शांता शर्मा ने डिजाइन किए नए आभूषण, प्राचीन गहना
धरोहर दिवस हर साल 15 फरवरी को मनाने की मांग
रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्थानीय गहनों में वर्षों से चले आ रहे अरबी-फारसी सिक्कों की छाप की जगह छत्तीसगढ़ी व गोंडी संस्कृति की छाप देने भिलाई निवासी शांता शर्मा ने पहल की है। स्थानीय आभूषणों सुता, बंदा, रुपया माला व मोहर में उन्होंने अरबी-फारसी शब्दावली के विकल्प के तौर पर नई शैली देते हुए छत्तीसगढ़ी-गोंडी की छाप देते हुए नई डिजाइन दी है। भिलाई की रहने वाली शांता शर्मा ने इसके साथ ही 15 फरवरी को हर साल छत्तीसगढ़ी प्राचीन गहना धरोहर दिवस के रूप म मनाए जाने की मांग है।
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बुधवार 15 फरवरी को शांता शर्मा ने नए डिजाइन किए सिक्कों व अन्य गहनों का रायपुर प्रेस क्लब में प्रदर्शन किया। शांता शर्मा का मानना है कि आधुनिक समय में प्राचीन संस्कृति परंपरा विलुप्त हो रही है और इसी को सहेजने के मकसद से उन्होंने डिजाइन बदलने व इसे प्रचारित करने का संकल्प लिया है। Initiative to give impression of Chhattisgarhi-Gondi instead of Arab-Persian in local jewelry
शांता ने अपने डिजाइन किए छत्तीसगढ़ी गहनों के सिक्कें में जय छतीसगढ़ महतारी लिखवाया है, इसमें 7 सितारें भी बने हुए हैं जो राज्य की महान महिलाओं को समर्पित हैं, जिन माताओं ने राज्य के लिए सेवा दी, कौशल्या माता, कर्मा माता, मिनीमाता, अंवती बाई लोधी, रानी दुर्गावती, राजमोहिनी देवी, गायत्री देवी ये सितारें इनके लिए समर्पित है।
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वही गोंडी भाषा के सिक्कों के 7 सितारों में गुरुघासी दास, वीर नारायण सिंह, गुण्डाधुर, सुंदरलाल शर्मा, खूबचंद बघेल, ठाकुर प्यारेलाल, मदन लाल को समर्पित हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ और गोंडी भाषा में अंकित सिक्कों के निर्माण में मुख्य रुप से श्री ज्ञान गंगा ऊँ मूर्ति माला केंद्र के संस्थापक समाजसेवी प्रभु दयाल उजाला का योगदान रहा।
रायपुर प्रेस क्लब में बुधवार को छत्तीसगढ़ी और गोंडी भाषा में निर्मित इन गहनोंका लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गीतकार मीर अली मीर के साथ समाजसेवी डॉ. मानसिंह गुलाटी, प्रभु दयाल उजाला, साहित्यकार सुधा वर्मा और वरिष्ठ पत्रकार कमल शर्मा मौजूद रहे।
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इस मौके पर समाजिक और सांस्कृतिक और विशेषकर छत्तीसगढ़ी लोक पंरपराओं को आगे बढ़ाने में योगदान देने वाले पत्रकारों को सम्मानित किया गया। शांता शर्मा के कार्यों पर साहित्यकार सुधा शर्मा, पत्रकार कमल शर्मा, गजेंद्र रथ वर्मा, डॉ. वैभव बेमेतरिहा, डॉ. मानसी गुलहाटी व प्रभु दयाल ने प्रकाश डाला।
कवि मीर अली मीर ने कहा कि शांता शर्मा ने जो काम किया है वह ऐतिहासिक है। आज का दिन हम सबसे लिए गौरव का दिन है। छत्तीसगढ़ी संस्कृति गौरव पंरपंरा के लिए जो काम शांता कर रही है वह अतुलनीय है। मैं चाहुंगा छत्तीसगढ़ी गहनों पर किये उनके कामों की जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंचे और राज्य सरकार प्रोत्साहित करें।
कौन है शांता शर्मा ?
शांता भिलाई के बोडेगांव की रहने वाली है। जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सहेजने का प्रयास पिछले कई सालों से कर रही हैं। विलुप्त हो रहे छत्तीसगढ़ी गहनों को सहेजने के मकसद से शांता 2 संभागों की यात्रा भी कर चुकी है।
यात्रा के जरिये लोगो से मिलकर गहनों से परिचित कराती है राज्य की संस्कृति के प्रति लोगो को जागरुक करने का काम करती है। इसके अलावा शांता का समाज सेवा में भी कई योगदान है। गहनों को विलुप्त होने से बचाने के लिए यात्रा के जरिये वे अब तक 25 हजार सिक्कें भी बांट चुकी है।