मुख्यमंत्री ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा-राज्य सरकार की
नीतियों से नक्सली अब छोटे से क्षेत्र में सिमट गए

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि नक्सली भारत के संविधान पर विश्वास व्यक्त करें, फिर उनसे किसी भी मंच पर बात की जा सकती हैै। मुख्यमंत्री 7 मई शनिवार को अपने भेंट-मुलाकात अभियान के तहत जिला सूरजपुर की प्रतापपुर विधानसभा में आयोजित प्रेसवार्ता में मीडिया कर्मियों के सवालों का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में राज्य सरकार की योजनाओं में आदिवासियों का दिल जीता है। अब वहां सड़के बनाने और कैम्प खोलने की मांग लोग कर रहे हैं। राज्य सरकार की नीति से अब नक्सली एक छोटे से क्षेत्र में सिमट के रह गए हैं।
नक्सलियों ने की शांति वार्ता की पेशकश, लेकिन
कुछ शर्तें रखीं, जानें क्या चाहते हैं नक्सली

जगदलपुर। बस्तर संभाग से बड़ी खबर सामने आ रही है। माओवादियों ने सरकार से शांतिवार्ता की पेशकश की है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) संगठन के दण्डाकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर शासन से सशर्त शांतिवार्ता की पेशकश की गई है। माओवादियों ने कहा है कि वे शांति चाहते हैं इसके लिए वे वार्ता को भी तैयार हैं लेकिन इससे पहले सरकार उनकी कुछ मांगों को पूरा करे तो वे शांतिवार्ता करेंगे।
बस्तर संभाग के नक्सली क्षेत्र में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) संगठन के दण्डाकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के नाम से यह विज्ञप्ति जारी की गई है। माओवादियों ने इसके जरिए सरकार पर कई आरोप भी लगाए हैं इसके साथ की शांतिवार्ता की पेशकश भी की है। माओवादियों ने कहा है कि हम संविधान को मानते हैं और शांतिवार्ता करना चाहते हैं। प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से माओवादियों ने सरकार पर दोगले पन का भी आरोप लगाया है।
शांतिवार्ता के लिए अनुकूल माहौल मिले
माओवादी संगठन भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (माओवादी) दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी द्वारा प्रवक्ता विकल्प के नाम से गुरुवार 5 मई 2022 को जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि हम शांतिवार्ता के लिए तैयार हैं बशर्ते वार्ता के लिए अनुकूल वातावरण निर्मित करने के तहत हमारी पार्टी, पीएलजीए, जन संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाया जाए। हमें खुलेआम काम करने का अवसर दिया जाए। हवाई बमबारी बंद की जाए, संघर्षरत इलाकों से सशस्त्र बलों के कैंपों को हटाकर फोर्स को वापस भेजा जाए। जेलों में बंद हमारे नेताओं को वार्ता के लिए रिहा किया जाए। इन मुद्दों पर अपनी राय स्पष्ट करें तो शांतिवार्ता की बात आगे बढ़ेगी।
माओवादियों को बदनाम करने की कोशिश
माओवादियों द्वारा जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा यह घोषणा करना कि भारत के संविधान को मानने और हथियार छोड़ने पर माओवादियों के साथ वार्ता के लिए वे तैयार हैं, बेमानी भरा व दोगलेपन का परिचायक है। एक तरफ हवाई बमबारी और दूसरी ओर वार्ता की पेशकश, यह दरअसल जनता को दिग्भ्रमित करने व माओवादियों को बदनाम करने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं हैं।
हवाई हमलों पर उठाए सवाल
माओवादियो ने कहा है कि गोली का जवाब गोली से देने की केंद्र सरकार की नीति पर सवाल उठाने वाले मुख्यमंत्री यह स्पष्ट करें कि हाल ही के हवाई हमले की उन्होंने क्यों सहमति दी? हाल ही की हवाई बमबारी से क्या यह साबित नहीं हो रही है कि अपनी ही जनता पर युद्ध में बघेल जी केंद्र की भाजपा सरकार के साथ सांठगांठ कर चुके हैं?
माओवादियों ने यह भी कहा कि बस्तर आईजी कह रहे हैं हवाई हमले नहीं हुए हैं, और यदि मुख्यमंत्री हवाई हमलों से इनकार करते हैं तो यह बताएं कि किस देश की सेना ने आकर बस्तर के जंगलों में हवाई बमबारी की थी।
झूठी मुठभेड़ व अवैध गिरफ्तारी बंद करे
माओवादियों द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि हमारे खिलाफ लाखों पुलिस, अर्ध-सैनिक एवं सैन्य बलों को तैनात कर, रोज गश्त अभियानों के नाम पर झूठी मुठभेड़ों, नरसंहार व अवैध गिरफ्तारियां कर जनता के जान-माल को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हमारी पार्टी, पीएलजीए, क्रांतिकारी जन कमेटियों के उन्मूलन अभियानों को संचालित करते हुए लगातार सशस्त्र बलों के नए-नए कैंप बैठाते हुए हमसे हथियार छोड़ने की बात कहना हास्यास्पद है।
किए जा रहे आदिवासियों पर हवाई हमलें
माओवादियो द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून के तहत ग्राम सभाओं के अधिकारों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। आदिवासियों को प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को रौंदते हुए बस्तर के आदिवासियों पर हवाई हमलें किए जा रहे हैं। दिन-रात उनके सिरों पर हेलिकॉप्टर, ड्रोन मंडराते रहते हैं। मआवादियों ने अपनी विज्ञप्ति में नया रायपुर में चल रहे किसान आंदोलन का भी जिक्र किया।
सरकारें इमानदारी से संविधान लागू करें
माओवादि संगठन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि सरकारों को हमें सविधान मानने के लिए कहने का नैतिक अधिकार तक नहीं है। पहले सरकारें संविधान को माने और उसे ईमानदारी से लागू करें। केंद्र की भाजपा सरकार तो संविधान की पीठिका की मूल भावनाओं जैसे संप्रभुता, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, लोकतंत्र जो कि कागजों तक ही सीमित हैं, को भी खत्म करने पर तुली हुई है।
माओवादी आंदोलन के खात्मे के लिए बघेल जी ने विश्वास, विकास और सुरक्षा के फार्मूले की बात कही है। यहां बघेल जी की बातों को जनता इस तरह समझे कि यह दरअसल देशी, विदेशी कॉरपोरेट घरानों का विश्वास जीतने, उनके विकास के लिए आवश्यक योजनाओं पर अमल करने व उनके आर्थिक व अन्यान्य हितों को सुरक्षा देने का फार्मूला है।
सरकार को तय करना है कि क्या करें
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) संगठन के दण्डाकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सरकार से शांतिवार्ता के लिये सशर्त पेशकश की गई है। माओवादी संगठन के साथ शांतिवार्ता सरकार से संबंधित मैटर है। आगे सरकार को तय करना है कि वह क्या करती है। उम्मीद है कि बस्तर क्षेत्र मे बहुत जल्द शांति स्थापित होगी और क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी।
सुंदरराज पी, आईजी बस्तर रेंज