बंदूक पर बस्ता भारी,बस्तर के धुर नक्सल इलाकों के स्कूलों का हाल
रायपुर। छत्तीसगढ़ में 16 जून से सरकारी स्कूल खुलने जा रहे हैं। बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में यह चौंकाने वाली खबर है कि शिक्षा विभाग यहां के नक्सल प्रभावित चार जिलों में 260 ऐसे स्कूल इस साल फिर से शुरू करने जा रहा है, जिनके भवन नक्सलियों ने 10 से 17 साल के बीच उड़ा दिए थे और ये स्कूल तभी से बंद हैं।
इनमें अकेले 158 स्कूल बीजापुर और 97 नारायणपुर जिले में हैं। हालात ये है कि सुकमा जिले में नक्सलियों की अघोषित राजधानी माने जाने वाले जगरगुंडा के परलागट्टा में 16 जून से वह स्कूल दोबारा खुलने जा रहा है, जिसे नक्सलियों ने 17 साल पहले उड़ा दिया था। यहीं के 12वीं पास युवक को शिक्षा दूत बनाकर स्कूल खोलने का जिम्मा उसे दिया गया है।
दक्षिण बस्तर में दुर्गम जंगलों के इन गांवों के स्कूलों को नक्सलियों ने नुकसान पहुंचाकर बंद करवा दिया था। तब दहशत से कई गांव खाली हो गए थे। कई जगह पक्की सड़क नहीं है, तो कुछ गांवों में अब भी पगडंडियों तक पहुंचा जा सकता है।
कोंटा ब्लॉक के बीईओ एसके दीप और असिस्टेंट बीईओ पी. श्रीनावास राव की मदद से कुछ ऐसे ही गांवों में लोगों से बातचीत में यह बात सामने आई कि बच्चे पढ़ने को तैयार है, माता-पिता भी चाहते हैं कि बच्चों को शिक्षा मिले।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में नक्सलियों के भय के चलते बच्चों को पोटाकेबिन में रखकर पढ़ाया जाता था। जब से फोर्स ने मोर्चा संभाला है, नक्सली बैकफुट पर हैं। अब कोशिश है कि पुराने बंद पड़े स्कूलों को खोला जाए, ताकि अपने गांव में ही बच्चे पहले की तरह पढ़ सकें।
सुकमा डीईओ नीतिन डडसेना, दंतेवाड़ा डीईओ राजेश कर्मा, बीजापुर डीईओ प्रकाश ठाकुर व जगदलपुर डीईओ भारती प्रधान ने भास्कर को बताया कि जितने भी स्कूल नक्सली दबाव में बंद हुए, सबको फिर खोलेंगे ताकि दूरी के कारण बच्चे पढ़ाई से वंचित न हों।
17 साल पहले जलाया था परलागट्टा स्कूल
सुकमा से 105 किमी दूर कोंटा ब्लाॅक में परलागट्टा… यह धुर नक्सल प्रभावित गांव है। सुकमा जिला मुख्यालय से जगरगुंडा की दूरी 90 किमी है, वहां से परलागट्टा की दूरी 15 किमी है। परलागट्टा तक पहुंचने के लिए पैदल पहाड़ी पार करना होता है, जिसमें 2 घंटे का वक्त लगता है।
फरवरी 2004 में स्कूल को नक्सलियों ने जला दिया था। तब से छात्र बचेली जाकर पढ़ाई कर रहे थे। अब इसी सत्र जून 2022 से यहां पर स्कूल खुलने जा रहा है। 30 बच्चों का दाखिला हो चुका है। यहां शिक्षा दूत नियुक्त हुआ है।
मनीकोंटा स्कूल उड़ा दिया था बम से
सुकमा से 55 किमी दूर मनीकोंटा गांव…यहां तक पहुंचने के लिए केवल कच्ची सड़क है। यहां 2005 के दौरान नक्सलियों ने प्राथमिक शाला को बम से उड़ा दिया था, जिसका मलबा आज भी यहां पड़ा हुआ है। ग्रामीण इस डर से गांव से पलायन कर गए। 2011 से धीरे-धीरे वापसी हुई, 2018 में पक्का स्कूल भवन बनकर तैयार हुआ।
यहां पदस्थ शिक्षक वीरबाबू सेमल ने बताया कि सालों तक झोपड़ी में स्कूल चलाया। कोरोनाकाल में पक्के स्कूल बना। 18 बच्चों में 13 लड़कियां हैं, नए सत्र में 4 और का दाखिला होगा।
सलवा जुड़ूम के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान
साल 2004 में नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुड़ूम आंदोलन की शुरुआत हुई थी। उस दौरान नक्सलियों ने स्कूलों को सबसे ज्यादा नुकसान ये कहकर पहुंचाया था कि ये फोर्स की ठहरने की जगह बन गए हैं। सुकमा के कोंटा ब्लॉक में 53 स्कूलों को नक्सलियों ने उड़ा दिया था। अब इन्हीं स्कूलों को नए भवन में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है।
छह हजार को फायदा
बीजापुर जिले में भी भैरमगढ़, उसूर, भोपालपट्टनम के प्रभावित गांव पेद्दाजोजेर, कमकानार, बुरजी, मल्लूर, पालनार, पुसनार, चोखनपाल, मेटापाल, मर्टीवाड़ा, गुज्जाकोंटा, सेंड्रा, पिल्लूर, मल्लेमपेंटा, उड़तामल्ला, पालागुड़ा, पुलादी, मड़कापाल, कुंगलेर और वायनार जैसे अतिसंवेदनशील गांव में स्कूल खोलने जा रहे हैं। इनमें ही कंडुलनार एक गांव हैं, जिसके स्कूल को सलवा जुड़ूम के दौरान नक्सलियों ने उड़ा दिया था।अब यह स्कूल बनकर तैयार है। जिले के री-ओपन स्कूलों में 6000 से अधिक छात्र पढ़ेंगे।
शिक्षा दूत अहम कड़ी
विभाग के पास शिक्षकों की कमी है। स्थिति यह है कि सैंकड़ों स्कूलों में प्राथमिक कक्षाएं एक ही शिक्षक के भरोसे संचालित हो रही हैं। खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षकों की ज्यादा कमी है। यही वजह है कि सरकार शिक्षा दूत और ज्ञान दूत के कांसेप्ट पर काम कर रही है। इनमें से युवकों को चयन किया जाता है जो 12वीं पास हों और अपने ही गांव के स्कूल में शिक्षा देने तैयार हों। नक्सल क्षेत्रों में इनकी नियुक्तियां हो रही हैं।
”स्कूल शिक्षा विभाग की कोशिश है कि बच्चों को उनके गांव में ही शिक्षा मिले। इसलिए नक्सल वारदातों के कारण बस्तर में जो स्कूल वर्षों से बंद हैं, उनमें से 260 को खोल रहे है।”
-सुनील कुमार जैन, संचालक-स्कूल शिक्षा