अपने आप में कई रहस्य समेटे है उत्तर कोरिया,
बाहरी दुनिया के लिए अजूबा है यहां के नियम
प्योंगयांग। दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं जो बेहद रहस्यमयी हैं। इन जगहों पर कई अनसुलझे सवाल हैं। इन सवालों के जवाब वैज्ञानिक अभी तक नहीं तलाश पाए हैं। इसके साथ ही दुनिया में कई ऐसी जगहे हैं जिनके बारे में जानकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं। इसके अलावा कई ऐसे देश हैं जहां पर अजीबोगरीब मान्यताए हैं जिनके बारे में जानकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं।
दुनिया के सभी देशों में अलग-अलग मान्यताए हैं। हर देश में अलग-अलग रीति रिवाज और रहन-सहन का तरीका बिल्कुल है।
कई ऐसे देश हैं जहां की अनोखी प्रथाएं प्रचलित हैं और इनकी हमेशा चर्चा की जाती है। कई बार इन वजहों से देश की प्रशंसा भी होती है और बुराई भी की जाती है। पूरी दुनिया में तानाशाह किम जोंग उन (Supreme leader Kim Jong-un) की वजह उत्तर कोरिया (North Korea) बदनाम है, लेकिन हम आज दक्षिण कोरिया की कुछ अनोखी मान्यताओं के बारे में बताएंगे जो बेहद हैरान करने वाली हैं।
दक्षिण कोरिया की इन मान्यताओं की वजह से पूरी दुनिया में उसकी बदनामी होती है। वहां के लोग कुछ अजीबोगरीब मान्यताओं का आज भी पालन करते हैं। आज हम आपको इस बारे में ही बताने जा रहे हैं। दक्षिण कोरिया में बच्चे को मां के गर्भ से बाहर आते ही एक साल का माना जाता है। इस देश में इसको लेकर कानून बनाया गया है जिसकी वजह से यहां रहने वाला हर आदमी अपनी उम्र से एक साल बड़ा है।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस देश में लाल स्याही का प्रयोग नहीं होता है, क्योंकि लाल रंग को यहां पर मौत का रंग माना जाता है। मौत की निशानी होने से लोग लाल स्याही का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
दक्षिण कोरिया में आज सबसे ज्यादा अंधविश्वासी लोग हैं। यहां किसी घर पर नंबर चार नहीं लिखा जाता है। चार को यहां के लोग मौत का नंबर मानते हैं। इसकी वजह से इसके इस्तेमाल करने पर रोक है।
इस देश के बारे में अब हम आपको ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। यहां पर ब्लड ग्रुप से यह पता लगाया जाता है कि कौन सा इंसान धोखेबाज है और कौन सा अच्छा आदमी है।
यहां पर रात भर कोई भी पंखा चलाकर नहीं सोता है। बताया जाता है कि अगर कोई रातभर पंखा चलाकर सो गया, तो उसकी मौत हो जाती है। अब आपको दक्षिण कोरिया के इन मान्यताओं के बारे में जानकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन पूरी तरह से सच है। वहां पर लोग इन मान्यताओं का आज भी पालन करते हैं।