पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति, राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने जताया शोक
रायपुर। पत्रकारिता, लेखन एवं प्रकाशन में दीर्घ अनुभव रखने वाले दिग्गज कलमकार रमेश नैयर (83) का बुधवार 2 नवंबर की शाम एक अस्पताल में निधन हो गया।
उनकी अंतिम यात्रा 4 नवम्बर शुक्रवार को सुबह 10 बजे समता कालोनी स्थित निवास से मारवाड़ी श्मशान घाट के लिए निकलेगी।
तत्कालीन संयुक्त मध्यप्रदेश और वर्तमान छत्तीसगढ़ में स्व. नैयर पत्रकारिता के शिखर व्यक्तित्व रहे। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी पत्रकारिता की।
राज्यपाल अनुसुईया उइके ने वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर के आकस्मिक निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने मृत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है और शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
राज्यपाल उइके ने अपने शोक संदेश में कहा कि रमेश नैयर का निधन छत्तीसगढ़ के पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने प्रदेश के प्रतिष्ठित पत्रकार श्री रमेश नैयर जी के आकस्मिक निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। राज्यपाल ने ईश्वर से दिवंगत की सद्गति की प्रार्थना करते हुए अपने शोक संदेश में श्री नैयर के निधन को छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति कही।
— Governor Chhattisgarh (@GovernorCG) November 2, 2022
उन्होंने कहा कि रमेश नैयर ने हिंदी और अंग्रेजी के कई राष्ट्रीय और प्रादेशिक समाचार पत्रों में अपनी सेवाएं दी। पत्रकारिता के क्षेत्र में रमेश नैयर का योगदान अतुलनीय है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि, मुझे स्वर्गीय नैयर से लगातार मार्गदर्शन मिलता रहा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति एवं परिवार जनों को संबल दे। उनके निधन पर पत्रकार जगत, राजनीति एवं समाज के प्रबुद्ध जनों ने शोक व्यक्त किया है।
छत्तीसगढ़ के गौरव व देश के प्रतिष्ठित पत्रकार, स्वर्गीय रमेश नैयर जी का निधन दुखद है।
पत्रकारिता के क्षेत्र में यह अपूरणीय क्षति है।
मुझे उनसे लगातार मार्ग निर्देशन मिलता रहा।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति एवं परिवारजनों को संबल दें।
ॐ शांति:
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) November 2, 2022
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्गीय नैयर ने कई अखबारों एवं पत्रिकाओं में कार्य किया था। वे पत्रकारिता के क्षेत्र में चलते फिरते पाठशाला थे, सैकड़ों लोगों को उन्होंने पत्रकारिता का ज्ञान दिया।
रायपुर को कर्मक्षेत्र चुना, शिक्षकीय
दायित्व भी निभाया.
पत्रकारिता के शिखर व्यक्तित्व रमेश नैयर का जन्म 1 अक्टूबर 1940 (जन्मपत्री के अनुसार 10 फरवरी 1940) को मौजूदा पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में हुआ था।
विभाजन के बाद उनका परिवार हिंदुस्तान आ गया। रायपुर को उन्होंने अपना कर्मक्षेत्र चुना।
भिलाई-तीन स्थित जनता स्कूल में उन्होंने शिक्षकीय दायित्व निभाया और बाद में पत्रकारिता की ओर मुड़ गए। उन्होंने एम.ए. अंग्रेजी (सागर विश्वविद्यालय) और एम.ए. भाषा विज्ञान (पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर) से किया था।
60 साल का दीर्घ अनुभव रहा पत्रकारिता-लेखन में
पत्रकारिता, लेखन एवं प्रकाशन में उन्हें दीर्घ अनुभव था। उपसंपादक, युगधर्म हिन्दी दैनिक रायपुर जुलाई 1964 से मार्च 1974, उपसंपादक, एम.पी. क्रॉनिकल रायपुर 1 अप्रैल से 1974 से 31 दिसंबर 1979 रहे।
वहीं संस्थापक संपादक, लोक स्वर हिन्दी दैनिक बिलासपुर जनवरी 1980 से 1982, सहायक संपादक, दैनिक ट्रिब्यून चंडीगढ़ 1 जनवरी 1983 से मार्च 1988, संपादक नवभास्कर, रायपुर अप्रैल 1988 से अक्टूबर 1989 रहे।
इसी तरह कार्यकारी संपादक, सण्डे आब्जर्वर (हिन्दी) दिल्ली और मुंबई 1 नवंबर 1989 से मार्च 1993, संपादक दैनिक भास्कर, रायपुर जून 1993 से मार्च 2001 रहे।
द हितवाद, रायपुर में स्थानीय संपादक और उसके साथ ही दैनिक भास्कर, रायपुर में सलाहकार संपादक 1 अप्रैल 2001 से जून 2003, कुछ समय जनसत्ता, रायपुर का संपादन और फिर एक वर्ष हिन्दी दैनिक हरिभूमि के सलाहकार संपादक रहे।
अनुवाद, यात्रा संस्मरण और अन्य
विषयों पर प्रकाशित हुईं किताबें
छत्तीसगढ़ के लेखकों पर केंद्रित उनकी तीन पुस्तकें संपादित और प्रकाशित हुईं। जिनमें कथायात्रा (माधवराव सप्रे से लेकर रमाकांत श्रीवास्तव तक छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कहानीकारों की प्रतिनिधि कहानियों का संकलन), उत्तरकथा (छत्तीसगढ़ के वर्तमान कथाकारों की कहानियों का प्रतिनिधि संकलन) और साधो जग बौराना (छत्तीसगढ़ के व्यंग्यकारों की महत्वपूर्ण रचनाओं के संग्रह का संपादन) शामिल हैं।
इसी तरह महान व्यक्तियों के जीवन पर केंद्रित पुस्तिकाओं का लेखन भी उन्होंने किया, जिनमें पं. सुंदरलाल शर्मा, डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी, पं. दीनदयाल उपाध्याय, माधवराव सप्रे, राममनोहर लोहिया, ठाकुर प्यारेलाल सिंह और पं. रविशंकर शुक्ल प्रमुख हैं।
ए बुक ऑफ चारा रिकार्ड – समय – समय पर लिखी गई उनकी व्यंग्य रचनाओं का संकलन, एक दिल हजार अफसाने (अरेबियन नाइट्स पर आधारित धारावाहिक किस्सों का भावानुवाद) दो संस्करण प्रकाशित हुआ।
साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार विजेता व्ही.एस. नायपॉल की पुस्तक – इंडिया: ए वूंडेड सिविलाइजेशन (भारत: एक आहत सभ्यता) के हिन्दी अनुवाद का पुनरीक्षण। व्ही.एस. नायपॉल के नवीनतम उपन्यास मैजिक सीड्स का हिन्दी में माटी मेरे देश की शीर्षक से अनुवाद उन्होंने किया।
कई सम्मान मिले
उन्हें कई सम्मान मिले। जिनमें श्रेष्ठ पत्रकारिता के लिए ऑल इंडिया आर्टिस्ट एसोसिएशन, शिमला का 1984-85 का सामाजिक पत्रकारिता के लिए पुरस्कार, पत्रकारिता के लिए झाबरमल शर्मा स्मृति शिखर सम्मान, श्रेष्ठ पत्रकारिता के लिए प्रथम वसुन्धरा सम्मान, ग्रामीण अंचलीय पत्रकार संघ जनपद मेरठ द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित हुए।
स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर
तक के प्रेस क्लब से जुड़े रहे
स्व. नैयर विभिन्न संगठनों से भी जुड़े रहे। जिसमें रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया दिल्ली तथा प्रेस क्लब चंडीगढ़ के सदस्य, तीन वर्षों तक इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट पुणे की चार सदस्यीय गवर्निंग काउंसिलिंग के सदस्य रहे।
इसके अलावा तीन वर्षों तक न्यूज नेटवर्क ऑफ इंडिया के मानद संपादक, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के सदस्य, दो वर्षों तक छत्तीसगढ़ विधानसभा की पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति के सभापति, दूरदर्शन, आकाशवाणी तथा अन्य टेलीविजन चैनलों के लिए लेखक, राजनैतिक समीक्षक और विषय विशेषज्ञ के रुप में कार्य भी किया।
वहीं छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक भी रहे। 152-ए, समता कॉलोनी, रायपुर में स्व. नैयर अपने परिवार सहित निवासरत थे।
विदेश प्रवास भी किया
उन्होंने अक्टूबर 1985 में लाहौर (पाकिस्तान) में हुई पत्रकारिता संगोष्ठी में हिस्सेदारी दी। नीदरलैण्ड्स के मास्ट्रिख्ट्स स्थित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के तत्वावधान में यूरोप भ्रमण किया।
इसी तरह यूरोपियन जर्नलिज्म सेंटर द्वारा आयोजित 28 फरवरी से 4 मार्च 2005 कवरिंग दि यूरोपियन इन्फरमेशन सेमीनार में भारत के सात सदस्यीय पत्रकार दल के एक सदस्य के रुप में भागदारी दी।
वहीं यूरोप में इटली, बेल्जियम, फ्रांस और नीदरलैण्ड्स की यात्रा, यूनाइटेड किंगडम की दो माह तक यात्राएं और प्रवास किया।
पुष्पांजलि अर्पित कर
श्रद्धांजलि दी बघेल ने
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर के निधन की खबर के बाद उनके निज निवास पहुंचकर पार्थिव देह पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री ने स्व. नैयर के शोक संतप्त परिजनों को सांत्वना देते हुए अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। इस मौके पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा है कि स्व. नैयर ने बतौर पत्रकार छत्तीसगढ़ के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी पत्रकारिता के प्रतिमान स्थापित किये हैं।
नैयर का निधन पत्रकारिता जगत में अपूरणीय क्षति है। मुझे उनसे लगातार मार्गदर्शन मिलता रहा। वे छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के पुरोधाओं में शामिल हैं।
वे अपने कृतित्व और व्यक्तित्व से नयी पीढ़ी के पत्रकारों को हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।