22 साल से अदालत का चक्कर काट रहे अभियुक्त को मिली राहत
बिलासपुर। हिंदी दिवस पर मंगलवार 14 सितंबर को हाई कोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे ने 22 साल पुराने एक प्रकरण में हिंदी में सुनवाई की। साथ ही प्रकरण में हिंदी में ही आदेश जारी किया है।
प्रकरण की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कोर्ट ने 22 साल से अदालत का चक्कर काट रहे अभियुक्त को राहत दी है।
इसके साथ बंधक बनाकर छेड़खानी की सजा को यथावत रखा है। जबकि एट्रोसिटी एक्ट के तहत दी गई सजा से दोष मुक्त कर दिया है।
मामला महासमुंद के पिथौरा का
महासमुंद जिले के पिथौरा थाना क्षेत्र के बेचरापाली निवासी बाबूलाल नायक 1999 में 28 साल के थे। तब उनके खिलाफ पड़ोसी महिला ने बंधक बनाकर छेड़खानी करने का आरोप लगाया था।
इस प्रकरण में पुलिस ने उसके खिलाफ धारा 342, 354 व अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर कार्रवाई की।
इस दौरान वह करीब 25 दिनों तक जेल में रहा। इस बीच रायपुर के विशेष न्यायालय एट्रोसिटी में चालान प्रस्तुत होने पर विचारण चला। 29 जनवरी 2002 को निचली अदालत ने अभियुक्त पर दोषसिद्ध करते हुए सजा सुनाई।
इसके तहत धारा 342 के तहत छह माह का सश्रम कारावास एवं पांच सौ रुपये अर्थदंड, धारा 354 के तहत नौ माह सश्रम कारावास व एक हजार स्र्पये अर्थदंड के साथ ही एट्रोसिटी एक्ट के तहत सजा सुनाई।
निचली अदालत के फैसले
के खिलाफ गया हाईकोर्ट
इस फैसले के खिलाफ अभियुक्त ने हाई कोर्ट में अपील प्रस्तुत की। सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस रजनी दुबे ने अभियुक्त की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया है। कोर्ट ने आरोपित को धारा 342 व 354 के तहत दोष सिद्ध को सही ठहराया है।
जबकि एट्रोसिटी एक्ट की सजा से आरोपित को दोष मुक्त कर दिया है। इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने अभियुक्त की अपील को निरस्त कर दिया है।
28 की उम्र में अपराध, 50
की आयु में मिली राहत
कोर्ट के लिए विचारणीय सवाल आया कि दंडादेश के संबंध में की गई अपील स्वीकृत करने योग्य है या नहीं। प्रकरण का अवलोकन कर कोर्ट ने कहा कि 1999 की घटना है।
इस बीच अभियुक्त 25 दिन से अधिक समय तक अभिरक्षा में रह चुका है। जब उसने अपराध किया तब उसकी उम्र 28 वर्ष थी और अपीलार्थी 50 साल का हो गया है।
वह पिछले 22 साल से विभिन्न न्यायालयों में शारीरिक व मानसिक रूप से पर्याप्त प्रताड़ना झेल चुका है।
इसलिए उसके द्वारा जेल में बिताई गई सजा को कारावास अवधि के बराबर माना है। कोर्ट ने आरोपित को 25 दिनों की सजा से दंडित करते हुए जमानत पर छोड़ दिया है।