छत्तीसगढ़ में बीते तीन साल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने अनेक तरह के सरकारी प्रयास हो रहे हैं। इसी कड़ी में राज्य में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोगजार गारंटी) योजना के तहत हितग्राही समूह के लोगों के खेतों में तालाब और कुआं का निर्माण भी किया जा रहा है। खेतों में तालाब और कुआं बन जाने के ग्रामीण किसानों की सिंचाई जैसी समस्या का समाधान हो रहा है। जशपुर के मनोरा विकासखंड के ग्राम पंचायत सुरजूला की रहने वाली महिला किसान श्रीमती झलिया उन हितग्राहियों में से एक हैं, जिन्हें इस योजना का लाभ मिला है। अब श्रीमती झलिया के खेत में ही कुआं बन जाने के बाद सिंचाई के पानी के लिए उनकी चिंता दूर हो गई है। वहीं खेत में बने कुआं में पर्याप्त पानी की उपलब्धता के चलते महिला किसान झलिया परम्परागत फसल के बाद सब्जी-तरकारी की खेती कर रही हैं, जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ी है।
गौरतलब है कि जशपुर छत्तीसगढ़ का पठारी क्षेत्र है, जहां कई इलाकों में बारिश के अलावा बाकी मौसम में पानी की समस्या किसानों को सामने आती है। सुरजूला की महिला किसान झलिया भी इस समस्या से जूझती रही हैं। इस बीच उन्हें प्रशासनिक अमले से जानकारी मिली कि महिला किसान झलिया चाहें को अपने खेत में ही मनरेगा के तहत कुआं निर्माण करा सकती हैं। पानी की अनुपलब्धता की वजह से अपने पांच एकड़ खेत में बरसात आधारित फसल लेती रहीं झलिया के लिए यह योजना वरदान साबित हुई। उन्होंने मनरेगा की योजना का लाभ उठाते हुए खेत में ही कुआं का निर्माण कराया। अब खरीफ सीजन में धान का फसल लेने के बाद शेष मौसम में साग-सब्जी का उत्पादन झलिया कर रही हैं।
झलिया के पांच सदस्यीय परिवार के लिए सरकारी योजना नए उम्मीद बनकर आयी। अब परिवार के सदस्यों के पास घर पर ही रोजगार के अवसर हैं। खेत में निर्मित कुएं से अब 12 महीने पानी की उपलब्धता का लाभ उठाते हुए महिला किसान झलिया अब विभिन्न प्रकार की साग-सब्जी का उत्पादन करने लगी हैं। मौसमी सब्जी का उत्पादन होने से वह अपने आस-पास के हाट-बाजारों में सब्जियों का विक्रय कर रही हैं। इससे उन्हें परिवार के पालन पोषण के लिए आर्थिक रूप से अधिक सुदृढ़ हुई हैं। महिला किसान झलिया सरकारी योजना का लाभ मिलने के बाद से आमदनी बढ़ने के लिए जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद देती हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार की पहल ने उनके घर पर खुशहाली ला दी है।
रायपुर: मनरेगा से बना कुआं, लहलहाती फसल के लिए बना जीवनदायिनी
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