बिल को मंजूरी मिली तो डिजिटल न्यूज साइट्स
का रजिस्ट्रेशन रद्द होगा और जुर्माना भी लगेगा
नई दिल्ली। मीडिया के पंजीकरण (Registration of media) के नए कानून में भारत में पहली बार डिजिटल मीडिया digital media को भी शामिल किया जा रहा है जो पहले कभी भी, किसी भी सरकारी नियमन (Government regulation) का हिस्सा नहीं रहा है।
इस बिल को यदि मंजूरी मिली तो डिजिटल न्यूज साइट्स को “उल्लंघन” के लिए कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है जिसमें रजिस्ट्रेशन को रद्द करना और जुर्माना शामिल है।
केंद्र सरकार ने शुरू की प्रक्रिया
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने Press and Periodicals Bill के पंजीकरण में संशोधन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है और इसके दायरे में किसी भी इलेक्ट्रानिक माध्यम (Electronic device) के जरिये डिजिटल मीडिया पर समाचार को भी शामिल किया है।
डिजिटल समाचार प्रकाशकों को रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना होगा और कानून लागू के 90 दिनों के भीतर ऐसा करना होगा। इसके साथ ही डिजिटल प्रकाशकों को प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जिसके पास उल्लंघन की स्थिति में विभिन्न प्रकाशनों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार होगा। वे रजिस्ट्रेशन को निलंबित या रद्द कर सकते है और जुर्माना भी लगा सकते हैं।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन होगा डिजीटल मीडिया
अधिकारियों के अनुसार, भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष के साथ एक अपीलीय बोर्ड की योजना बनाई गई है। बता दें, डिजिटल मीडिया अभी तक किसी भी कानून या विनियमन के अधीन नहीं रहा है। यह संशोधन डिजिटल मीडिया को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के नियंत्रण में लाएंगे.
सूत्रों के अनुसार, बिल को अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य हितधारकों ने ‘अप्रूव’ नहीं किया है। वर्ष 2019 में केंद्र ने एक मसौदा बिल पेश करते हुए डिजिटल मीडिया पर समाचार को डिजिटल प्रारूम में समाचार के रूप में परिभाषित किया था जिसे इंटरनेट, कंप्यूटर या मोबाइल नेटवर्क पर प्रसारित किया जा सकता है।
इसमें वीडियो, टेक्स्ट, ऑडियो और ग्राफिक्स शामिल है जिसके कारण काफी हंगामा हुआ था और इसे डिजिटल समाचार मीडिया को नियंत्रित करने के प्रयास के तौर पर देखा गया था।
डिजीटल मीडिया को नियंत्रित करने पहल
प्रेस और पत्रिकाओं का पंजीकरण विधेयक-द रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पेरियोडिकल्स बिल (The Registration of Press and Periodicals Bill) ब्रिटिश युग के प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट 1867 का स्थान लेगा जो देश में समाचार पत्र और प्रिंटिंग प्रेस को नियंत्रित करता है।
डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने व अखबार के बराबर मानने के लिए केंद्र सरकार एक बिल लेकर आ रही है। इस बिल को कानूनी मान्यता मिलने के बाद न्यूज पोर्टल को भी अखबारों की तरह पंजीकरण कराना आवश्यक हो जाएगा। अभी तक यह नियम सिर्फ समाचार पत्रों पर ही लागू है।
खत्म होगा 155 साल पुराना कानून
दरअसल, केंद्र सरकार 155 साल पुराने प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट को खत्म करने जा रही है। इसके स्थान पर ‘प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल बिल’ लाया जाएगा। यह बिल समाचार पत्रों के लिए नई व आसान पंजीकरण व्यवस्था होगी, इसके तहत डिजिटल मीडिया को भी लाने की तैयारी है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार मानसून सत्र के दौरान ही इस बिल को पेश कर सकती है।
जानकारी के मुताबिक, यह विधेयक प्रेस और पुस्तकों के पंजीकरण (पीआरबी) अधिनियम, 1867 The Press and Registration of Books (PRB) Act, 1867 की जगह लेगा। इसके तहत मध्यम व छोटे प्रकाशकों के लिए प्रक्रियाओं को सरल रखा जाएगा और प्रेस की स्वतंत्रता के मूल्यों को बनाए रखा जाएगा।
2019 में तैयार हुआ था मसौदा
सरकार ने 2019 में ही प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल बिल का मसौदा जारी किया था, जिसमें समाचार पत्रों के पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाने के अलावा डिजिटल मीडिया को अपने दायरे में लाने का प्रावधान है।
2019 के ड्राफ्ट बिल में ‘डिजिटल मीडिया पर समाचार’ को ‘डिजीटल प्रारूप में समाचार’ के रूप में परिभाषित किया था, जिसे इंटरनेट, कंप्यूटर, मोबाइल नेटवर्क पर प्रसारित किया जा सकता है। इसमें टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक्स शामिल हैं।