छत्तीसगढ़ के महापुरुष पं.सुंदरलाल शर्मा
और ठाकुर प्यारेलाल सिंह की जयंती आज
पीयुष कुमार
21 दिसंबर 1881 को राजिम के पास चमसूर में जन्मे पंडित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ के सामाजिक-राजनैतिक क्रांति के अग्रदूत थे। वे कवि, समाजसेवी, इतिहासकार, स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्हें ‘छत्तीसगढ़ का गांधी’ कहा जाता है। वे संस्कृत, बांग्ला, उड़िया भाषाओं के विद्वान थे। Today is the birth anniversary of great personality of Chhattisgarh Pt. Sunderlal Sharma and Thakur Pyarelal Singh
किशोरावस्था से ही साहित्य कर्म में संलग्न होनेवाले सुंदरलाल सामाजिक बुराईयों को मिटाने के लिए शिक्षा को आवश्यक समझते थे। उन्होंने हिंदी तथा छत्तीसगढ़ी मे 18 ग्रंथों की रचना की, जिसमें छत्तीसगढ़ी ‘दान-लीला’ चर्चित कृति है। उंन्होने छत्तीसगढ़ी में ‘दुलरवा’ और हिंदी में ‘कृष्ण जन्मस्थान’ पत्रिका निकाली थी।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और विख्यात साहित्यकार स्व. पं. सुंदरलाल शर्मा जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन।
पंडित जी ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध कंडेल सत्याग्रह व किसानों के अधिकारों की लड़ाई लड़कर एक नई राह दिखाई थी, "छत्तीसगढ़ के गांधी" के रूप में उनके योगदान हमेशा स्मरणीय रहेंगे। pic.twitter.com/wi1LnZJ47G
— Dr Raman Singh (@drramansingh) December 21, 2022
स्वतंत्रता संघर्ष में सुंदरलाल शर्मा ने राष्ट्रीय कृषक आंदोलन, मद्यनिषेध, आदिवासी आंदोलन, स्वदेशी आंदोलनों से जुड़े और इस संघर्ष में अपनी बड़ी संपत्ति लगा दी, जेल गए। छत्तीसगढ़ में व्याप्त रुढ़िवादिता, अंधविश्वास, अस्पृश्यता आदि को दूर करने के लिए पंडित सुंदरलाल शर्मा के प्रयास अनुकरणीय हैं।
उनके हरिजनोद्धार कार्य की प्रशंसा महात्मा गांधी ने की थी और कहा था कि इस मामले में तो आप मेरे गुरु हैं। इनके ही प्रयासों से महात्मा गांधी 20 दिसम्बर 1920 को पहली बार रायपुर आए और कंडेल नहर सत्याग्रह सफलतापूर्वक संचालित हुआ।
सुंदरलाल शर्मा का 28 दिसम्बर 1940 को निधन हुआ। छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में छत्तीसगढ़ी साहित्य के लिए पं. सुन्दरलाल शर्मा सम्मान स्थापित किया है साथ ही उनके नाम पर पण्डित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ की स्थापना की गई है।
छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन के प्रणेता ठा. प्यारेलाल का जन्म 21 दिसम्बर 1891 को राजनांदगांव जिले के दैहान ग्राम में हुआ था। बचपन से ही वे राष्ट्रीय विचारधारा से लबरेज थे। वे विद्यार्थियों के साथ वन्देमातरम् नारा लगाते थे। उन्होंने 1909 में राजनांदगांव में सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना की थी। उन्होंने 1920 में राजनांदगांव में कपड़ा मिल-मालिकों के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई, जिसमें मजदूरों की जीत हुई।
यह हड़ताल 37 दिन चली जो देश मे मजदूरों की सबसे लंबी और पहली हड़ताल थी। इनके स्थानीय आंदोलनों ने और जन-सामान्य को राष्ट्रीय आंदोलन के लिए जागृत किया। ठाकुर प्यारेलाल छत्तीसगढ़ में शराब की दुकानों में पिकेटिंग, हिन्दू-मुस्लिम एकता, नमक कानून तोड़ना, दलित उत्थान जैसे अनेक कार्यो का संचालन किया।
महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा छत्तीसगढ़ में श्रमिक आंदोलन के सूत्रधार व सहकारिता आंदोलन के प्रणेता ठाकुर प्यारेलाल सिंह जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन। श्रमिक उत्थान तथा स्वाधीनता संग्राम में दिया गया आपका योगदान कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता: CM pic.twitter.com/Y7sMMX7rii
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) December 21, 2021
देश सेवा करते हुए आप अनेक बार जेल गए। वे 1937 में रायपुर नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गए और तीन बार चुने गए, यह भी एक रिकॉर्ड है। 1945 में उन्होंने छत्तीसगढ़ बुनकर सहकारी संघ की स्थापना की। 1952 में वे रायपुर से विधानसभा के लिए चुने गए तथा विरोधी दल के नेता बने।
विनोबा भावे के भूदान एवं सर्वोदय आंदोलन को आपने छत्तीसगढ़ में विस्तारित किया। 20 अक्टूबर 1954 को भूदान यात्रा के समय अस्वस्थ हो जाने से आपका निधन हो गया। छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में सहकारिता के क्षेत्र में ठाकुर प्यारेलाल सिंह सम्मान स्थापित किया है।
इन महान विभूतियों के द्वारा किये गए समता, सम्मान, सहकार और संघर्ष को आगे बढ़ाना ही छत्तीसगढ़ का कर्तव्य है। दोनो को उनके जन्मदिवस पर सादर नमन ..
मुख्यमंत्री ने ठाकुर प्यारेलाल सिंह की जयंती पर उन्हेें किया नमन
🔘#ठाकुर_प्यारेलाल_सिंह जी असहयोग आंदोलन के समय अपनी वकालत छोड़ दी और स्वतंत्रता आंदोलन में जुट गए.
🔘छत्तीसगढ़ में श्रमिक आंदोलनों के संस्थापक.
🔘भारत की पहली दीर्घावधि हड़ताल शुरू की जिसके परिणामस्वरूप मज़दूरों के कार्य के घंटे कम हुए. त्यागमूर्ति के उपाधि से सम्मानित. pic.twitter.com/UbIVM1wbL4
— Akashvani आकाशवाणी (@AkashvaniAIR) December 21, 2022
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, स्वर्गीय ठाकुर प्यारेलाल सिंह की 21 दिसम्बर को जयंती पर उन्हें नमन किया है। बघेल ने कहा है कि ठाकुर प्यारेलाल सिंह छत्तीसगढ़ में सहकारी आंदोलन के पुरोधा के रूप में जाने जाते हैं। वेे छात्र जीवन से ही स्वाधीनता आंदोलनों से जुड़े।
उन्होंने अत्याचार और अन्याय के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की और जन असंतोष को संगठित दिशा प्रदान की। राजनांदगांव में मिल मजदूरों को संगठित कर उन्हें कुशल नेतृत्व प्रदान किया। छत्तीसगढ़ में छात्रों को संगठित रूप से आंदोलनों से जोड़ने का श्रेय भी ठाकुर साहब को जाता है।
उन्होंने जन-जागरण के लिए भी कई काम किये। श्री बघेल ने कहा कि ठाकुर साहब ने न सिर्फ गरीबों की सेवा की बल्कि उनके अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष किया। छत्तीसगढ़ के इतिहास में अपने अमूल्य योगदान के लिए ठाकुर साहब हमेशा याद किये जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने पं सुंदरलाल शर्मा की जयंती पर उनके अमूल्य योगदान को किया याद
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाज सुधारक और प्रसिद्ध साहित्यकार स्व. पंडित सुंदरलाल शर्मा जी की जयंती पर सादर नमन।
वे किसानों के अधिकारों की लड़ाई के रूप में प्रसिद्ध कंडेल सत्याग्रह के प्रमुख सूत्रधार थे और अंधविश्वास के घोर विरोधी थे।
उनके जीवन मूल्य सदा प्रेरणा देते रहेंगे।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) December 21, 2022
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,समाज सुधारक और प्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय पंडित सुंदरलाल शर्मा की 21 दिसम्बर को जयंती पर उन्हें नमन किया है।
बघेल ने कहा है कि पंडित सुंदरलाल शर्मा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई राष्ट्रीय आंदोलनों से जुड़े और छत्तीसगढ़ में स्वाधीनता आंदोलनों की मजबूती और जनजागरण के लिए भरसक प्रयत्न किया।
वे किसानों के अधिकारों की लड़ाई के रूप में प्रसिद्ध कंडेल सत्याग्रह के प्रमुख सूत्रधार थे। उन्होंने सामाजिक चेतना की आवाज हर घर तक पहुंचाने का अविस्मरणीय कार्य किया।
सुंदरलाल जी ने छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में फैले अंधविश्वास, छुआ-छूत, रूढ़िवादिता जैसी कुरीतियों को दूर करने के लिए अथक प्रयास किया। बघेल ने कहा कि पंडित सुदरलाल शर्मा के जीवन मूल्य सदा प्रेरणा देते रहेंगे।