मछली पालन से किसान रमेश को मिली आय की नयी राह
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नयी सरकार के गठन के बाद जनकल्याणकारी नीतियों ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए भी आमदनी बढ़ाने नए द्वार खोल दिए हैं। Farmer Ramesh got a new way of income from fish farming.
इसकी बानगी जांजगीर-चाम्पा जिले के बम्हनीडीह विकासखंड अंतर्गत ग्राम अफरीद के किसान परिवार में देखने को मिल रही है। यहां किसान रमेश कुमार श्रीवास ने परम्परागत खेती के इतर मछली पालन में संभावनाएं तलाशी और उम्मीद के मुताबिक सफलता भी पायी।
मछली पालन से आर्थिक समृद्धि की ओर कदम बढ़ाकर यह किसान परिवार अपनी दैनिक जरूरतों के अलावा दूसरी भौतिक सुविधाओं के सपने को भी पूरा कर रहा है।
राज्य में मत्स्य पालन को दिया गया है कृषि का दर्जा
गौरतलब है कि राज्य में नई सरकार ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिया है। मछली पालन के क्षेत्र में बेहतर संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए किसानों और ग्रामीणों को मत्स्य पालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे प्रदेश के कई हिस्सों में छोटे और मझोले किसान धान और गेंहू जैसी परम्परागत खेती के अलावा मछली पालन जैसे उपाय अपना रहे हैं। राज्य के साथ बाहरी राज्यों में अच्छा बाजार मिलने के कारण इन किसानों को बेहतर आमदनी भी हो रही है।
तालाब-डबरी निर्माण कराया गया मनरेगा के माध्यम से
कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन में जांजगीर-चांपा जिले में गौठान परिसर और उसके समीप तालाब, डबरी का निर्माण महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से कराया गया है। इन तालाबों, डबरियों से ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिले इसके लिए मछली पालन करने वाले समूहों को चयनित कर मछली बीज संचयन का कार्य किया जा रहा है। इससे महिलाओं, युवाओं, ग्रामीणों को स्वावलंबन के साथ आय वृद्धि का नया जरिया मिला है।
उल्लेखनीय है कि जांजगीर-चाम्पा कृषि प्रधान जिला है। यहां सर्वाधिक धान की पैदावार होती है। जिले में सर्वाधिक तालाब, डबरियां भी हैं, जिनका उपयोग करते हुए मछुवारा समितियों और स्व-सहायता समूहों को मछलीपालन के क्षेत्र में आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी कड़ी में जिले के बम्हनीडीह विकासखंड अंतर्गत ग्राम अफरीद के किसान रमेश कुमार श्रीवास मछली पालन कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार करने का प्रयास कर रहे हैं।
सुखदेव के तालाबों को देख मिली प्रेरणा
रमेश बताते हैं कि बिलासपुर जाते समय ग्राम अर्जुनी विकासखंड अकलतरा स्थित सुखदेव मण्डल के तालाबों में किये जा रहे मत्स्य पालन और उससे होने वाली आय से प्रभावित होकर उनमें भी मछली पालन करने की इच्छा जागृत हुई। इसके बाद उन्होंने मंडल से तकनीकी जानकारी ली और विकासखंड के मत्स्य निरीक्षक से सम्पर्क किया।
उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना अंतर्गत वर्ष 2021-22 में अपनी स्वयं की 0.953 हेक्टेयर भूमि में तालाब निर्माण कराया। मत्स्य विभाग द्वारा उनको दो लाख 66 हजार रुपये अनुदान दिया गया एवं इनपुट की राशि एक लाख 53 हजार सहित कुल राशि चार लाख 19 हजार रुपये प्रदाय की गई।
लगभग 4 लाख का शुद्ध लाभ, तालाब में ही तैयार होता है मछलियों का आहार
रमेश द्वारा कम्पोजिट कल्चर पद्धति के तहत मिश्रित मेजर कार्य (रोहु, कतला, मृगल) ग्रास कार्प, पंगेशियस कुल 12000 मत्स्य बीज का संचयन किया गया है। वे वैज्ञानिक पद्धति से मत्स्य आहार (प्लेक्टाँन) भी अपने तालाबों में ही तैयार करते हैं। सिर्फ फ्लोटिंग फीड बाजार से खरीदते हैं।
विगत 5 माह के दौरान तालाब में मछलियों का साइज औसतन लगभग 500-600 ग्राम हो गया है। मार्च-अप्रैल माह आने मछलियों का वजन औसतन एक किलोग्राम हो जाने के बाद लगभग 12,000 किलोग्राम उत्पादन अनुमानित है। इससे 110 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से लगभग 13 लाख रुपये का उत्पादन होगा।
उन्होंने बताया गया कि प्रति किलोग्राम मछली में 80 रुपये लागत की आधार पर उन्हें 3.80 लाख रूपए के शुद्ध आय का अनुमान है। आय का नया जरिया देने और उनके हौसले को सहयोग से आगे बढ़ाने का श्रेय वे छत्तीसगढ़ सरकार को दे रहे हैं।