एनएमसी के अधीन होगा बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशंस इन
मेडिकल साइंसेस,मंत्रालय से ड्राफ्ट रेग्युलेशंस जारी
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशंस (एनबीई) इन मेडिकल साइंसेस को समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है। इसकी जगह बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशंस इन मेडिकल साइंसेस (बीईएमएस) का गठन किया जाएगा। Union Health Ministry proposes to abolish National Board of Examinations (NBE) in Medical Sciences
यह बोर्ड एनएमसी के अधीन काम करेगा। इसके लिए मंत्रालय ने ड्राफ्ट रेग्युलेशंस जारी किए हैं जिन पर सुझाव मांगे गए हैं। अब तक नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) के आयोजन को लेकर डॉक्टर्स के बीच काफी असमंजस था। नए ड्राफ्ट से यह संकेत मिल रहे हैं कि नेक्स्ट का आयोजन भी बीईएमएस द्वारा करवाया जाएगा। Now new board for medical PG examinations, NBE will end
बता दें मौजूदा एनएमएसी एक्ट 2019 में बदलाव प्रस्तावित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीईएमएस को पांचवें ऑटोनॉमस बोर्ड के रूप में शामिल किया है। पूर्व में डीएनबी/एफएनबी पीजी कोर्सेस व संबंधित परीक्षाओं का संचालन एनबीई करवाता था।
वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा शिक्षा में 4 ऑटोनॉमस बॉडीज हैं -अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड, द पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड, मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड और एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड। अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसमें पांचवें बोर्ड के रूप में बीईएमएस के गठन का प्रस्ताव दिया है।
नेक्स्ट के आयोजन के अलावा डिप्लोमा, डिप्लोमेट, फैलोशिप पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमेट एंड फैलोशिप सुपर स्पेशलिटी कोर्सेस के संचालन के लिए जरूरी मापंदड निर्धारित करने की जिम्मेदारी बीईएमएस के पास होगी।
वहीं इन कोर्सेस से जुड़ी परीक्षाएं भी यही बोर्ड करवाएगा। डिप्लोमा, डिप्लोमैट और फैलोशिप क्वालिफिकेशन देने के लिए एग्जिट एग्जाम भी बीईएमएस को करवाना होगा। डिप्लोमेट और फैलोशिप क्वालिफिकेशंस के लिए डिग्री व डिप्लोमा भी यह प्रदान करेगा।
आईएमए स्टैंडिंग कमेटी ऑन जूनियर डॉक्टर्स के सदस्य डॉ. शंकुल द्विवेदी ने बताया, फिलहाल तीन स्तर पर काम होता है। चिकित्सा शिक्षा के संचालन के लिए तीन निकाय हैं। नियम, कायदों, मान्यता, अपेक्स रजिस्ट्रेशन, मेडिकल संस्थानों का संचालन, पॉलिसी निर्माण का काम एनएमसी के पास है।
वहीं पीजी एंट्रेंस एग्जाम्स, डीएनबी/एफएनबी के आयोजन से लेकर इनकी डिग्री अवॉर्ड करने का काम एनबीई के पास है। जबकि काउंसलिंग एमसीसी करवाती है। तीन स्तर पर काम होने से कामों की प्रक्रिया लंबी होती है।
नए बोर्ड के गठन से यह प्रक्रिया व्यवस्थित होगी। अलग-अलग मामलों में पहले निस्तारण की प्रक्रिया लंबी हो जाती थी क्योंकि अलग-अलग निकायों के बीच समन्वय की कमी रहती थी। अब एनएमसी के अधीन बीईएमएस आने से यह प्रक्रिया व्यवस्थित हो जाएगी। इस बदलाव से चिकित्सा शिक्षा का संचालन और भी बेहतर होगा।