BJP may have to change the face of the PM: नईदिल्ली। लोकसभा नतीजों के शुरूआती रुझानों में INDIA गुट की लॉटरी लगती हुई दिख रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में INDIA ब्लॉक बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को जबरदस्त टक्कर दे रहा है। शुरुआती रुझानों में एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है, लेकिन बीजेपी को उत्तर प्रदेश में जोरदार झटका लगा है, जबकि कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन में काफी सुधार किया है। बीजेपी के ‘अबकी बार 400 पार’ का स्लोगन बेअसर नजर आ रहा है। अब तो कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी पीएम का चेहरा बदलने पर भी विचार कर सकता है।
आपको बता दें कि ममता बनर्जी के दूरी बना लेने, और नीतीश कुमार के एनडीए में चले जाने के बाद INDIA ब्लॉक काफी कमजोर नजर आ रहा थे लेकिन उसका प्रदर्शन उम्मीदों से ज्यादा उम्दा लग रहा है। ऐसा लग रहा है कि मोदी सरकार के प्रति लोगों में जो भी असंतोष रहा, विपक्षी गठबंधन उसे भुनाने में सफल हो गया है।
2019 के विपरीत विपक्ष इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को भुनाने में भी कुछ हद तक कामयाब लग रहा है और ये भी लगता है कि राम मंदिर उद्घाटन समारोह को लेकर विपक्षी नेताओं का स्टैंड राजनीतिक तौर पर सही था।
प्रधानमंत्री पद के लिए कोई चेहरा
ऐसा लगता है कि विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले अगर प्रधानमंत्री पद का कोई चेहरा पेश कर दिया गया होता, तो नतीजे काफी अलग भी हो सकते थे। वैसे विपक्ष की तरफ से कहा गया है कि चुनाव नतीजे INDIA के पक्ष में आये तो 48 घंटे के भीतर प्रधानमंत्री के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। हालाकि सरकार को एनडीए की बनती दिख रही है लेकिन कहीं ऐसा न हो जाए कि बीजेपी को मोदी की जगह पीएम का चेहरा कोई और हो। हालाकि भाजपा नेताओं ने यह पहले से ही स्पष्ट कर दिया है कि पीएम मोदी ही होंगे लेकिन चुनाव परिणामों के बाद कुछ भी संभव है।
इसके साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि आखिर विपक्ष की इस जीत और बीजेपी के पिछड़ने के कारण क्या हैं?
1. चल गया विपक्ष का नैरेटिव
चुनाव प्रचार के दौरान नैरेटिव तो दोनों तरफ से सेट करने की कोशिश हुई, लेकिन ऐसा लगता है विपक्ष आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने की बात को मुद्दा बनाने में काफी सफल रहा। पीएम मोदी ने विपक्ष के नैरेटिव को अपनी स्टाइल में न्यूट्रलाइज करने की कोशिश की, लेकिन लगता है लोगों को ‘ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले’, ‘घुसपैठिये’ ‘मंगलसूत्र’ जैसे राजनीतिक कीवर्ड लोगों को पसंद नहीं आये।
2. क्षेत्रीय दलों का दबदबा कायम
कुछ समय पहले एक सर्वे में बताया गया था कि बीजेपी को क्षेत्रीय दलों से कड़ी चुनौती मिल सकती है, और देश भर में ऐसी 200 से ज्यादा सीटें बताई गई थीं। रुझानों में भी यही संकेत मिल रहे हैं। जिनमें सबसे ज्यादा असरदार यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, तमिलनाडु में डीएमके और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस नजर आ रहे हैं। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना मजबूत नजर आ रही है।
3. इंडिया गठबंधन की तरफ गए मुस्लिम वोटर
वहीं मुस्लिम वोटों को लेकर सर्वे सही लग रहा है, ये तो साफ साफ लग रहा है कि INDIA ब्लॉक को सबसे ज्यादा वोट मुस्लिम समुदाय से मिला है।
4. युवा चाहते थे बदलाव और जल्द नतीजे
एग्जिट पोल में युवाओं का भी खासतौर पर जिक्र आया था। ये पाया गया था कि बीजेपी के ज्यादातर वोटर 35 साल से ज्यादा उम्र वाले हैं, लेकिन युवाओं का दो वर्ग 18-25 और 25-35 उम्र वर्ग के वोटर बदलाव और जल्द रिजल्ट चाहते हैं और उनका वोट लगता है INDIA ब्लॉक को ही मिला है।
5. चल गई कांग्रेस की न्याय स्कीम
इस बार कांग्रेस की न्याय स्कीम चल गई, न्याय योजना तो राहुल गांधी ने 2019 में भी लाये थे, लेकिन समझा नहीं पाये । इस बार उसमें कुछ एड-ऑन फीचर जोड़ दिये गये, और वे काम कर गये। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस की तरफ से ‘5 न्याय, 25 गारंटी’ का वादा किया था, और तभी से पूरे चुनाव कैंपेन में कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर जोर दिया – जिसमें युवा न्याय के तहत ‘पहली नौकरी पक्की’ और महिला न्याय के तहत ‘महिलाओं के खाते में एक लाख रुपये’ का वादा भी असरदार साबित हुआ है।