महारानी के देहावसान के बाद ब्रिटिश राजघराने में बदलाव
लंदन। महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय Queen Elizabeth II – ब्रिटेन पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली साम्राज्ञी का निधन हो गया है। ब्रिटेन पर 70 साल तक राज करने वाली महारानी का 96 वर्ष की आयु में स्कॉटलैंड के बालमोरल में निधन हुआ।
उन्होंने गुरुवार 8 सितंबर 2022 को दोपहर स्कॉटलैंड के एस्टेट में शांति के साथ अंतिम साँस ली। इस साल गर्मियों के मौसम में ज़्यादातर समय वो इसी एस्टेट में रहीं। महारानी के गुजरने के बाद उनके बेटे किंग चार्ल्स III ब्रिटेन के नए सम्राट King Charles III the new monarch of Britain होंगे।
1952 से शुरू हुआ था महारानी का सफर
एलिज़ाबेथ द्वितीय 1952 में ब्रिटेन की राजगद्दी पर बैठीं और वो अपने शासनकाल में व्यापक सामाजिक बदलावों की गवाह बनीं। उनके सबसे बड़े बेटे और अब ब्रिटेन के नए किंग चार्ल्स तृतीय ने कहा है कि उनकी प्यारी मां की मृत्यु उनके और उनके परिवार के लिए ‘बड़े दुख की घड़ी’ है और उनकी कमी को दुनिया भर में ‘शिद्दत से महसूस’ किया जाएगा।
उन्होंने कहा, हम एक लोकप्रिय शासक और एक बहुत प्यारी मां के निधन पर शोकग्रस्त हैं।
बकिंघम पैलेस के मुताबिक़ किंग चार्ल्स और उनकी पत्नी कैमिला-जो अब क्वीन कॉन्सोर्ट कही जाएँगी-वो शुक्रवार को लंदन लौट आएं हैं। गुरुवार को महारानी की सेहत को लेकर डॉक्टरों के चिंता जताने के बाद राजपरिवार के वरिष्ठ सदस्य बालमोरल में जुटना शुरू हो गए थे। डॉक्टरों के महारानी को निगरानी में रखने के बाद महारानी के सभी बच्चे एबरडीन के नज़दीक बालमोरल पहुंच गए। उनके पोते और अब ब्रिटेन के युवराज प्रिंस विलियम और उनके छोटे भाई प्रिंस हैरी भी वहाँ पहुँच गए।
प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस ने किया याद
प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस ने कहा कि महारानी वो चट्टान थीं जिसपर आधुनिक ब्रिटेन का निर्माण हुआ, जिन्होंने हमें वो स्थिरता और मज़बूती दी जिसकी हमें ज़रूरत थी। इसी मंगलवार 6 सितंबर को महारानी ने लिज़ ट्रस को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
नए राजा के बारे में बात करते हुए ट्रस ने कहा, हम उनके लिए ठीक वैसे ही अपनी वफ़ादारी और समर्पण का भाव रखेंगे, जैसे उनकी मां इतने लंबे समय तक, कितने ही लोगों के लिए समर्पित रहीं।
और दूसरे एलिज़ाबेथ युग के अंत के साथ, हम अपने महान देश के विशाल इतिहास के नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जो ठीक वैसा ही है जिसकी कामना महारानी ने की होगी, ‘गॉड सेव द किंग।’
लंबा कार्यकाल देखा महारानी ने
राजप्रमुख के रूप में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन ने द्वसरे विश्व युद्ध के बाद तंगहाली का दौर देखा, एक साम्राज्य का कॉमनवेल्थ में बदलना, शीत युद्ध का अंत और ब्रिटेन का यूरोपीय संघ में शामिल होना और फिर उससे अलग होना देखा।
उनके कार्यकाल में ब्रिटेन ने 15 प्रधानमंत्री देखे। 1874 में पैदा हुए विंस्टन चर्चिल उनके शासनकाल के पहले प्रधानमंत्री थे और मौजूदा प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस जो चर्चिल के जन्म के 101 साल बाद 1975 में पैदा हुईं। अपने समूचे कार्यकाल के दौरान महारानी हर सप्ताह प्रधानमंत्री से मिलती रही थीं।
निधन की घोषणा के बाद रोने लगे लोग
लंदन में बकिंघम पैलेस के बाहर महारानी की सेहत को लेकर ख़बर का इंतज़ार कर रहे लोग निधन की घोषणा के बाद रोने लगे। ठीक 6:30 बजे (ब्रिटिश समय), ब्रिटेन के राजनिवास पर लगा राष्ट्रध्वज यूनियन जैक आधा झुका दिया गया और महारानी के निधन की औपचारिक घोषणा करनेवाला नोटिस मुख्यद्वार के बाहर लगा दिया गया।
महारानी के निधन के बाद, प्रिंस विलियम और उनकी पत्नी कैथरीन ड्यूक और डचेस ऑफ़ केम्ब्रिज एंड कॉर्नवॉल बन गए हैं। आधिकारिक सूचना में लिखा गया: महारानी का आज दोपहर बालमोरल में शांतिपूर्वक निधन हो गया। किंग और क्वीन कॉन्सोर्ट आज शाम बालमोरल में रहेंगे और कल लंदन लौटेंगे।
परिस्थितिवश बनीं थी महारानी
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क्वीन एलिज़ाबेथ का जन्म 21 अप्रैल 1926 को लंदन के मेयफ़ेयर में हुआ था। उनका जन्म का नाम एलिज़ाबेथ एलेक्सांड्रा मैरी विंडसर था। किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि एक दिन वो ब्रिटेन की महारानी बनेंगी, लेकिन साल 1936 में उनके पिता के बड़े भाई एडवर्ड अष्टम ने अमेरिकी नागरिक और दो बार तलाकशुदा वालिस सिंपसन से शादी करने के लिए सम्राट का पद त्याग दिया था।
उनके बाद एलिज़ाबेथ के पिता अल्बर्ट राजगद्दी पर बैठे और तब दस साल की लिलिबेट राजगद्दी की उत्तराधिकारी बन गईं। एलिज़ाबेथ को परिवार में लिलिबेट ही कहा जाता था। इसके तीन साल बाद ही ब्रिटेन नाज़ी जर्मनी से युद्ध लड़ रहा था। एलिज़ाबेथ और उनकी छोटी बहन प्रिंसेज़ मारग्रेट ने युद्ध के दौरान अधिकतर समय विंडसर कासल में ही बिताया। उनके परिजनों ने राजकुमारियों को सुरक्षित कनाडा पहुंचाने के सुझावों को नकार दिया था।
टेरिटोरियल सर्विस में भी दी सेवा, भरा-पूरा था परिवार
18 साल की होने पर एलिज़ाबेथ ने ऑक्सिलरी टेरिटोरियल सर्विस के साथ पांच महीने काम किया और मोटर मैकेनिक का काम और गाड़ी चलाना सीखा। युद्ध के दौरान वो अपने दूर के कज़िन और प्रिंस फ़िलिप को पत्र भेजती रही थीं। ग्रीस के प्रिंस फ़िलिप रॉयल नेवी में सेवाएं दे रहे थे। दोनों के बीच रोमांस हुआ और इस जोड़े ने 20 नवंबर 1947 को वेस्टमिंस्टर एबे में शादी कर ली। प्रिंस फ़िलिप को ड्यूक ऑफ़ एडिनबरा का ख़िताब मिला। बाद में 2021 में प्रिंस फ़िलिप के 99 वर्ष की उम्र में निधन से पहले उनके बारे में महारानी ने कहा था, 74 साल की शादी के दौरान वो मेरी ताक़त और भरोसा थे।
उनके पहले बेटे, चार्ल्स का जन्म 1948 में हुआ था, इसके बाद 1950 में प्रिसेंज़ ऐन का जन्म हुआ, फिर 1960 में प्रिंस एंड्र्यू और 1964 में प्रिंस एडवर्ड पैदा हुए। इन सबने महारानी को आठ पोता-पोती और 12 परपोते-परपोती दिए।
केन्या से लौटीं और ताजपोशी हुई
साल 1952 में प्रिसेंज़ एलिज़ाबेथ बीमार सम्राट का प्रतिनिधित्व करते हुए केन्या में थीं जब उनके पति फ़िलिप ने उन्हें पिता की मौत की ख़बर दी थी. वो तुरंत नई महारानी के रूप में लंदन लौट आई थीं। बाद में इस बारे में महारानी ने कहा था, अचानक मिली इस ज़िम्मेदारी को सही तरीक़े से निभाने की चुनौती मेरे सामने थी।
27 साल की उम्र में एलिज़ाबेथ की वेस्टमिंस्टर एबे में 2 जून 1953 को ताजपोशी हुई थी. इस कार्यक्रम को दुनियाभर में दो करोड़ से अधिक लोगों ने टीवी पर लाइव देखा था. बहुत से लोग पहली बार लाइव टीवी देख रहे थे। अगले कुछ दशकों में बड़े बदलाव हुए, दुनियाभर में फैला ब्रितानी साम्राज्य सिमट गया और 1960 के दशक में ब्रिटेन के समाज में बड़े बदलाव हुए।
राजशाही में किए कई सुधार
राजशाही के लिए ये कम सम्मानजनक दौर था। इस दौरान एलिज़ाबेथ ने राजशाही में कई सुधार किए, वो आम लोगों के और क़रीब गईं और सार्वजनिक समारोहों में हिस्सा लिया। कॉमनवेल्थ के लिए वो निरंतर प्रतिबद्ध रहीं, उन्होंने हर कॉमनवेल्थ देश की कम से कम एक बार यात्रा ज़रूर की।
लेकिन उनकी ज़िंदगी में निजी और सार्वजनिक दुख-दर्द के दौर भी आए। 1992 में भीषण आग में विंडसर कासल बर्बाद हो गया। ये महारानी का निजी निवास और कार्यस्थल था। उनके तीन बच्चों की शादियां भी टूट गईं। 1997 में पेरिस में हुए एक कार हादसे में राजकुमारी डायना की मौत के बाद सार्वजनिक तौर पर इस बारे में बात न करने को लेकर महारानी की आलोचना भी हुई।
तख़्तपोशी की प्लैटिनम जुबली मनाई थी ब्रिटेन ने, अपने
परिवार के साथ बालकनी में आकर शामिल हुईं थी जश्न में
इसी साल जून में महारानी की हुक़ूमत की प्लैटिनम जुबली यानी 70वीं वर्षगांठ पर राष्ट्र के नाम एक धन्यवाद संदेश में उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया था।
महारानी की तख़्तपोशी की प्लैटिनम जुबली पर ब्रिटेन में तरह-तरह के सरकारी समारोह हुए जिनमें ब्रिटिश संस्कृति को दिखाया गया, साथ ही लोगों ने जगह-जगह स्ट्रीट पार्टी भी मनाई। हालांकि, महारानी अपने स्वास्थ्य की वजह से कई समारोहों में शामिल नहीं हो सकीं, लेकिन उन्होंने कहा, मेरी भावनाएं आप सबके साथ रही हैं।
उस दौरान बकिंघम पैलेस के सामने के पथ – द मॉल – पर बड़ी तादाद में लोग जुटे और महारानी भी तब समारोह के अंत में अपने परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ बकिंघम पैलेस की बालकनी पर आकर जश्न में शरीक हुई थीं।
किंग चार्ल्स III नए सम्राट के तौर पर संभालेंगे राजगद्दी
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के निधन के तुरंत बाद ब्रिटेन की राजगद्दी उनके उत्तराधिकारी और वेल्स के पूर्व प्रिंस चार्ल्स को बिना किसी समारोह के तुरंत मिल गई है। लेकिन नए सम्राट के रूप में ताजपोशी से पहले उन्हें कई व्यवहारिक और पारंपरिक नियमों से गुज़रना होगा। अब उन्हें किंग चार्ल्स तृतीय के रूप में जाना जाएगा। नए सम्राट ने राजगद्दी संभालते ही पहला फ़ैसला यही लिया है. वो चार्ल्स, फ़िलिप, ऑर्थर और जॉर्ज में से कोई भी एक नाम चुन सकते थे। ब्रितानी शाही परिवार में वो अकेले ऐसे नहीं है जिनका ख़िताब बदल जाएगा।
प्रिंस विलियम्स अब राजगद्दी के उत्तराधिकारी हैं लेकिन वो स्वतः ही प्रिंस ऑफ़ वेल्स नहीं बन जाएंगे। हालांकि, उन्हें तुरंत अपने पिता का ख़िताब ड्यूक ऑफ़ कॉर्नवॉल मिल जाएगा। उनकी पत्नी कैथरीन को अब डचेज़ ऑफ़ कॉर्नवॉल के रूप में जाना जाएगा। अब चार्ल्स की पत्नी, कैमिला को भी नया ख़िताब मिलेगा। उनका पूरा टाइटल अब क्वीन कंसॉर्ट होगा। सम्राट के जीवनसंगिनी के लिए इसी ख़िताब का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में एक दिन का शोक
ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के यूनाइटेड किंगडम की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 8 सितंबर 2022 को निधन हो गया। दिवंगत प्रतिष्ठित हस्ती के सम्मान में, भारत सरकार ने 11 सितंबर को देश भर में एक दिन का राजकीय शोक मनाने का निर्णय किया है।
राजकीय शोक वाले दिन, देश भर में उन सभी भवनों पर, जहां राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है, राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और उस दिन कोई आधिकारिक मनोरंजन की गतिविधि आयोजित नहीं होगी।