मोदी ने कहा- हमें ऐसी व्यवस्था मिली, जहां
पढ़ाई का मतलब सिर्फ नौकरी ही माना गया
वाराणासी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 जुलाई गुरुवार को वाराणसी के रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर में नई शिक्षा नीति को लेकर आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम में मौजूद देशभर के शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य आधार शिक्षा को संकुचित सोच के दायरे से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के विचारों से जोड़ना है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में मेधा की कभी कमी नहीं रही। लेकिन दुर्भाग्य से हमें ऐसी व्यवस्था बनाकर दी गई थी, जिसमें पढ़ाई का मतलब नौकरी ही माना गया। आजादी के बाद शिक्षा नीति में थोड़ा बहुत बदलाव हुआ, लेकिन बहुत बड़ा बदलाव रह गया था। अंग्रेजों की बनाई व्यवस्था कभी भी भारत के मूल स्वभाव का हिस्सा नहीं थी और न हो सकती है।
मोदी बोले- मैं यहां का सांसद, आप सभी मेरे मेहमान
शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं वाराणसी का सांसद हूं इस नाते मैं मेजबान हूं और आप सभी हमारे मेहमान हैं। मैं आपका स्वागत करता हूं। कार्यक्रम में अगर कोई कसर रह जाए तो मैं पहले ही माफी मांग लेता हूं।
उन्होंने कहा कि ये समागम आज ऐसे समय में हो रहा है, जब देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। अमृत काल में देश के अमृत संकल्पों को पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी हमारी शिक्षा व्यवस्था और युवा पीढ़ी पर है।
उन्होंने आगे कहा कि काशी को भी मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं, क्योंकि हमारे यहां मुक्ति का एकमात्र मार्ग ज्ञान को ही माना गया है। इसलिए शिक्षा और शोध का, विद्या और बोध का मंथन, जब सर्व विद्या के प्रमुख केंद्र काशी में होगा तो इससे निकलने वाला अमृत अवश्य देश को नई दिशा देगा।
आज हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए भारत के निर्माण के लिए नई व्यवस्थाओं का निर्माण, आधुनिक व्यवस्थाओं का समावेश उतना ही जरूरी है। जो पहले कभी भी नहीं हुआ। जिनकी देश पहले कभी कल्पना भी नहीं करता था, वो आज के भारत में हकीकत बन रहे हैं। आज हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं।
स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में जहां पहले केवल सरकार ही सब करती थी वहां अब प्राइवेट प्लेयर्स के जरिए युवाओं के लिए नई दुनिया बन रही है। नई शिक्षा नीति में पूरा फोकस बच्चों की प्रतिभा और चॉइस के हिसाब से उन्हें स्किल्ड बनाने पर है। हमारे युवा स्किल्ड हों, कांफिंडेंट हों, प्रैक्टिकल और कलकुलेटिव हो, शिक्षा नीति इसके लिए जमीन तैयार कर रही है।
लंबे मंथन के बाद बनाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षाविदों से कहा कि आप सबको वर्तमान को संभालना है। आपके पहले जो करके गए हैं उसको आगे बढ़ाना है। लेकिन आज जो काम कर रहे हैं, उनको भविष्य के लिए ही सोचना होगा। व्यवस्थाएं भी भविष्य के लिए ही विकसित करनी होंगी।
आगे कहा कि 29 जुलाई को राष्ट्रीय शिक्षा नीति को दो साल पूरे होने वाले हैं। लंबे मंथन के बाद ये शिक्षा नीति बनाई गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इतनी विविधताओं से भरे देश में स्वागत हो, ये अपने आप में बहुत बड़ी सिद्धि है। हमने हर पल इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जिंदा रखा है। आगे कहा कि मैं स्वयं इतने कम समय में कम से कम 25 सेमिनार में गया हूं और इसी विषय पर बोलता रहा हूं।
अब मातृभाषा में पढ़ाई के रास्ते खोल रही राष्ट्रीय शिक्षा नीति
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने वाली टीम को हेड कर रहे कस्तूरी रंजन भी इस रिपोर्ट को देने के बाद लगातार लोगों से इस विषय पर संवाद कर रहे हैं। इन दो वर्षों में देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में कई ठोस कदम उठा चुका है। इस दौरान क्वालिटी और फ्यूचर रीडनेस जैसे जरूर विषयों पर हुई वर्कशॉप ने भी बहुत मदद की है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए देश के एजुकेशन सेक्टर में एक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी काम हुआ है। आज देश में बड़ी संख्या में नए कॉलेज खुल रहे हैं, नए विश्वविद्यालय खुल रहे हैं, नए आईआईटी और आईआईएम की स्थापना हो रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति अब मातृभाषा में पढ़ाई के रास्ते खोल रही है।
इसी क्रम में संस्कृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषाओं को भी आगे बढ़ाया जा रहा है। आज सारी दुनिया सोलर पावर की तरफ बढ़ रही है। भारत भाग्यवान है कि उसके पास तपता हुआ सूरज है। उस तपते हुए सूरज की शक्ति की हम कैसे प्रयोग करें। उसके सामर्थ्य को हम अपनी जीवन व्यवस्था का हिस्सा कैसे बनाएं।
नई शिक्षा नीति का रोडमैप होगा तैयार
तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम सहित अन्य जगहों से 400 से अधिक शिक्षाविद मंथन करेंगे। नई शिक्षा नीति का रोड मैप तैयार होगा। 2020 में बनी नीति के लागू होने के बाद अभी शिक्षण संस्थानों में किस तरह की कठिनाइयों, सुधार पर शिक्षामंत्री की मौजूदगी में शिक्षाविद विस्तार से चर्चा करेंगे।
साथ ही सुझावों को साझा भी करेंगे। समागम को लेकर जो प्रस्ताव रखे गए हैं, उन पर चर्चा के बाद उसका मसौदा सभी शिक्षण संस्थानों को भेजा जाएगा। नई शिक्षा नीति 2020 के लागू होने से जहां विश्वविद्यालयों की रैकिंग में सुधार होगा, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाने में कामयाबी मिलेगी।
कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती वंदना से हुआ जिसके पश्चात केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। तत्पश्चात उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
मंचस्थ अतिथियों में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री एवं उत्तर प्रदेश राज्य के शिक्षा मंत्री, तकनीकी शिक्षा मंत्री एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 की ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमेन डॉ. के. कस्तुरीरंगन उपस्थित रहे।
शोध एवं नवाचार के लिए प्रेरित करना होगा युवाओं को
उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष मना रहे है। विद्या हमें अमृत्व तक लेकर जाती है। शिक्षा से शोध तथा विद्या से बोध होता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से युवा आत्मनिर्भर बनेगा। युवाओं के सपनों को प्रोत्साहित करना हमारी जिम्मेदारी है।
अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान अपना स्थान बना रहे हैं। हमें युवाओं को शोध एवं नवाचार के लिए प्रेरित करना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा को संकुचित दायरे से बाहर निकालकर आधुनिक विचारों से जोड़ती है। हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने शोध परिणामों को प्रमाण के साथ प्रस्तुत करना होगा ताकि दुनिया में हमारे शोध की साख में वृद्धि हो।
इस आयोजन के उद्घाटन समारोह का प्रसारण विश्वविद्यालय के विभिन्न स्थानों जिनमें प्रशासनिक भवन के सभाकक्ष, लाइब्रेरी व न्यू आईटी भवन में किया गया था। कार्यक्रम में देशभर के केन्द्रीय एवं राज्य उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों के साथ देशभर के शिक्षाविद शामिल हुए। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थान के प्रमुख राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के संबंध में गहन मंथन किया।
डिजिटल यूनिवर्सिटी से छात्रों को क्या लाभ होंगे?, जानिए
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल वाराणसी में 7 से 9 जुलाई तक आयोजित अखिल भारतीय शिक्षा समागम- राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 क्रियान्वयन विमर्श में शामिल हुए।
तीन दिन के इस समागम में किन बिंदुओं पर चर्चा की गई, किस तरीके से नए शिक्षा नीति को लागू करने की रणनीति बनी और विद्यार्थियों को क्या लाभ होगा, इन तमाम मुद्दों को लेकर के खास जानकारी दी गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने।
उन्होंने कहा कि काशी में आयोजित यह समागम निश्चित तौर पर विद्यार्थियों के सुनहरे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा क्योंकि इस चर्चा में विद्यार्थियों को कैसे नई शिक्षा नीति से जोड़ा जा सके, उनके भविष्य को कैसे संवारा जा सके इस पर चर्चा की गई।
उन्होंने बताया कि इस चर्चा में दो प्रमुख बिंदु थे डिजिटल यूनिवर्सिटी व दूसरा एकेडमी। आगामी सत्र से इन दोनों को समावेशित करके छात्रों के भविष्य को और बेहतर बनाया जाएगा। इससे छात्र नए इनोवेशन पर जोर दें सकेंगे और भारत को बौद्धिक राष्ट्र बनाया जा सकेगा। नई शिक्षा नीति छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए तैयार की गई है।