प्रोटोटाइप विकास के बाद आदेश का आश्वासन दिया है सेना ने
नई दिल्ली। भारतीय सेना स्वदेशी विकास के माध्यम से विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को लाने वाले “मेक प्रोजेक्ट्स” को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए कार्य कर रही है। फिलहाल जारी परियोजनाओं को और बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना ने अब पांच मेक II परियोजनाओं के परियोजना स्वीकृति आदेश (पीएसओ) Project Sanction Order (PSO) को मंजूरी दे दी है।
मेक II परियोजनाएं अनिवार्य रूप से उद्योग द्वारा वित्त पोषित परियोजनाएं हैं जिनमें प्रोटोटाइप के विकास के लिए भारतीय विक्रेताओं द्वारा डिजाइन एवं विकसित किए गए अभिनव समाधान शामिल हैं।
सफल प्रोटोटाइप विकास के बाद आदेश का आश्वासन दिया जाता है। जिन परियोजनाओं के पीएसओ को मंजूरी दी गई है, उनका ब्यौरा इस तरह से है-
300 हाई फ्रीक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड
रेडियो (एचएफएसडीआर) खरीदने की योजना
14 विकासशील एजेंसियों (डीए) को मेक II योजना के तहत फ्रीक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिज़ाइन रेडियो (एचएफएसडीआर) High Frequency Man Packed Software Defined Radio (HFSDR) के प्रोटोटाइप के विकास के लिए परियोजना स्वीकृति आदेश (पीएसओ) जारी किया गया है। प्रोटोटाइप के सफल विकास पर भारतीय सेना द्वारा 300 एचएफएसडीआर खरीदने की योजना है।
अत्याधुनिक, हल्के वजन वाले एचएफएसडीआर बढ़ी हुई सुरक्षा के साथ-साथ बढ़ी हुई डेटा क्षमता और बैंड विड्थ के माध्यम से लंबी दूरी का रेडियो संचार प्रदान करेगा। यह जीआईएस का उपयोग करके मानचित्र आधारित नेविगेशन के साथ ब्लू फोर्स ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे वास्तविक समय में स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ेगी।
ये रेडियो सेट फिलहाल इन्वेंट्री में मौजूदा एचएफ रेडियो सेटों की जगह लेंगे, जिनमें सीमित डेटा हैंडलिंग क्षमता और पुरानी पड़ चुकी तकनीक है।
ड्रोन किल सिस्टम काम करेगा दिन-रात
दूरस्थ संचालित विमान प्रणाली Remotely Piloted Aircraft Systems (RPAS/s) ने आधुनिक युद्धक्षेत्र को बहुत प्रभावित किया है, भले ही ड्रोन से संबंधित प्रौद्योगिकियां लगातार विकसित हो रही हैं। इस क्षेत्र में विश्व स्तर के उत्पादों को विकसित करने के लिए स्वदेशी उद्योग के पास पर्याप्त विशेषज्ञता है।
स्वदेशी ड्रोन रोधी पारितंत्र को और प्रोत्साहित करने के प्रयासों के तहत, भारतीय सेना ने प्रोटोटाइप के सफल विकास के बाद मेक II योजना के तहत ड्रोन किल सिस्टम के 35 सेटों की खरीद के लिए 18 विकासशील एजेंसियों (डीए) को परियोजना स्वीकृति आदेश (पीएसओ) को मंजूरी दी है।
यह परियोजना एमएसएमई/स्टार्ट-अप के लिए आरक्षित है। ड्रोन किल सिस्टम कम रेडियो क्रॉस सेक्शन (आरसीएस) ड्रोन/मानव रहित एरियल सिस्टम (यूएएस) के खिलाफ एक हार्ड किल एंटी ड्रोन सिस्टम है, जिसे दिन और रात दोनों समय सभी प्रकार के इलाकों में काम करने के लिए विकसित किया जा रहा है ।
गोला-बारूद पर बार-बार होने वाले खर्च को
कम करेंगे इन्फैंट्री ट्रेनिंग वीपन सिम्युलेटर
पैदल सेना प्रशिक्षण हथियार सिम्युलेटर (Infantry Training Weapon Simulator-IWTS) मेक II प्रक्रिया के तहत आईडब्ल्यूटीएस के 125 सेटों की खरीद के लिए प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए चार विकासशील एजेंसियों (डीए) को परियोजना स्वीकृति आदेश (पीएसओ) जारी किया गया है।
आईडब्ल्यूटीएस भारतीय सेना के साथ प्रमुख सेवा के रूप में पहली ट्राई-सर्विस मेक II परियोजना है। परियोजना एमएसएमई/स्टार्ट अप के लिए आरक्षित है। आईडब्ल्यूटीएस का उपयोग विभिन्न प्रकार के हथियारों पर युवा सैनिकों के निशानेबाजी कौशल को बढ़ाने के लिए किया जाएगा, यह युद्ध की स्थितियों के अनुरूप उपयोगकर्ता के अनुकूल ग्राफिक्स प्रदान करते हैं।
आईडब्ल्यूटीएस एक आधुनिक प्रशिक्षण सुविधा है, जो गोला-बारूद पर बार-बार होने वाले खर्च को कम करने के अलावा फायरिंग रेंज की उपलब्धता और खराब मौसम की चुनौतियों से भी निजात दिलाएगी। प्रत्येक आईडब्ल्यूटीएस किसी भी समय 10 कर्मियों के प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करेगा।
155 मिमी टर्मिनली गाइडेड मुनिशन (टीजीएम) के 2000 राउंड की होगी खरीद
मेक II योजना के तहत 155 मिमी टर्मिनली गाइडेड मुनिशन (टीजीएम) 155mm Terminally Guided Munition (TGM) के विकास के लिए छह विकासशील एजेंसियों (डीए) को परियोजना स्वीकृति आदेश जारी किया गया है। सटीक स्ट्राइक क्षमता के बिना भारतीय सेना की सूची में गोला-बारूद के वेरिएंट रखे गए थे।
इसलिए भारतीय सेना ने मिशन की उपलब्धि और न्यूनतम संपार्श्विक क्षति के लिए सुनिश्चित सटीकता और घातकता के साथ हाई वैल्यू टार्गेट्स के खिलाफ 155 मिमी टीजीएम के लगभग 2000 राउंड की खरीद करने की योजना बनाई है।
मीडियम रेंज प्रिसिशन किल सिस्टम (एमआरपीकेएस):
लोइटरिंग म्यूनिशन टेक्नोलॉजी में “आत्मनिर्भर” बनेगा हमारा देश
डीएपी 2020 के मेक-II श्रेणी के तहत एमआरपीकेएस का एक प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए 15 विकासशील एजेंसियों (डीए) को परियोजना स्वीकृति आदेश जारी किया गया है। इस प्रोटोटाइप के सफल विकास के बाद भारतीय सेना एमआरपीकेएस के 10 सेट खरीदेगी।
मीडियम रेंज प्रिसिशन किल सिस्टम (एमआरपीकेएस) Medium Range Precision Kill System (MRPKS) एक बार लॉन्च होने के बाद दो घंटे तक हवा में ‘लोइटर’ कर सकता है और 40 किमी तक की दूरी तक हाई वैल्यू टार्गेट्स को रीयल टाइम ढूंढ कर उन पर निशाना साध सकता है। आने वाले समय में हम देखते हैं कि हमारा देश लोइटरिंग म्यूनिशन टेक्नोलॉजी में “आत्मनिर्भर” देश के रूप में बदल रहा है।
43 परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही भारतीय सेना
भारतीय सेना पहले से ही पूंजी अधिग्रहण की मेक II प्रक्रिया के तहत जारी 43 परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है। 43 में से 17 परियोजनाओं को उद्योग से प्राप्त स्व-प्रेरणा प्रस्तावों के माध्यम से शुरू किया गया है, जिसने “मेक प्रक्रिया” में भाग लेने के लिए भारतीय रक्षा उद्योग में उत्साह और विश्वास पैदा किया है।
मेक II खरीद योजना ने विभिन्न प्रकार की हथियार प्रणालियों, गोला-बारूद और आधुनिक प्रशिक्षण प्रणालियों, जो वर्तमान में देश में उपलब्ध नहीं हैं, में उच्च स्तरीय प्रौद्योगिकी प्रणालियों के स्वदेशीकरण की प्राप्ति हेतु रक्षा उद्योग में डिजाइन और विकास को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया है।
फिलहाल जारी मेक II परियोजनाओं में तेजी लाने के अनेक उपायों के ठोस परिणाम सामने आए हैं। कुल 43 मेक II परियोजनाओं में से 22 अब प्रोटोटाइप विकास चरण में हैं, जो कि लागत के हिसाब से परियोजनाओं का 66% (27,000 करोड़ में से 18,000 करोड़ रुपये) है।