पाकिस्तान का छांगा-मांगा 12 हजार 515 एकड़ में दुनिया का
सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल,नंदिनी में बनेगा 885 एकड़ में
आज विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष
भिलाई। करीब 60 साल तक देश व छत्तीसगढ़ के गौरव भिलाई स्टील प्लांट की भट्ठियों को चूना पत्थर (लाइम स्टोन) देने वाली नंदिनी नगर की ज्यादातर खदानें अब खाली हो चुकी हैं। इन खाली खदानों में अब विशाल मानव निर्मित जंगल तैयार हो रहा है।
ब्रिटिश काल में तत्कालीन पंजाब प्रांत (वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा) में छांगा-मांगा का जंगल दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल माना जाता है, जो 12,515 एकड़ में फैला है। इसके बाद अब हमारे नंदिनी में खाली पड़ी लाइम स्टोन की खदानों की 885 एकड़ जमीन पर नया मानव निर्मित जंगल विकसित होने जा रहा है।
लगभग 3.30 करोड़ रुपए की लागत से तैयार यह प्रोजेक्ट देश-दुनिया के सामने मिसाल है कि किस तरह से खनन के बाद खाली हो चुके समूचे खदान के क्षेत्र को एक बड़े कुदरती रहवास में बदला जा सकता है।
इस अनूठे मानव निर्मित जंगल के लिए जिला खनिज निधि (डीएमएफ) तथा अन्य मदों से राशि ली गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर पर्यावरण संरक्षण के लिए यह पूरा प्रोजेक्ट तैयार किया गया है।
885 एकड़ क्षेत्र में बना रहे मानव निर्मित जंगल
नंदिनी में सेल-भिलाई स्टील प्लांट की खाली पड़ी चूना पत्थर खदान के 885 एकड़ क्षेत्र में यह मानव निर्मित जंगल बनाया जा रहा है। 3 सालों में यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से तैयार होगा। 17 किलोमीटर क्षेत्र में फैले नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे वृक्ष मौजूद हैं।
अब खाली पड़ी जगह में 83,000 अन्य पौधे लगाए गए है। इनमें पीपल, बरगद, हर्रा, बेहड़ा और महुवा जैसे औषधि पौधे लगाए गए है।
वहीं यहां साल के पौधे भी लगाए जाएंगे। जब यह पौधे पूरी तरह बड़े हो जाएंगे और जंगल अपना आकार ले लेगा तब बिल्कुल मैदानी भूमि में यह सबसे बड़ा जंगल होगा।
पक्षियों के लिए आदर्श रहवास बनेगा
पूरे प्रोजेक्ट को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह पक्षियों के लिए भी आदर्श रहवास बने। पक्षियों के पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां पर एक बहुत बड़ा वेटलैंड है जहां पर पहले ही बहुत से पंछी रह रहे हैं।
इनमें पानी से सीधे उड़ान भरने वाली व्हिसलिंग डक्स, जिसे हिंदी में छोटी सिल्ही भी कहते हैं और आकार में बगुले से बड़ा और सारस से छोटा ओपन बिल स्टार्क यहां अक्सर देखे गए हैं।
जंगल में पक्षियों के रहवास का भी खास ध्यान रखा जाएगा। यहाँ झील के पास ऐसे पौधों का चयन किया गया है। जहाँ पक्षियों के घोंसलों के लिए और उनके अंडे देने के लिए अनुकूल माहौल होगा।
इससे पूरे जंगल के पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित होने की भी भरपूर संभावना है। यहां झील को तथा नजदीकी इलाके को पक्षियों के प्रजनन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
इको टूरिज्म का होगा विकास, लोग देखेंगे खूबसूरत नजारे
इस मानव निर्मित जंगल में घूमने के लिए भी विशेष व्यवस्था होगी। इसके लिए भी आवश्यक कार्य योजना बनाई जा रही है ताकि यह छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु देश के सबसे बेहतरीन घूमने की जगह में शामिल हो सके।
नंदिनी के इस इलाके को इको-एथनिक टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा। जिसमें लैंडस्केपिंग और वाटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री बघेल के हाथों पिछले साल हुई है शुरूआत
जन वन कार्यकम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते साल 15 सितंबर 2021 को यहाँ बरगद का पौधा लगा कर इस सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल का विधिवत शुभारंभ किया था। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री तथा दुर्ग जिले के प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर, पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार व उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल सहित तमाम अतिथियों ने भी पौधरोपण किया।
इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) राकेश चतुर्वेदी ने विस्तार से प्रोजेक्ट की जानकारी दी और इस कार्य मे लगे अधिकारियों को बधाई दी। वन संरक्षक (सीएफ) शालिनी रैना ने भी प्रोजेक्ट की टीम को बधाई दी।
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे तथा जिला वन अधिकारी (डीएफओ) धम्मशील गणवीर ने मुख्यमंत्री को यहां की तैयारियों की जानकारी दी। इस मौके पर पीसीसीएफ वन्य संरक्षण नरसिंह राव, लघु वनोपज के एमडी संजय शुक्ला, आईजी विवेकानंद सिन्हा एवं भिलाई स्टील प्लांट के डायरेक्टर इंचार्ज अनिर्बान दासगुप्ता सहित अन्य उपस्थित रहे।
दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल
छांगा-मांगा का, घूमने ट्रेन की भी सुविधा
वर्तमान में पाकिस्तान के छांगा-मांगा जंगल को दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल माना जाता है। यह समूचा जंगल 5,065 हेक्टेयर (12,515 एकड़) के क्षेत्र में फैला हुआ है। दो डकैत भाईयों छांगा और मांगा के नाम पर पड़े इस जंगल को तैयार करने 1866 में ब्रिटिश काल में पौधारोपण की शुरूआत की गई थी।
पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब प्रांत के कसूर और लाहौर जिलों में फैला यह जंगल लाहौर से लगभग 80 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह जंगल मूल रूप से रेलवे में ईंधन व अन्य जरूरतों के लिए लकड़ी की आपूर्ति के लिए विकसित किया गया था।
यह मानव निर्मित जंगल वनस्पतियों और जीवों की विस्तृत विविधता से भरपूर है। इस जंगल में स्तनधारियों की 14 प्रजातियों, पक्षियों की 50 प्रजातियों, सरीसृपों की 6 प्रजातियों, उभयचरों की 2 प्रजातियों और कीड़ों की 27 प्रजातियों का कुदरती आवास है।
बताते हैं कि यहां सक्रिय दोनों डकैत भाई छांगा और मांगा आतंक के पर्याय बन गए थे। दोनों यहां से गुजरने वाले लोगों को लूट कर जंगल में अपनी मांद में छिप जाते थे और ब्रिटिश पुलिस के लिए चुनौती बन गए थे। बाद में दोनों भाईयों ने आत्मसमर्पण किया। इससे इनकी यह मांद एक प्रेरणा स्थल बन गई और यहां ब्रिटिश सरकार ने अपराधियों के सुधार के लिए वन स्थल पर शिविर खोला।
इस दौरान बाद यहां बड़े पैमाने पर पेड़ लगवाए गए। जो बाद में दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल में तब्दील हुआ। यह जंगल आज तफरीह की शानदार जगह है। जहां आवागमन के लिए रेल की भी सुविधा है।