राज्यपाल ने कहा- टीबी का इलाज अब संभव,अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें औऱ् इसके प्रति जागरुकता फैलाएं,जल जीवन मिशन का एप्प लॉन्च
खरोरा । अमिटी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ और यूनिसेफ की ओर से जलवायु परिवर्तन विषय पर आयोजित नेशनल कनक्लेव के शुभारंभ के मौके पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने जल जीवन मिशन एप्प लॉन्च किया।
राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा- आज छ्तीसगढ़ सरकार, एमिटी विश्वविद्यालय और यूनिसेफ की ओर से आयोजित समम्मेलन में शामिल होकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य के लालच का परिणाम है-जलवायु परिवर्तन। महात्मा गांधी ने कहा था- प्रकृति मनुष्य की हर आवश्यकता पूरी करती है,लेकिन हर लालच को पूरी नहीं करती है। कोरोना में ऑक्सीजन की कमी से कई नागरिकों को जान गंवाना पड़ा है, यह गंभीर समस्या है। UNICEF and Amity University committed to make rural life accessible through ‘Jal Jeevan Mission’ and ‘Bihaan’ – Governor Uikey
जब मैने पहली बार 2019 जुलाई में ज्वाइन किया तो न्यूज मीडिया में मैंने देखा कि सुपेबेड़ा में लोग कैसे एक किडनी की बामारी से जुझ रहे हैं, और वहां के अशुद्ध पानी के कारण 200 लोगों की मौत किडनी की समस्या से हुई। वहां नागरिकों ने शासन से शुद्ध पानी की सप्लाई की मांग रखी थी। मैंने वहां जाकर वास्तविक स्थिति को देखा और त्वरित निर्णय लिया, आज उन्हें शुद्ध पानी मिल रहा है।
‘जल जीवन मिशन’ और ‘बिहान’ जैसे कार्यक्रमों से ग्रामीण जीवन को व्यवस्थित और सुलभ बनाने के लिए यूनिसेफ और एमिटी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ प्रतिबद्ध हैं। दोनों ही संस्थान साझा रूप से सतत् विकास के लिए कार्य कर रही हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ के ग्रामीण युवाओं का समूह- ‘युवोदय’ आज सरकार की योजनाओं को गांव के अंतिम व्यक्ति तक लेकर जा रहा है, प्रशिक्षित कर रहा है, ताकि हमारे ग्रामीण योजनाओं का लाभ ले सकें।
उन्होंने कहा-मैं आशान्वित हूं कि यह सम्मेलन शिक्षकों, नीति निर्माताओं और औद्योगिक घरानों के विद्वानों के लिए सतत् विकास से संबंधित योजना बनाने में सहायक साबित होगा। पर्यावरण के संरक्षण और जैविक संपदा के समानांतर विकास में यह सम्मेलन अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने जा रहा है।
यहां आयोजित होने वाले तकनीकी सत्रों में इस बात पर जोर दिया जाएगा कि- आखिर कैसे हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सतत् विकास के लिए कर सकें, ताकि भारत और विश्व की आगामी पीढ़ी शुद्ध हवा, शुद्ध जल और शुद्ध जलवायु में स्वतंत्र होकर जीवनयापन कर सकें। स्वतंत्रता का अर्थ- केवल अच्छी शिक्षा और रोजगार के अवसर प्राप्त करना ही नहीं है बल्कि शुद्ध वातावरण में जीवनयापन करना भी है।
शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक विकास की दृष्टि से योजनाएं बनती हैं लेकिन जब तक विद्वानों द्वारा योजनाओं के निर्माण हेतु परिचर्चा न हो, सलाह व सुझाव प्राप्त न हो। किसी भी योजना के प्रति नागरिकों को जागरुक करना असंभव है। इसका उदाहरण कोविड काल में देखने को मिला, जब मीडिया और विशेषज्ञों की पहुंच से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग वैक्सीन से डरने लगे थे, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों के गहन शोध का ही परिणाम है कि हमने उस भयंकर स्थिति पर काबू पा लिया है।
यूनिसेफ और एमिटी विश्वविद्यालय ने ‘जलवायु परिवर्तन’ की समस्या के निदान को एक मिशन की तरह लिया है। मैं आप लोगों को बताना चाहती हूं कि यह छत्तीसगढ़ का पहला विश्वविद्यालय है, जिसने ‘जलवायु परिवर्तन’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है।
15 साल पहले के इस समस्या के लिए शासन ने त्वरित निर्णय लिया। हम सभी की जिम्मेदारी है कि स्वास्थ्य के लिए जल के महत्व को अभियान के रुप में पूरे देश में चलाया जाय। मैं धन्यवाद देती हूं सेल्वामूर्ति जी आपने 15 विद्यार्थियों को गांव में भेजकर इसके लिए पहल की है।
मध्यप्रदेश के पचमढ़ी से तामिया तक लगे पेड़ मेरे ही द्वारा किए वृक्षारोपण का परिणाम है। आप मेरा गृहनिवास छिंदवाड़ा का फॉर्महाउस देखेंगे कि वहां लगाए पौधे आज विशाल वृक्ष बन चुके हैं। प्रकृति में वृक्ष ऊर्जा के श्रोत हैं, ऊर्जा मुझे यहीं से प्राप्त हुई, विभिन्न पदों में रहकर जो मैंने काम किया वह उन वृक्षों से प्राप्त ऊर्जा है जिससे मैं प्रेरित होती हूं। पर्यावरण के बीच रहकर मन को सुकुन मिलता है, तनाव दूर हो जाता है।
पेड़ों को बढ़ते देखना प्रसन्न रखता है। प्रकृति को मां का दर्जा है, लेकिन औद्योगिकीकऱण के युग में वनों को संसाधन मानकर पेड़ काटे जा रहे हैं, लेकिन वृक्षारोपण के कोई उपाय नहीं किया जा रहा है। पीने का पानी और सिंचाई के लिए भू-जल स्तर के कम होने से स्थिति सही नहीं है।
छत्तीसगढ़ तालाबों की नगरी के लिए जाना गया है। यहां की संस्कृति-परंपरा ऐसी है कि हर गांव में छोटे-छोटे तालाब हैं यही कारण है कि अन्य राज्यों से तुलना करने पर यहां की स्थिति बेहतर है। धान का कटोरा इसलिए है क्योंकि धान के लिए जल की आवश्यकता अधिक है, यहां जल पर्याप्त है।
जब से कोरोना आया है तब से लोगों का ध्यान ऑर्गनिक अनाज और फलों की ओर हुआ है। कोरोना ने सीख दी है कि जीवन जीने के लिए खान-पान में शुद्धता अपनानी होगी। पीपल ऑक्सीजन उत्सर्जित करने का प्रमुख वृक्ष है।
हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी वैश्विक मंच पर जलवायु परिवर्तन से उपजी समस्या का उल्लेख कई बार कर चुके हैं, निरंतर समाधान हेतु पहल करते रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया था जो अब पूरा हो चुका है।
उन्होंने कहा-मैं आज अमिटी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के इस मंच से आप सभी को बताना चाहती हूं कि अब टीबी से डरने की आवश्यकता नहीं है, इसका इलाज संभव है। यह जानकारी अमिटी के इस मंच से मैं आप सभी को बता रही हूं, नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में अब आप इलाज करा सकते हैं। अपने परिचितों और आसपास सभी नागरिकों को इसकी जानकारी देकर टीबी रोग के प्रति जागरुकता का प्रसार करें।
इस दौरान प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर पीयूषकांत पांडे ने कहा-छत्तीसगढ़ में पहली बार जल, ऊर्जा एवं जलवायु विषय पर नेशनल कनक्लेव आयोजित किया गया है, छत्तीसगढ़ का 42 प्रतिशत भौगोलिक हिस्सा वनों से आच्छादित है। जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए वन महत्वपूर्ण है, यहां कोयला, पानी, लौह और एल्युमिनियम खनिज का भंडार। यह सिर्फ जंगल प्रदेश नहीं बल्कि खनिज से भरपुर और विकसित उद्योगों के लिए भी जाना जाता है।
हम ऊर्जा के रुप में कोयला, पेट्रोल इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए कार्बन डायआक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। इसलिए हम सभी को जलवायु को संतुलित रखने में अपनी भूमिका निभानी है। ढंड में अधिक ढंड, गर्मी में अधिक गर्म और बारिश के मौसम में इतनी अधिक बारिश कि हमें बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है।
हमारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने हर गांव तक जल जीवन मिशन योजना को पहुंचाने का संकल्प लिया है, इससे प्रेरित होकर यूनिसेफ और अमिटी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ ने विभिन्न पहल की है, यह सम्मेलन भी इसी का हिस्सा है। हमारे छात्र 28 जिलों में जल जीवन मिशन के लिए कार्यरत हैं, आज हमारे प्रोफेसर्स, विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ मिलकर ऐसी नीति निर्मित करने जा रहे हैं, जो सभी नागरिकों के लिए अपनाने योग्य होगा।
कुलपति डॉ. डब्लू. सेल्वामूर्ति ने कहा- राज्यपाल की उपस्थिति से इस कनक्लेव की महत्ता बढ़ गई है। मैडम का अध्यात्मिक प्रभाव ऐसा है कि जब भी मैं इनसे मिलता हूं ऊर्जा से पूर्ण सकारात्मक दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित होता हूं।
राज्यपाल के आने से एक बदलवा देखने को मिला है, हर नागरिक के लिए राजभवन का दरवाजा खोल दिया है, समाज के निचले तबके के लोगों के लिए भी सेवाभाव देखने को मिलता है, पहली बार जब हमने महिला सशक्तिकरण कार्यशाला में जनजाति महिलाओं को प्रशिक्षित कर रहे थे, तब राज्यपाल ने इन प्रशिक्षित महिलाओं से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया।
दिल्ली के छत्तीसगढ़ भवन में जब मैडम से मुलाकात हुई तब मैजम ने हमें मार्गदर्शन दिया कि एमिटी विश्वविद्यालय में क्या-क्या बदलाव करने चाहिए, जिसे हमने अपनाया और आज यूनिसेफ के साथ हमारे 15 स्टूडेंट्स छत्तीसगढ़ के 28 गांवो में निरंतर कार्य कर रहे हैं। इन कनक्लेव के तीनों तत्व आपस में जुड़े हुए हैं। पर्यावरण की सुरक्षा का तात्पर्य स्वयं की सुरक्षा है।
डॉ अशोक चौहान फाउंडर चेयरपर्सन के प्रयास से देश-विदेश में 18 कैंपस है, 10 हजार से ज्यादा फैकल्टी और 2 लाख ज्यादा स्टूडेंट, 5 हजार शोधार्थी हैं, एक वैश्विक शक्ति के रुप हम विकसित हो रहे हैं, ज्ञान, कौशल और व्यवहारिक मूल्यों की शिक्षा और प्रशिक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हमारा विश्वविद्यालय समाज में अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग कर रहा है ताकि समाज के हर वर्ग के लिए हर क्षेत्र को बेहतर बनाने हमारे विद्यार्थी तत्पर हैं।
स्वतंत्रता के 75 वर्षों में हम दूध उत्पादन में विश्व में पहले स्थान में है। तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हम आयु प्रत्याशा में 37 से 62 आ चुके हैं। ग्लोबल इंडेक्स रैंकिंग में हम 81 से 40 स्थान पर पहुंच चुके हैं। यहां दो दिनों तक चलने वाले तकनीकी सत्रों में पर्यावरणविद् और प्रोफेसर अपना ज्ञान और अनुभव साझा करने जा रहे हैं, मेरी शुभकामनाएं आप सभी के साथ है।
Amity University Chhattisgarh is organising “National Level JJM App Development Hackathon 2022 “ on December 15.
Honorable Governor of Chhattisgarh, H.E, Sushri Anusuiya Uikey, will attend the launch event as the Chief Guest.#AmityUniversity #raipur pic.twitter.com/nAcKa5frNf
— Amity University Raipur (@AmityRaipur) December 15, 2022