यूरोपियन अंधविश्वास, जो आज भी
चलता है भारत सहित पूरी दुनिया में
नई दिल्ली। भारत के बड़े-बड़े शहरों में एक से एक ऊंची इमारतें (tall buildings) बनी हुई हैं। अगर आप इन इमारतों में गए होंगे तो वहां आपने ध्यान दिया होगा कि वहां पर 12वीं मंजिल के बाद 13वीं मंजिल नहीं (No 13th floor after 12th floor) होती, बल्कि 12 वीं के बाद सीधे 14 वीं मंजिल (14th floor directly after 12th) होती है। इतना ही नहीं, लिफ्ट में भी अगर आपने नोटिस किया होगा तो उसमें 13 वीं मंजिल नहीं होती।
चलिए हम जानने की कोशिश करते हैं कि बड़े-बड़े अपार्टमेंट्स, होटल्स और बिल्डिंग्स में 13वीं मंजिल क्यों नहीं होती। इस कदम का हमारे देश से कोई लेना-देना नहीं है। यह एक अंधविश्वास है कि 13 वां नंबर अनलकी होता है, जो पश्चिमी देशों से हमारे भारत में फॉलो किया जाने लगा है।
आखिर बिल्डिंग में क्यों नहीं होता 13वां फ्लोर?
बिल्डर्स भी जानते हैं कि लोग 13 नंबर को अपशकुन (People consider number 13 as bad omen) मानते हैं, जिससे उस फ्लोर पर फ्लैट की खरीदारी की संभावना कम हो जाती है और लोग ऐसी बिल्डिंग में रहना पसंद नहीं करते हैं।
इसी विश्वास के चलते भारत के ज्यादातर अपार्टमेंट्स और बिल्डिंग में 13वें फ्लोर नहीं होते और अगर 13वीं मंजिल होती भी है तो वह रेजिडेंशियल नहीं होता। उस फ्लोर पर प्ले हाउस या एक्टिविटी एरिया बना दिया जाता है।
या फिर 12वीं मंजिल के बाद 13वीं मंजिल के बजाय 12ए या 12बी नाम रख दिया जाता है। ऐसा बिल्डर अपनी मर्जी से नहीं करते, बल्कि लोगों का अंधविश्वास है, जिसकी वजह से कोई वहां रहना नहीं चाहता। यही वजह है कि लिफ्ट में भी 13वीं मंजिल का ऑप्शन नहीं होता।
इसके पीछे की वजह है चौंकाने वाली
13वीं मंजिल का खौफ लोगों को सैकड़ों सालों से है. इसकी शुरुआत कब से हुई, यह कहना तो मुश्किल है, लेकिन इसके कई कारण बताए गए हैं। इसके पीछे ‘शुक्रवार 13’ से भी जोड़ा गया है। 15वीं शताब्दी की ‘रात का आखिरी भोजन’ (the last supper) पेंटिंग लियानार्डो द विंची ने बनाई थी। इसमें दिखाया गया है कि रात के आखिरी खाने में, जिसे द लास्ट सपर कहा गया है; उसमें जिसे 13वें नंबर पर बैठना था वो थे जूडस या जीसस क्राइस्ट और ये दोनों ही सूली पर चढ़ा दिए गए थे। यह एक कारण हैं, जिसे 13वें नंबर को अनलकी समझते हैं।
विदेशों में कुछ ऐसी थी मान्यताएं
कुछ लोग इसलिए भी 13वें नंबर को अनलकी समझते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ‘द लास्ट सपर’ 13वीं तारीख को खाया गया था, जिसके बाद जिसस क्राइस्ट को सूली पर चढ़ा दिया गया। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि जिसस क्राइस्ट को जिस दिन सूली पर चढ़ाया गया वो दिन 13वीं तारीख था।
पहले के समय जब फांसी होती थी तो उसके स्टेज तक पहुंचने के लिए कम से कम 13 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती थी। जिन लोगों के नाम 13 अक्षर होते थे, उनको शापित माना जाता था।
कुछ देशों में ऐसा आज भी माना जाता है कि अगर शुक्रवार 13 तारीख को, जिसे ‘फ्राइडे 13’ कहा जाता है; दुकान खुली या कोई बिजनेस किया तो उसके बहुत बड़ा घाटा हो सकता है।
यही कारण हैं, जिसकी वजह से लोगों में 13 नंबर को लेकर अंधविश्वास फैल गया और लोग 13वें नबंर से दूरी बनाने लगे और इसका असर आज भी देखा जा सकता है। पश्चिमी देशों से आए इस अंधविश्वास को भारत में भी लोग मानते हैं।