इस अवधि में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर
7.1%, मध्यप्रदेश दूसरे पायदान पर
रायपुर। छत्तीसगढ़ के युवा में इस समय देश के सबसे कम बेरोजगार हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की ओर से जारी नये आंकड़ों के अनुसार मई माह में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर मात्र 0.7% रही। यह इस समय देश भर में सबसे कम बेरोजगारी दर है। इसी अवधि में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 7.1% थी।
सामान्य शब्दों में इसका मतलब है कि मई महीने में काम की उम्र के प्रत्येक 100 लोगों में 0.7 लोग यानी एक से भी कम लोग ही बेरोजगार थे। छत्तीसगढ इस साल लगातार सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में शामिल रहा है। इस साल मार्च और अप्रैल महीने में छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर 0.6% थी। यह प्रदेश की अब तक की सबसे कम बेरोजगारी दर रही।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश के कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ के बाद मध्यप्रदेश 1.6% का नंबर आता है। सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों की सूची में गुजरात 2.1%, ओडिशा 2.6%, उत्तराखंड 2.9%, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश 3.1%, महाराष्ट्र और मेघालय 4.1%, कर्नाटक 4.3%, आंध्रप्रदेश 4.4%, पुडुचेरी 5.6% , केरल 5.8% शामिल हैं।
सीएम किया ट्वीट
इस उपलब्धि पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि छत्तीसगढ़ अब देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाला राज्य बन गया है। इसे लेकर मुख्यमंत्री ने बधाई भी दी है।
हरियाणा में सबसे अधिक बेरोजगार
CMIE की ओर से जारी इन्हीं आंकड़ाें के मुताबिक देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दर हरियाणा में 24.6% तक है। वहीं राजस्थान में 22.2%, जम्मू और कश्मीर में 18.3%, त्रिपुरा में 17.4%, दिल्ली में 13.6%, गोवा में 13.4%, बिहार में 13.3%, झारखंड में 13.1%, हिमाचल प्रदेश में 9.6%, तेलंगाना में 9.4%, पंजाब में 9.2%, असम में 8.2% और सिक्किम में 7.5% बेरोजगारी दर दर्ज की गई।
सरकार ने योजनाओं की सफलता बताई
छत्तीसगढ़ शासन के अधिकारियों का कहना है कि बेरोजगारी दर कम होने का मतलब है कि सरकार की योजनाएं अपना असर दिखा रही हैं। छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने के बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संतुलित करने वाली तथा रोजगार के नये अवसरों का सृजन करने वाली योजनाओं पर सरकार का सर्वाधिक जोर रहा।
सरकार बनने के तुरंत बाद किसानों की कर्जमाफी, जल कर की माफी से बड़ी संख्या में लोग खेती के काम में लगे। उसके बाद राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, नरवा-गरुवा-घुरवा-बारी कार्यक्रम, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन किसान न्याय योजना, नयी औद्योगिक नीति का निर्माण, वन तथा कृषि उपजों के संग्रहण की बेहतर व्यवस्था आदि से आय के साधन बढ़े।