गीतांजलि श्री के मूल हिंदी उपन्यास ‘रेत की समाधि’ का डेजी
रॉकवेल ने किया है ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ नाम से अंग्रेजी में अनुवाद
नई दिल्ली। दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं। उनके उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सेंड’ के लिए उन्हें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है। इसके साथ ही यह हिंदी का पहला उपन्यास है, जिसने अंतर्राष्ट्रीय बुकर प्राइज जीतकर इतिहास रच दिया।
गीतांजलि श्री का यह उपन्यास मूल रूप से हिंदी शीर्षक ‘रेत की समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुआ था, जिसे डेजी रॉकवेल द्वारा अग्रेजी में ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के रूप में अनुवादित किया गया है। यह 50,000 पाउंड के पुरस्कार के लिए चुने जाने वाली पहली हिंदी भाषा की किताब है। जूरी के सदस्यों ने इसे ‘शानदार और अकाट्य’ बताया है।
अनुवादक के साथ साझा होगा पुरस्कार
बुकर प्राइज एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार है। यह पुस्कार अंग्रेजी में ट्रांसलेट और ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित किसी एक पुस्तक को हर साल दिया जाता है। 2022 के पुरस्कार के लिए चयनित पुस्तक की घोषणा सात अप्रैल को लंदन बुक फेयर में की गई थी। गुरुवार को लंदन में एक समारोह में लेखिका ने कहा कि वह बोल्ट फ्रॉम द ब्लू से पूरी तरह से अभिभूत थीं। उन्होंने 50,000 पौंड का अपना पुरस्कार लिया और पुस्तक के अंग्रेजी अनुवादक, डेजी रॉकवेल के साथ इसे साझा किया।
विभाजन की छाया में स्थापित एक कहानी
यह उपन्यास भारत के विभाजन की छाया में स्थापित एक कहानी है, जो अपने पति की मृत्यु के बाद एक बुजुर्ग महिला की कहानी को दर्शाता है। किताब की 80 वर्षीय नायिका मा, अपने परिवार की व्याकुलता के कारण, पाकिस्तान की यात्रा करने पर जोर देती है। गीतांजलि श्री कई लघु कथाओं और उपन्यासों की लेखिका हैं। उनके 2000 के उपन्यास माई को 2001 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए चुना गया था।
‘मैंने कभी नहीं सोचा था : गीतांजलि
गीतांजलि श्री ने कहा, मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं। मैं चकित, खुश, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं. उन्होंने कहा, इस पुरस्कार के मिलने से एक अलग तरह की संतुष्टि है। अमेरिका के वरमोंट में रहने वाली एक चित्रकार, लेखिका और अनुवादक रॉकवेल ने उनके साथ मंच साझा किया।
यूपी के मैनपुरी से है ताल्लुक
गीतांजलि श्री उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से ताल्लुक रखती हैं। श्री तीन उपन्यास और कई कथा संग्रह की लेखिका हैं। उनकी कृतियों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियन और कोरियन भाषाओं में अनुवाद हुआ है। दिल्ली में रहने वाली 64 वर्षीय लेखिका श्री की अनुवादक डेजी रॉकवेल एक पेंटर एवं लेखिका हैं जो अमेरिका में रहती हैं। उन्होंने हिंदी और उर्दू की कई साहित्यिक कृतियों का अनुवाद किया है।
दुनिया की 13 पुस्तकों में शामिल थी
गीतांजलि श्री का उपन्यास यह विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था। यह हिंदी भाषा में पहला ‘फिक्शन’ है जो इस प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार की दौड़ में शामिल था। ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब बन गई है।