आज जन्मदिन-येसुदास ने बेशक कम गीत
गाये, पर जितने भी गाये वे सदाबहार हो गए
मुंबई। जिन दिनों हिंदी फिल्मों में उत्तर भारतीय पुरुष आवाजों का दबदबा था, उन दिनों दक्षिण से आई एक आवाज ने ठंडी हवा के झोके का एहसास कराया। यह आवाज थी कट्टासेरी जोसेफ येसुदास की।
10 जनवरी 1940 को कोचीन केरल में जन्में येसुदास अब उम्र के 82 साल पूरे कर चुके हैं। उन्होंने कर्नाटक शैली के शास्त्रीय संगीत और फिल्मी पार्श्वगायन ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई।
येसुदास ने हिन्दी के अतिरिक्त मलयालम, तमिल, कन्नड़, तेलुगू, बंगाली, गुजराती, उड़िया, मराठी, पंजाबी, संस्कृत, रूसी तथा अरबी भाषाओं में भी गीतों को अपनी सुरीली आवाज दी है।
उन्होंने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1961 में की थी। लेकिन हिंदी फिल्मों में उनका उभार सलिल चौधुरी, ऊषा खन्ना और रविंद्र जैन जैसे संगीतकारों की संगत में हुआ। उनके गाए गीत ‘गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा’, ‘सुरमई अंखियों में’, ‘दिल के टुकड़े-टुकड़े करके’, ‘जानेमन-जानेमन तेरे दो नयन’, ‘चाँद जैसे मुखड़े पे’ सबकी जुबां पर चढ़ गए।
दक्षिण भारतीय भाषाओं में उन्होंने कई सफल फिल्में भी बनाईं, जैसे- ‘वडाक्कुम नाथम’, ‘मधुचंद्रलेखा’ और ‘पट्टनाथिल सुंदरन’। सर्वश्रेष्ठ गायन के क्षेत्र में सात राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले वे देश के एकमात्र गायक हैं। वर्ष 2002 में येसुदास को भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था।
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येसुदास के पिता ऑगस्टाइन जोसेफ तथा माता एलिसकुट्टी हैं। पिता ऑगस्टाइन जोसेफ एक मंझे हुए मंचीय कलाकार एवं गायक थे, जो हर हाल में अपने बड़े बेटे येसुदास को पार्श्वगायक बनाना चाहते थे। येसुदास के पिता, जब वे अपने रचनात्मक करियर के शीर्ष पर थे, तब कोच्चि स्थित उनके घर पर दिन रात दोस्तों और प्रशंसकों का जमावड़ा लगा रहता था; किंतु जब बुरे दिन आए, तब बहुत कम ही लोग ऐसे थे, जो मदद को आगे आए।
येसुदास की पत्नी का नाम प्रभा है। इनके तीन बेटे विनोद, विजय तथा विशाल हैं। दूसरे पुत्र विजय येसुदास एक संगीतकार हैं, जिन्हें वर्ष 2007 तथा 2013 में सर्वश्रेष्ठ पुरुष गायक के तौर पर ‘केरल राज्य फिल्म अवॉर्ड’ मिला था।
येसुदास का बचपन गरीबी में बीता, पर उन्होंने उस छोटी-सी उम्र से अपने लक्ष्य निर्धारित कर लिए थे और ठान लिया था कि अपने पिता का सपना पूरा करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। उन्हें ताने सुनने पड़े, जब एक ईसाई होकर वे कर्नाटक संगीत की दीक्षा लेने लगे।
Wishing K J Yesudas a very happy birthday. very few singers till date have managed to reach his stature. We are indebted to you forever, sir.#HappyBirthdayKJYesudas pic.twitter.com/j0Nhm5kf9R
— Ashish Vivek Merukar (@AMerukar) January 10, 2023
एक समय ऐसा भी आया कि वे अपने ‘आर.एल.वी. संगीत अकादमी’ की फीस भी बमुश्किल भर पाते थे। ऐसा भी दौर था, जब चेन्नई के संगीत निर्देशक उनकी आवाज में दम नहीं पाते थे और ए.आई.आर. त्रिवेन्द्रम ने उनकी आवाज को प्रसारण के लायक नही समझा। लेकिन जिद के पक्के उस कलाकार ने सब कुछ धैर्य के साथ सहा।
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‘एक जात, एक धर्म, एक ईश्वर’ आदि नारायण गुरु के इस कथन को अपने जीवन का मन्त्र मानने वाले येसुदास को पहला मौका मिला 1961 में बनी फिल्म ‘कलापदुक्कल’ से। प्रारम्भ में उनकी शास्त्रीय अंदाज की सरल गायकी को बहुत सी नकारात्मक टिप्पणियों का सामना करना पड़ा, लेकिन येसुदास ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। संगीत प्रेमियों ने उन्हें सर आँखों पे बिठाया। भाषा उनकी राह में कभी दीवार नहीं बन सकी।
“Your best 2mins of today”
Happy birthday #KJYesudas (10/01).
What are your favourite K J Yesudas songs. If possible pls share youtube links. pic.twitter.com/AkYk0XsSOZ
— Bollywoodirect (@Bollywoodirect) January 9, 2023
दक्षिण के सिनेमा में अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखेरने के बाद येसुदास ने हिंदी फिल्मों की ओर रूख किया। फिल्म ‘जय जवान जय किसान’ के लिए पहला हिन्दी गीत गया, लेकिन पहले रिलीज हुई फिल्म ‘छोटी सी बात’। उन्होंने 70 के दशक के सबसे मशहूर अभिनेताओं के लिए अपनी आवाज दी। इनमें अमिताभ बच्चन, अमोल पालेकर और जितेन्द्र शामिल हैं। इस दौरान उन्होंने कई गाने गाए।
मलयालम फिल्म संगीत तो येसुदास के जिÞक्र के बिना अधूरा है ही, पर गौरतलब बात ये है कि उन्होंने हिन्दी में भी जितना काम किया, कमाल का किया। सलिल दा ने उन्हें सबसे पहले फिल्म ‘आनंद महल’ में काम दिया। ये फिल्म नहीं चली, पर गीत मशहूर हुए, जैसे- ‘आ आ रे मितवा …।’ फिर मशहूर संगीतकार तथा गीतकार रविन्द्र जैन के निर्देशन में उन्होंने 1976 में आई सुपरहिट हिन्दी फिल्म ‘चितचोर’ के गीत गाये।
Growing up listening to his Carnatic renditions, devotional and filmy hits.. Times flew, from AIR to cassettes to CDs to USBs and now online streaming platforms. This legend has so much to get inspired for and to learn from ❤️
Happy Birthday Yesudas sir 🙏🏻✨ pic.twitter.com/oWrw80nxiR
— Malavika Sathian (@iammalavika) January 10, 2023
इस फिल्म के संगीत ने लोगों के दिलों में येसुदास के लिए एक खास जगह बना दी। ‘चितचोर’ का गीत ‘गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा, मैं तो गया मारा’ जिसने भी सुना, वह येसुदास का दीवाना हो गया। इस गीत की रचना करने वाले रविन्द्र जैन भी येसुदास की आवाज के मुरीद हो गए। अपने 50 वर्षों के गायिकी करियर में येसुदास ने 14 भाषाओं में 35,000 से भी अधिक गीत गाए हैं।
‘येसु दा’ ने बेशक कम गीत गाये, पर जितने भी गाये, वे सदाबहार हो गए। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में ‘दासेएटन’ के नाम से जाने जाने वाले येसुदास की कामना थी कि वे मशहूर ‘गुरुवायुर मन्दिर’ में बैठकर कृष्ण स्तुति गायें, लेकिन मन्दिर के नियमों के अनुसार उन्हें मन्दिर में प्रवेश नहीं मिल सका और जब उन्होंने अपने दिल बात को एक मलयालम गीत ‘गुरुवायुर अम्बला नादयिल..’ के माध्यम से श्रोताओं के सामने रखा तो उस सदा को सुनकर हर मलयाली हृदय रो पड़ा।
येसुदास द्वारा गाये हुए कुछ प्रसिद्ध गीत निम्नलिखित हैं
जानेमन-जानेमन तेरे दो नयन-छोटी सी बात (1975)
गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा-चितचोर (1976)
जब दीप जले आना-चितचोर (1976)
तू जो मेरे सुर में-चितचोर (1976)
का करूँ सजनी-स्वामी (1977)
मधुबन खुशबू देता है-साजन बिना सुहागन (1978)
इन नजारों को तुम देखो-सुनयना (1979)
दिल के टुकड़े-टुकड़े करके-दादा (1979)
चाँद जैसे मुखड़े पे बिंदिया सितारा-सावन को आने दो (1978)
कहाँ से आए बदरा-चश्मेबद्दूर (1981)
सुरमई अखियों में-सदमा (1983)
अब चिरागों का कोई काम नहीं-बावरी (1981)
सम्मान तथा पुरस्कार
पद्म श्री-1975
पद्म भूषण-2002
राष्ट्रीय पुरस्कार (7 बार)-सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक
आंध्र प्रदेश राज्य फिल्म अवॉर्ड (5 बार)- सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक
कर्नाटक राज्य फिल्म अवॉर्ड (3 बार)- सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक
केरल राज्य फिल्म अवॉर्ड (26 बार)- सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक
तमिलनाडु राज्य फिल्म अवॉर्ड (5 बार)-सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक
पश्चिम बंगाल राज्य फिल्म अवॉर्ड (5 बार)-सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक
राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान-1991-92