50 किलो गोबर से बन रहा 100 लीटर
पेंट, एक लीटर 230 रुपए में बिक रहा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहली बार रायपुर के हीरापुर-जरवाय गौठान में गाय के गोबर से पेंट और पुट्टी बनाए जा रहे है। इसके लिए लगभग 25 लाख की लागत से 5 मशीनें लगाई गई हैं। इस पेंट और पुट्टी की डिमांड आने लगी है।
गोबर से पेंट और पुट्टी बनाने की प्रक्रिया बेहद अनूठी है। इंजीनियर आलोक साहू और स्व सहायता समूह की अध्यक्ष धनेश्वरी रात्रे ने बताया कि 2 दिन पुराने गाय के गोबर को पहले डी वाटर कर्लिंग मशीन में डाला जाता है।
गोबर में पानी मिलाया जाता है। लगभग 2 घंटे में गोबर का घोल तैयार होता है। फिर से गोबर के घोल को डी वाटर कर्लिंग मशीन में डालकर पेंट तैयार करने के लिए वर्णक रंग, ऐक्रेलिक पाउडर, टाइटेनियम डाइऑक्साइड, सफेद रंग का बाइंडर, कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड जैसे कई अन्य सामग्री मिलाई जाती है।
फिर इन सबको हाई स्पीड डिसपेंसर मशीन में मिक्स किया जाता है। इसके बाद वाइट कलर में पेंट तैयार होता है। इसी तरह पुट्टी में होता है। पुट्टी को 2 से 3 तीन दिन सूखा कर पैकेजिंग की जाती है।
प्राकृतिक है, पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं
पेंट, पुट्टी प्राकृतिक है। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। न ही दीवार, दरवाजा आदि पर लगाने पर किसी तरह की दुर्गंध आएगी।
पेंट इको फेडली, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, नेचुरल थर्मल इंसुलेटर, कॉस्ट एफीटलवे, फ्री फ्रॉम हैवी मेटल्स है।
धार्मिक दृष्टि से गोबर का महत्व
गाय के गोबर का धार्मिक महत्व भी है। आमतौर पर गाय के गोबर से आंगन की पुताई को शुभ माना जाता है। पूजा में भी इस्तेमाल होता है।
गोबर से बनी पेंट का अभी 230 रुपए लीटर तय किया है। इसके अलावा डिस्टेंपर का 130 रुपए तय किया है।
पुट्टी और प्राइमर का दाम तय नहीं किए है। वहीं बाजार में बड़े कंपनियों के पेंट 400 रुपए लीटर से अधिक दामों में बिक रहे है, जिसको अब गोबर से तैयार पेंट कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
पेंट बनाने के लिए कुल 8 घंटे की प्रक्रिया
जरवाय गौठान में लगी मशीन से 8 घंटे में एक हजार लीटर पेंट तैयार किया जा सकता है। यह क्वालिटी में ब्रांडेड कंपनियों के पेंट जैसा ही है।
इसका मूल्य भी अन्य पेंट के मुकाबले कम रखा गया है। पेंट बनाने के लिए ज्यादा मात्रा में गोबर की आवश्यकता नहीं है। 50 किलो गोबर से 100 लीटर पेंट तैयार हो रहा है।