अमेरिका की तकनीक का लाभ मिलेगा छत्तीसगढ़ को
धमतरी। अमेरिका के पास 90 के दशक से ऐसी टेक्नोलॉजी थी, जिससे गाय से सिर्फ बछिया (मादा वत्स) का जन्म होता था, जिसे सेक्स सॉर्टेड सीमेन टेक्नोलॉजी (लिंग वर्गीकृत वीर्य तकनीक) कहते हैं।
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वैसे तो जब भी कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है, उसमें नर एवं मादा उत्पन्न होने की संभावना 50-50 प्रतिशत होती है, किन्तु अब कृत्रिम गर्भाधान करने से शत्-प्रतिशत उन्नत नस्ल की बछिया ही जन्मेगी, जिससे दूध उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। Chhattisgarh got the option of producing only heifers through sex sorted semen technology
यह तकनीक पशुधन विकास विभाग द्वारा अब छत्तीसगढ़ के 26 जिलों में इस्तेमाल किया जा रहा है। धमतरी जिले में भी यह तकनीक आ गई है।
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उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. एम.एस.बघेल से मिली जानकारी के मुताबिक धमतरी जिले को लिंग वर्गीकृत वीर्य के सात हजार 419 डोज मिले हैं, जिसमें साहीवाल 1608, मुर्रा 1543, एच एफ 1328, जर्सी क्रॉस 1045, जर्सी शुद्ध और एचएफ शुद्ध 550-550, गिर 531 और रेडसिंधी 264 हैं।
योजना के क्रियान्वयन के लिए वर्गीकृत वीर्य के प्रति डोज की कीमत 675 रूपये है। इसमें से शासन द्वारा किसानों को 425 रूपये अनुदान दिया जा रहा है। इस तरह लिंग वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान कराने किसानों को मात्र ढाई सौ रूपये देना होगा। बताया गया है कि योजना के तहत ऐसे स्वस्थ पशुओं का चयन करना होगा, जो तीन बार बच्चे को जन्म दी हो।
लिंग वर्गीकृत वीर्य का उपयोग जिले के 64 उत्कृष्ट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता, जिनका कंसेप्शन रेट 40 प्रतिशत हो, के द्वारा किया जाएगा। डॉ.बघेल ने पशुपालकों से अपील की है कि लिंग वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान के लिए अपने क्षेत्र में स्थित पशु चिकित्सा संस्था से संपर्क कर योजना का लाभ उठाएं।