलेगा आरक्षण
छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ है।
मैंने सभी दलों के नेताओं से अनुरोध किया है कि वे विधानसभा अध्यक्ष के नेतृत्व में प्रधानमंत्री जी के पास चलें और आरक्षण प्रावधानों को नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध करें।
हमें राज्य की जनता के हितों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देखने की ज़रूरत है।
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इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग-अनुसूचित जनजाति को 32%, अनुसूचित जाति-एससी को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-ओबीसी को 27% आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण हो जाएगा।
19 सितम्बर तक 58% था आरक्षण
छत्तीसगढ़ की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अभी 19 सितम्बर तक 58% आरक्षण था। इनमें से अनुसूचित जाति को 12%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण था। इसके साथ कुछ हद तक सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था थी।
इस संकल्प में केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह इस आरक्षण प्रावधान को नौंवी अनुसूची में शामिल करे।
मुख्य विपक्षी दल भाजपा भी इस संकल्प में साथ देती तो राज्य की जनता को और अच्छा लगता।
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19 सितम्बर को आए बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया। उसके बाद सरकार ने नया विधेयक लाकर आरक्षण बहाल करने का फैसला किया।
अजय चंद्राकर ने शासकीय संकल्प पर आपत्ति की।
नवी अनुसूची का संरक्षण मांगने पर संकल्प, भाजपा का वॉकआउट
विधेयकों के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक शासकीय संकल्प पेश किया। इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि वह छत्तीसगढ़ के दोनों आरक्षण कानूनों को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल विषयों को सामान्य तौर पर न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। भाजपा ने संकल्प का विरोध किया।
छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 को भी विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया है।
इस विधेयक को भी आज रात वरिष्ठ मंत्रिगण महामहिम राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए लेकर जाएंगे।
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भाजपा के अजय चंद्राकर का कहना था, सरकार केवल गुमराह करने के लिए नवीं अनुसूची का संकल्प लाई है। देश के पांच राज्य 50% से अधिक आरक्षण दे रहे हैं।
सभी को न्यायालय में चुनौती दी जा चुकी है। केस चल रहा है। यह विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक कवायद है ताकि सरकार एक साल तक यह कह सके कि हमनें तो केंद्र को संकल्प भेजा है।
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण के लिए सर्वसम्मति से पारित विधेयक को केंद्र सरकार के पास भेजने का संकल्प भी विधानसभा में पारित हो गया है।
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भारी हंगामे के बीच भाजपा ने वॉकआउट किया। भाजपा की गैर मौजूदगी में सदन ने संकल्प पारित कर दिया। अब इसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
यही सत्र अब शीतकालीन में बदलेगा, 2 जनवरी को फिर से बैठक
अनुपूरक बजट, दोनों आरक्षण विधेयक और शासकीय संकल्प पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को 2 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया है। इसका मतलब है कि यही विशेष सत्र अब शीतकालीन सत्र में बदल जाएगा।
बधाई! मनाइए उत्सव…
अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32%, अनुसूचित जाति के लिए 13%, पिछड़ा वर्ग के लिए 27% और ग़रीबों के लिए 4% आरक्षण विधेयक को विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया है।
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इस सत्र की अगली बैठक सोमवार 2 जनवरी 2023 को होनी है। यह सत्र शुक्रवार छह जनवरी तक के लिए प्रस्तावित है। राज्य सरकार ने 58% आरक्षण के खिलाफ आए फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी कर रखी है।
नये कानूनों के साथ कानूनी अड़चने भी जुड़ी
संविधानिक मामलों के विशेषज्ञ बी.के. मनीष का कहना है, सरकार ने जो विधेयक पारित कराया है, उसके साथ कई तकनीकी अड़चने हैं जो इसे कानूनी लड़ाई में फंसा सकती हैं। सबसे पहली बात यह कि अधिनियमों में सिर्फ जनसंख्या के आधार पर आरक्षण तय किया गया है।
यह 1992 में आए मंडल फैसले और 2022 में ही आए पीएमके (तमिलनाडु) बनाम माईलेरुमपेरुमाल फैसले का उल्लंघन है। अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने का फ़ैसला 42 साल पुरानी मंडल आयोग की केंद्र शासन अधीन सेवाओं पर दी गई सिफारिश पर आधारित है। यह भी 2021 में आए मराठा आरक्षण फैसले का उल्लंघन है।
कल का दिन छत्तीसगढ़ में एक #ऐतिहासिक_दिन होगा। pic.twitter.com/YQ1kTWtYH8
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) December 1, 2022
कुल आरक्षण का 50% की सीमा से बहुत अधिक होना भी एक बड़ी पेचीदगी है। अनुसूचित क्षेत्र को इस बार विशिष्ट परिस्थिति के तौर पर पेश किया गया लेकिन वर्ग एक और दो की नौकरियों में अनुसूचित क्षेत्रों की कोई अलग हिस्सेदारी ही नहीं है।
यह 1992 के मंडल फैसले का उल्लंघन है। प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आंकड़े विभाग-श्रेणीवार जमा किए गए हैं न कि कॉडरवार। यह भी मंडल फैसले और 2022 के जरनैल सिंह फैसले का उल्लंघन है।
कांग्रेसियों ने पटाखे फोड़े, मिठाई बांटी
आरक्षण विधेयक पास होते ही पूरे छत्तीसगढ़ में मन रही दिवाली🧨🎇
सरगुज़ा से लेकर बस्तर तक फूट रहे पटाखे
मुख्यमंत्री @bhupeshbaghel और कांग्रेस पार्टी ज़िंदाबाद के नारों से गूंज रहा है #छत्तीसगढ़ pic.twitter.com/cwj74yk0P1
— INC Chhattisgarh (@INCChhattisgarh) December 2, 2022
आरक्षण संशोधन विधेयक पारित होते ही कांग्रेस की जिला, ब्लॉक और बूथ स्तर की इकाईयों में जश्न मनाया गया। वहां पहुंचे नेताओं-कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़कर मिठाई बांंटी।
रायपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यकर्ताओं ने गांधी मैदान में आम लोगों को लड्डू खिलाकर नये कानून की बधाई दी। शहर जिला अध्यक्ष गिरीश दुबे ने कहा, कांग्रेस सरकार ने आज ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इससे सभी वर्गों का भला होगा।