देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत
जलवायु परिवर्तन के चलते विशेषज्ञों ने
हालात और खराब होने की जताई आशंका
नयी दिल्ली।भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यहां कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून सोमवार 16 मई को अंडमान निकोबार द्वीप समूह की ओर बढ़ गया। इससे चार महीने के बरसात के मौसम की शुरुआत का संकेत मिलता है जो मुख्य रूप से कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए अहम साबित होता है।
इस अच्छी खबर के बीच एक खतरे का संकेत यह है कि हमारा देश जलवायु परिवर्तन के बुरे दौर से गुजर रहा है। कृषि और अर्थव्यवस्था सहित आम जनजीवन में इसका पूरा असर पड़ेगा। विशेषज्ञ भी चेता रहे हैं कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन को लेकर हमारे देश में हालात और बिगड़ेगें।
अंडमान निकोबार में एक दिन
देरी से मानसून की शुरूआत
मौसम कार्यालय ने कहा कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह और आसपास के इलाकों में क्षोभमंडल के निचले स्तरों में दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के मजबूत होने के कारण बारिश हो रही है। अंडमान निकोबार द्वीपों पर मानसून की शुरुआत एक दिन देरी से हुई।
आईएमडी ने पहले कहा था कि 15 मई को इस क्षेत्र में मौसमी बारिश होगी। आईएमडी ने एक बयान में कहा, ‘‘दक्षिण पश्चिम मानसून के अगले 2-3 दिनों के दौरान दक्षिण बंगाल की खाड़ी के कुछ और हिस्सों, पूरे अंडमान सागर और अंडमान द्वीप समूह और पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।”
भारत के उत्तरी हिस्से रविवार को भीषण गर्मी की चपेट में रहे और सोमवार को राजस्थान के धौलपुर में अधिकतम तापमान 46.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उत्तर प्रदेश के बांदा में रविवार 15 मई को अधिकतम तापमान 49 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
कम से कम 16 शहरों में 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान दर्ज किया गया, सबसे अधिक धौलपुर (46.1 डिग्री), इसके बाद झांसी (45.6 डिग्री), नौगोंग (45.5 डिग्री), बठिंडा (45.1 डिग्री) और वाराणसी, पटियाला और सीधी (प्रत्येक में 45 डिग्री) का स्थान रहा।
मध्य पाकिस्तान पर एक पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से सोमवार और मंगलवार को जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गरज के साथ हल्की/मध्यम वर्षा, गरज के साथ हल्की/मध्यम वर्षा होने की संभावना है। मौसम कार्यालय ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अलग-अलग स्थानों पर ओलावृष्टि का भी पूर्वानुमान जताया था।
आईएमडी ने मानसून के एक जून की सामान्य शुरुआत की तारीख से पांच दिन पहले 27 मई को केरल में मौसमी बारिश के जल्दी आगमन का अनुमान जताया है। अगले पांच दिनों के दौरान लक्षद्वीप और उत्तरी तमिलनाडु तट पर चक्रवाती परिसंचरण की उपस्थिति से केरल, तटीय और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में कुछ स्थानों पर गरज/चमक/तेज हवाओं के साथ काफी व्यापक वर्षा होने की उम्मीद है।
मौसम कार्यालय ने कहा कि तमिलनाडु में सोमवार 16 मई से बुधवार 18 मई तक और अगले दो दिनों में लक्षद्वीप क्षेत्र में भारी बारिश की संभावना है। आईएमडी ने कहा कि बुधवार को तटीय और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में भी भारी वर्षा की संभावना है।
भीषण लू चल रही, पारा 49 पार हो चुका
इधर वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि उत्तर भारत में भीषण लू चलने, दिल्ली में तापमान 49 डिग्री सेल्सियस पार करने और पूर्वोत्तर में अचानक आने वाली बाढ़ समेत जलवायु परिवर्तन का असर बना रहेगा तथा आगे स्थिति और खराब होगी।
दिल्ली के दो मौसम केंद्रों में 49 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान और पड़ोस के गुरुग्राम में 48 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किए जाने के एक दिन बाद, विशेषज्ञों ने सोमवार 16 मई को मौसम के घटनाक्रम का विश्लेषण किया और गंभीर चेतावनी दी।
लगातार रहेगा देश में गर्मी का प्रकोप: रोमशू
पर्यावरणविद् और जलवायु वैज्ञानिक शकील अहमद रोमशू ने श्रीनगर से फोन पर साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘दक्षिण एशिया में ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के परिणामस्वरूप बढ़ते तापमान और गर्मी तथा आर्द्रता के स्तर के अधिक होने के कारण यह अनुमान है कि भारत में गर्मी का प्रकोप अधिक तीव्र, लंबे समय तक और लगातार रहेगा।”
कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रोमशू के अनुसार जलवायु परिवर्तन का एक संकेतक तापमान बहुत अधिक होने संबंधी घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति है। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी (हीट वेव) चरम स्थिति है और जलवायु परिवर्तन का प्रत्यक्ष संकेतक है।
तेज गति से हो रहा जलवायु परिवर्तन:कोल
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे के रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, ‘‘पिछले कुछ दशकों में जलवायु परिवर्तन तेज गति से हो रहा है और इसके निशान 2000 के दशक से वैश्विक मौसम के किसी भी एक दिन में देखे जा सकते हैं।
‘जेनरेशन जेड’ ने ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को हमेशा महसूस किया है।” राष्ट्रीय राजधानी में 1951 के बाद से इस साल दूसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा, जिसमें मासिक औसत अधिकतम तापमान 40.2 डिग्री सेल्सियस था। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख के पर्वतीय क्षेत्रों सहित उत्तर भारत के अन्य राज्यों में भी इस मौसम में सामान्य से अधिक तापमान दर्ज किया गया।
उत्तर भारत जहां उच्च तापमान से जूझ रहा है, वहीं केरल और लक्षद्वीप के कुछ हिस्सों में रविवार को भारी बारिश हुई। इसके अलावा, मौसम कार्यालय ने केरल के पांच जिलों के लिए ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है।
वहीं पूर्व में, असम का दीमा हसाओ जिला कई स्थानों पर अचानक आई बाढ़ और बड़े पैमाने पर भूस्खलन की चपेट में आ गया है, जिससे रेल और सड़क संपर्क बाधित हुआ है।
भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल में उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में औसत अधिकतम तापमान 122 साल में सबसे ज्यादा रहा है। सामान्य से 4.5 से लेकर 6.4 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा तापमान में ‘हीट वेव’ और 6.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर गंभीर ‘हीट वेव’ की स्थिति घोषित की जाती है।
कोल ने कहा कि स्थानीय मौसम के प्रभाव के बावजूद भारत-पाकिस्तान क्षेत्र में इस तरह की घटनाओं में वृद्धि का मूल कारण मानव निर्मित कार्बन उत्सर्जन से होने वाली ‘ग्लोबल वार्मिंग’ है।
धरती के औसत तापमान
में 1.2 डिग्री की वृद्धि: हरजीत
वैश्विक जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ हरजीत सिंह ने कहा कि धरती के औसत तापमान में पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल (सीएएन-आई) के वरिष्ठ सलाहकार सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि तापमान में बढ़ोतरी से लू, ज्यादा समय तक गर्मी का मौसम रहने, सर्दी का मौसम घटने जैसी स्थिति पैदा होगी।
विशेषज्ञों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन न केवल तापमान बढ़ा रहा है बल्कि मौसम के पैटर्न को भी बदल रहा है जो खतरनाक मौसम को और बढ़ा देता है।
‘ला नीना’ प्रशांत क्षेत्र में अपने
क्षेत्र का विस्तार कर रहा: मुर्तुगुड्डे
भारतीय उपमहाद्वीप पर ‘ला नीना’ के कारण कम दबाव से पश्चिमी हवाओं और मध्य पूर्व से भारत में गर्म हवा का टकराव हो रहा है। मैरीलैंड विश्वविद्यालय, अमेरिका में वायुमंडलीय और समुद्री विज्ञान विभाग के प्रोफेसर रघु मुर्तुगुड्डे ने कहा, ‘‘उत्तर-दक्षिण दबाव का पैटर्न भारत पर बना हुआ है, जिसमें ‘ला नीना’ प्रशांत क्षेत्र में अपने क्षेत्र का विस्तार कर रहा है। इसने निश्चित रूप से भारत के मौसम को प्रभावित किया है, जो 1998-2000 के दौरान भी देखा गया, जब ‘ला नीना’ तीन साल तक बना रहा था।”