आज जन्मदिन:फिल्म अभिनेत्री नंदा के पिता निर्देशक थे, 50 की उम्र के बाद सगाई की लेकिन घर न बसा सकी
मुंबई। नंदा अपने दौर की बेहद खूबसूरत और बेहतरीन हीरोइन थीं। जब बॉलीवुड में नंदा ने काम करना शुरू किया था तो उनकी छवि ‘छोटी बहन’ की बन गई थी। क्योंकि पांच साल की उम्र में उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था। उस दौरान वो लीड एक्टर की छोटी बहन का किरदार निभाया करती हैं। लेकिन बाद में उन्होंने इसे बदल दिया था। नंदा ने फिल्म ‘जब-जब फूल खिले’, ‘गुमनाम’ और ‘प्रेम रोग’ जैसी हिट फिल्मों में काम किया है।
#Nanda Birth Anniversary: from Pradip Madgaonkar
The actress who got love at the age of 53 but could not get married.#nanda #nandabirthday #nandabirthanniversary #marathiactress #indianactress #bollywoodactress #actress #pradipmadgaonkar #pradip pic.twitter.com/NiF3rRgOmw
— Pradip_Madgaonkar (@PradipMadgaonk1) January 8, 2023
8 जनवरी 1939 को जन्मीं नंदा की फिल्मों में उनकी एंट्री की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। साल 1944, वो पांच साल की थीं। एक दिन जब वो स्कूल से लौटीं तो उनके पिता ने कहा कि कल तैयार रहना। फिल्म के लिए तुम्हारी शूटिंग है। इसके लिए तुम्हारे बाल काटने होंगे। बता दें कि नंदा के पिता विनायक दामोदर कर्नाटकी मराठी फिल्मों के सफल अभिनेता और निर्देशक थे। बाल काटने की बात सुनकर नंदा नाराज हो गईं।
*Remembering Nanda her birth anniversary…..* The graceful actress gave versatile performances in memorable films. Nanda acted with stars like Shashi Kapoor & Rajesh Khanna when they were just newcomers, & she was a bigger star.
A lovely song from "Jab jab phool khille" pic.twitter.com/ZPCffYCh5b
— Dr Srinivas Patnaik (@pattudoctor68) January 8, 2023
उन्होंने कहा, ‘मुझे कोई शूटिंग नहीं करनी।’ बड़ी मुश्किल से मां के समझाने पर वो शूटिंग पर जाने को राजी हुईं। वहां उनके बाल लड़कों की तरह छोटे-छोटे काट दिए गए। इस फिल्म का नाम था ‘मंदिर’। इसके निर्देशक नंदा के पिता दामोदर ही थे। फिल्म पूरी होती इससे पहले ही नंदा के पिता का निधन हो गया। घर की आर्थिक हालत बिगड़ने के चलते नंदा के छोटे कंधों पर जिम्मेदारी का बोझ आ गया। मजबूरी में उन्होंने फिल्मों में अभिनय करने का फैसला लिया।
https://t.co/sIIbskVN6E – Dekhiye Bemisaal Actress Nanda ki Biography On Bollywood Classic Era
— Jyoti Saxena (@JyotiSa41469976) January 6, 2023
नंदा महज 10 साल की उम्र में ही हीरोइन बन गईं। लेकिन हिन्दी सिनेमा की नहीं बल्कि मराठी सिनेमा की। दिनकर पाटिल की निर्देशित फिल्म ‘कुलदेवता’ के लिये नंदा को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विशेष पुरस्कार से नवाजा था। नंदा ने कुल 8 गुजराती फिल्मों में काम किया। हिंदी में नंदा ने बतौर हीरोइन 1957 में वी शांता राम की फिल्म ‘तूफान और दिया’ में काम किया था।
1959 में नंदा ने फिल्म ‘छोटी बहन’ में राजेंद्र कुमार की अंधी बहन का किरदार निभाया था। उनका अभिनय दर्शकों को बहुत पसंद आया। उस दौरान लोगों ने उन्हें सैकड़ों राखियां भेजी थीं। इसी साल राजेंद्र कुमार के साथ उनकी फिल्म ‘धूल का फूल’ सुपरहिट रही। इस फिल्म ने नंदा को बुलंदियों पर पहुंचा दिया।
बहन के रोल उनका पीछा नहीं छोड़ रहे थे। नंदा एक बार फिर 1960 की फिल्म ‘काला बाजार‘ में देवआनंद की बहन बनीं। नंदा ने सबसे ज्यादा 9 फिल्में शशिकपूर के साथ कीं। उन्होंने उनके साथ 1961 में ‘चार दीवारी’ और 1962 में ‘मेंहदी लगी मेरे हाथ’ जैसी फिल्में कीं लेकिन शशिकपूर के साथ सुपरहिट फिल्म रही ‘जब जब फूल खिले।
Remembering Iconic Indian Actress who appeared in Hindi & Marathi Films,
Nanda Karnataki Ji,
on Her 84th Birth Anniversary.
🙏🌹🌹🎂🎉🎂🌹💐🙏 pic.twitter.com/dwyjaRT0Ku
— kunal kishore rana (@kunalkishoreran) January 7, 2023
नाजुक, छुई-मुई और प्यारी सी लड़की की छवि को तोड़ने नंदा ने राजेश खन्ना के साथ फिल्म ‘इत्तेफाक’(1969) में निगेटिव किरदार तक निभाया, लेकिन दर्शक उनका ये रूप नहीं स्वीकार सके।
तभी उन्हें फिल्म ‘नया नशा’ (1973) ऑफर हुई। इसमें नंदा ने ड्रग एडिक्ट की भूमिका निभाई, लेकिन फिल्म फ्लॉप हो गई। नंदा को समझ आ गया कि उनके सहज और स्वाभाविक अभिनय को ग्लैमर का रंग देने की कोशिश में उनकी अपनी पहचान ही खत्म हो जाएगी।
“गुलाबी आंखें, जो तेरी देखी, शराबी ये दिल हो गया..”
"The Train"
Today's birth anniversary of actress Nanda.
🙏 🎉 💐🌹 💐🎉🙏🌸 💫
Hindi film lovers would remember great actress and gentle star Nanda, as an enigma who brightened the pic.twitter.com/X4eKLgRCAJ
— Subhash Shirdhonkar (@4331Subhash) January 8, 2023
इसके बाद नंदा ने ‘असलियत’ (1974), ‘जुर्म और सजा’ (1974) और ‘प्रयाश्चित’ (1977) जैसी फिल्में कीं। फिर ‘प्रेम रोग‘ के बाद ‘आहिस्ता-आहिस्ता‘ और ‘मजदूर‘ जैसी कुछ एक फिल्मों में दिखाई दी। लेकिन नंदा का समय खत्म हो गया था। इसका एहसास उन्हें भी था इसलिए उन्होंने बेहद शालीनता से खुद को रुपहले पर्दे की चकाचौंध से अलग कर लिया। 75 साल उम्र में 25 मार्च 2014 को नंदा का निधन हो गया था।
जिंदगी में आए देसाई लेकिन
घर नहीं बस सका
मशहूर डायरेक्टर मनमोहन देसाई से नंदा बेइंतहां मोहब्बत करती थीं। देसाई भी उन्हें चाहते थे। लेकिन बेहद शर्मीली नंदा ने मनमोहन को कभी अपने प्यार का इजहार करने का मौका ही नहीं दिया और उन्होंने शादी कर ली।
मनमोहन की शादी के बाद नंदा तन्हाई और गुमनामी के अंधेरों में खो गईं। कुछ समय बाद देसाई की पत्नी का निधन हो गया। इसके बाद मनमोहन ने फिर से नंदा के नाम मोहब्बत का पैगाम पहुंचाया।
नंदा ने उसे कबूल कर लिया। उस दौरान नंदा 52 साल की हो चुकी थीं। 1992 में 53 साल की नंदा ने उनसे सगाई कर ली। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। सगाई के दो साल बाद ही 1 मार्च 1994 को मनमोहन देसाई ने अपनी बिल्डिंग की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली। बदकिस्मती से दोनों कभी एक नहीं हो पाए और नंदा अविवाहित ही रह गईं।