इंडोनेशिया के एक आदिवासी समुदाय में है अनोखी प्रथा
जकार्ता। दुनिया में कई रहस्यमयी जनजातियां पाई जाती हैं जिनकी परंपराओं की हमेशा चर्चा होती है। दुनिया में रहने वाली आदिवासी प्रजातियां आज भी हजारों साल पुरानी परंपराओं का पालन करती हैं।
जहां लोग विकास और आधुनिकता को अपना रही हैं, ती वहीं आदिवासी जनजातियां अभी भी अपनी परंपराओं से जुड़ी हुई हैं। इनकी कुछ परंपराएं बेहद अजीबोगरीब होती हैं जिनके बारे में जानकर हैरानी होती है।
इसी कड़ी में हम आपको आज एक ऐसे ही समूह (Group) के बारे में बताएंगे जो इंडोनेशिया में रहता है। यहां पर लोग बच्चों (Child Death) की मौत के बाद उनके शव को पेड़ के तने में दफनाते (buried in tree) हैं। इस जगह पर शव को पेड़ के अंदर दफनाने की परंपरा है। इस समूह के लोग शव को दफनाने के लिए पेड़ के तने को खोखला करते हैं फिर उसमें शव को दफना देते हैं।
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आइए जानते हैं इस इंडोनेशिया (Indonesia) के इस परंपरा के बारे इंडोनेशिया के ताना तरोजा (Tana taroja) में इस परंपरा का पालन किया जाता है जो बेहद अजीबोगरीब है। यहां के निवासी बड़ों का अंतिम संस्कार आम तरीके से ही करते हैं, लेकिन बच्चों की मौत होने पर इस परंपरा का पालन करते हैं।
बच्चों की मौत से लोगों में शोक तो होता है, लेकिन वह अपने बच्चे को प्रकृति के साथ जोड़ते हैं। अपने बच्चे को प्रकृति के साथ जोड़ने पर लोग गर्व महसूस करते हैं। इंडोनेशिया के इस इलाके में बच्चों के शव को दफनाने के लिए लोग यह तरीका अपनाते हैं।
बच्चे के शव को दफनाने के लिए लोग पेड़ के तने को खोखला कर देते हैं। इसके बाद बच्चे के शव को कपड़े में लपेटकर पेड़ के तने में डाल देते हैं। इसकी वजह से शव धीरे-धीरे प्राकृतिक तरीके से पेड़ का ही हिस्सा बन जाता है। लोग बताते हैं कि ऐसे दुनिया से जाने के बाद पेड़ के रूप में हमेशा वहां रहता है। इस परंपरा का ताना तरोजा में पालन किया जाता है जो इंडोनशिया के मकास्सर से करीब 186 मील दूर स्थित है। अपने बच्चों को लोग पेड़ के तने में दफनाते हैं और पेड़ को अपना बच्चा समझते हैं।
पेड़ों के अंदर खोखली जगह को यहां रहने वाले लोग बनाते हैं। वह मानते हैं कि भले ही भगवान ने उनका बच्चा उनसे छीन लिया हो, लेकिन इस परंपरा की वजह से उनका बच्चा उनसे दूर नहीं जाता है। बच्चे हमेशा अपने मां-बाप के पास रहते हैं।