पैसों के विवाद में नए साल के पहले दिन मां-बाप को मारी थी गोली
दुर्ग।दुर्ग के चर्चित रावलमल जैन हत्याकांड में दुर्ग न्यायालय ने सोमवार 23 जनवरी को बड़ा फैसला सुनाया है। रावलमल व उनकी पत्नी की हत्या के मामले में उनके बेटे संदीप जैन को फांसी की सजा सुना दी गई है। सजा सुनते ही संदीप बेहोश होकर गिर गया।
जिसके बाद उसका इलाज कराया गया। इस कत्ल में मदद करने वाले दो अन्य आरोपी शैलेंद्र सिंह सागर और भगत सिंह गुरुदत्ता को 5-5 साल की सजा सुनाई गई है।
गीता, मनु स्मृति से लेकर परसाई की रचना तक का उदाहरण दिया फैसले में
इस मामले में जिला न्यायालय के विशेष न्यायधीश शैलेष तिवारी की कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। न्यायाधीश तिवारी ने अपने फैसले माता-पिता के प्रति पुत्र के दायित्व के और माता पिता के महत्व को प्रतिपादित करते हुए भगवत गीता, पद्म पुराण, मनु स्मृति, महाभारत व हरिवंश पुराण के विष्णु पर्व का वर्णन किया है।
वहीं हरिशंकर परसाई की कविता के अंश का भी उल्लेख किया है। हत्या में प्रयुक्त पिस्तौल की सप्लाई करने के आरोपी शैलेन्द्र सिंह सागर और भगत सिंह गुरुदत्ता को आर्म्स एक्ट के तहल 5-5 वर्ष के कारावास से दंडित किया गया है। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की और से विशेष लोक अभियोजक सुरेश प्रसाद शर्मा ने पैरवी की थी।
बेटे ने ले ली थी माता-पिता की जान
1 जनवरी 2018 को दुर्ग के नगपुरा में जाने-माने पार्श्व तीर्थ मंदिर के मुख्य ट्रस्टी और उनकी पत्नी सुर्जे बाई की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने जांच में पाया था कि उनके बेटे ने ही दोनों को गोली मारी है। रावलमल का शव खून से लथपथ जमीन पर और उनकी पत्नी सुर्जे बाई का शव चारपाई पर पड़ा है।
रावलमल को 2 गोलियां मारी गईं थी और सुर्जे बाई को 3 गोलियां लगी थीं। घर के पीछे गलियारे में एक सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल और प्लास्टिक पाउच में 24 गोलियां मिली थीं।
12 घंटे के भीतर हुआ था खुलासा
पूरी घटना के समय रावलमल और सुर्जे बाई के अलावा संदीप जैन ही था। संदीप पुलिस को बेडरूम में सोते हुए मिला। उसने पुलिस को बताया कि उसे कुछ नहीं पता।
इससे पुलिस को संदीप जैन पर शक हुआ। सख्ती से पूछताछ में संदीप ने जुर्म कबूल किया। इस तरह पुलिस ने हत्या के 12 घंटे के भीतर मामले का खुलासा करते हुए मृतक दंपती के 42 वर्षीय बेटे संदीप जैन को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा।
मां पिता से बेटे के प्रोफेशन को लेकर होता था झगड़ा
तत्कालीन आईजी दिपांशु काबरा ने खुलासे में बताया था कि संदीप जैन पेशे से एक कवि और फिटनेस ट्रेनर था। वह कवि सम्मेलन आयोजित करके घर के पैसे बर्बाद करता था। बेटे के पेशे को उसके माता पिता पसंद नहीं करते थे। इसलिए वह उसे दूसरा काम करने को कहते थे।
जिसको लेकर अक्सर झगड़ा होता था। आखिरकार संदीप ने अपने पिता को उनके जन्मदिन के दिन ही मौत के घाट उतार दिया। मां जब बीच में आई तो उसने उन्हें भी धक्का देकर गिरा दिया और फिर उनपर ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर दोनों की हत्या कर दी।
सागर से भगत सिंह पहुंचा था पिस्टल लेकर भिलाई
संदीप जैन ने अपने माता-पिता को मारने के लिए गुरुदत्त से 1 लाख 35 हजार रुपए में पिस्टल खरीदी थी। मध्य प्रदेश के सागर जिले से पिस्टल भगत सिंह लेकर आया था। उसने पिस्टल गुरुदत्त को दी। उसने संदीप को पिस्टल बेची। इसके चलते दोनों लोगों को आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था।
संदीप ने वीडियो में कबूला था अपराध
पुलिस के पास एक वीडियो था,यह वीडियो पुलिस द्वारा ही किसी अन्य तीसरे पक्षकार के सामने तैयार किया गया था। उसके सामने पूछताछ में संदीप ने हत्या की बात स्वीकारी।
हालांकि बाद में संदीप ने मीडिया के सामने आकर धोखा और साजिश किए जाने की बात कही। साथ ही हत्या की बात से ही इनकार कर दिया था।
2 बार और की थी मारने की कोशिश
पुलिस व सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संदीप ने पिस्टल खरीदने के बाद 2 बार पिता को मारने की कोशिश की। उसने दोनों ही प्रयास घर में रहने वाले चौकीदार के सामने की। उत्तम ने पुलिस को दिए अपने बयान में इस को लेकर संदेह भी जाहिर किया था।
घटना को अंजाम देने के लिए संदीप पूरी रात सोया नहीं था। संदीप घटना दिनांक की रात चार बजे घटना को अंजाम देने की कोशिश किया था लेकिन वह नाकाम हो गया। उसके बाद वह दुबारा दीवाल में छिपकर घटना को अंजाम दिया था।
जज ने कहा-कम सजा दिया जाना उचित नहीं..
प्रकरण पर विचारण पश्चात न्यायाधीश शैलेष तिवारी ने मुख्य अभियुक्त संदीप जैन को पिता व माता की हत्या के आरोप में दफा 302 के तहत अलग-अलग मृत्युदंड की सजा से दंडित किए जाने का फैसला दिया है।
साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 25 (1-ख) के तहत 5 वर्ष तथा धारा 27 (2) 10 वर्ष कारावास व कुल 4000 रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया। वहीं पिस्तौल की सप्लाई करने वाले शैलेन्द्र सिंह सागर व भगतसिंह गुरुदत्ता को आर्म्स एक्ट के तहत 5-5 वर्ष के कारावास व 1000-1000/- रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है।
310 पेज के फैसले में न्यायधीश इस हत्याकांड को कायरता पूर्ण कृत्य करार देते हुए लिखा है कि इस परिस्थिति में अभियुक्त को कम सजा दिया जाना उचित नहीं है। उन्होंने फैसले में में माता पिता के प्रति पुत्र के कल्लेव्य का उल्लेख भी किया है। प्रकरणं में अभियोजन पक्ष की और से कल 15 गवाह पेश किए गए थे।