‘‘जैविक खेती पर जन जागरूकता अभियान’’
विषय पर हुई एक दिवसीय कार्यशाला
रायपुर। अखिल भारतीय जैविक खेती नेटवर्क कार्यक्रम परियोजना All India Organic Farming Network Program Project और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद Indian Council of Agricultural Research के भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ Indian Agricultural Systems Research Institute, Modipuram,Meerut तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘जैविक खेती पर जन जागरूकता अभियान’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 5 अगस्त शुक्रवार को किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उदगार व्यक्त करते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल Dr. Girish Chandel, Vice Chancellor of Indira Gandhi Agricultural University Raipur ने कहा कि वर्तमान में जैविक खेती बहुत महत्वपूर्ण है, क्योकि साठ के दशक के बाद से कृषि में रसायनों का बेहिसाब उपयोग किया जा रहा है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति कम हुई है तथा कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में कमी आई है एवं खाद्य पदार्थाें की गुणवत्ता कम हुई है।
इसलिए यदि भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखना है और गुणवत्तायुक्त भाजन सामग्री की उपलब्धता बढ़ाना है तो जैविक खेती को अपनाना होगा। कार्यक्रम में दुर्ग, महासमुंद एवं रायपुर जिले के प्रगतिशील जैविक कृषक progressive organic farmer व गौठान समिति के सदस्य उपस्थित थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. एम.सी. भाम्ब्री ने कहा कि भारत में आदि काल से जैविक खेती होती आ रही है, जिससे मृदा संरक्षण और जल संरक्षण के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य बना रहता था। छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने इसे जैविक खेती के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया।
इस अभियान में प्राध्यापक डॉ. जयालक्ष्मी गांगुली ने कीट प्रबंधन और जैविक खेती, विभागाध्यक्ष डॉ. तापस चौधरी ने जैविक खेती जैव उर्वरकों की भूमिका, राहुल तिवारी ने छत्तीसगढ़ में जैविक प्रमाणीकरण और वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार ने जैविक खेती के मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। इस दौरान किसानों के बीच विशेषज्ञों के माध्यम से जैविक खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
इस अवसर पर संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक त्रिपाठी, निदेशक विस्तार डॉ. पी.के. चन्द्राकर, अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. के.एल. नंदेहा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. (मेजर) जी.के. श्रीवास्तव, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, वैज्ञानिक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।