छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण
(संशोधन) विधेयक 2022 पारित, कई बदलाव किए
रायपुर। शहरों की बढ़ती आबादी, वाहनों की बढ़ती संख्या और यातायात की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए राज्य शासन ने शहरी क्षेत्रों में पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ अनाधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम 2002 Chhattisgarh Regularization of Unauthorized Development (Amendment) Bill 2022 में संशोधन करते हुए अब कड़े प्रावधान किए हैं।
इन प्रावधानों का उद्देश्य पार्किंग के लिए निर्धारित स्थलों पर अन्य निर्माण को हतोत्साहित करना तथा पार्किंग व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखना है। अधिनियम में यह संशोधन छत्तीसगढ़ अनाधिकृत विकास का नियमितिकरण (संशोधन) विधेयक 2022 के अनुसार किए गए हैं।
इस आशय की अधिसूचना का प्रकाशन नवा रायपुर अटल नगर आवास एवं पर्यावरण विभाग मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ राजपत्र में 27 जुलाई 2022 को कर दिया गया है। अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि यदि अधिकृत विकास निर्धारित पार्किंग हेतु आरक्षित भू-खण्ड/स्थल पर किया गया है, तो नियमितिकरण की अनुमति तभी दी जाएगी जब आवेदन द्वारा पार्किंग की कमी हेतु निर्धारित अतिरिक्त शास्ति राशि का भुगतान payment of additional penalty amount कर दिया गया हो।
जारी अधिसूचना के अनुसार विधेयक में छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम 2002 के मूल अधिनियम की धारा 04 की उपधारा (2) के खण्ड (पांच) को प्रतिस्थापित करके नगर तथा ग्राम निवेश विभाग का जिले का प्रभारी अधिकारी/संयुक्त संचालक/उपसंचालक/सहायक संचालक किया गया हैै।
अधिनियम के खण्ड(चार)(क) में निर्धारित प्रयोजन से भिन्न भूमि के उपयोग परिवर्तन करने पर उस क्षेत्र की भूमि के लिए वर्तमान में प्रचलित कलेक्टर गाइड लाइन दर की 5 प्रतिशत अतिरिक्त शास्ति (penalty) लगाने का प्रावधान किया गया है।
अधिनियम में कहा गया है कि 01 जनवरी 2011 के पूर्व अस्तित्व में आए निर्माण को लिया गया है। जिसमें ऐसे अनधिकृत विकास/निर्माण, जिनकी भवन अनुज्ञा/विकास अनुज्ञा स्वीकृति हो, अथवा ऐसे अनधिकृत भवन, जिसके लिए संबंधित स्थानीय निकाय में शासन द्वारा निर्धारित दर से संपत्ति कर का भुगतान किया जा रहा हो, ऐसे भवनों में, यदि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 अथवा संबंधित नगर के विकास योजना के अनुरूप पार्किंग उपलब्ध नहीं है, को शामिल किया गया है।
यहां पार्किंग हेतु निम्नानुसार अतिरिक्त शास्ति राशि दिये जाने पर, भवन का नियमितिकरण किया जा सकेगा। जिसमें पार्किंग में 25 प्रतिशत कमी होने पर प्रत्येक कार स्थान हेतु पचास हजार रूपये, 25 प्रतिशत से अधिक एवं 50 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु एक लाख रूपये, 50 प्रतिशत से अधिक एवं 100 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु दो लाख रूपये का प्रावधान किया गया है।
नए प्रावधानों के अनुसार 01 जनवरी 2011 अथवा उसके पश्चात् अस्तित्व में आये ऐसे अनधिकृत विकास/निर्माण, जिनकी भवन अनुज्ञा/विकास अनुज्ञा स्वीकृति हो, अथवा ऐसे अनधिकृत भवन, जिनके लिए संबंधित स्थानीय निकाय में शासन द्वारा निर्धारित दर से संपत्ति कर का भुगतान किया जा रहा हो, ऐसे भवनों में, यदि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 अथवा संबंधित नगर के विकास योजना के अनुरूप पार्किंग उपलब्ध नहीं है, तो पार्किंग हेतु अतिरिक्त शास्ति राशि दिये जाने पर, भवन का नियमितिकरण किया जा सकेगा। जिसमें पार्किंग में 25 प्रतिशत तक कमी होने पर प्रत्येक कार स्थान हेतु पचास हजार रूपये, 25 प्रतिशत से अधिक एवं 50 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु एक लाख रूपये का प्रावधान किया गया है।
अधिनियम के खण्ड (चार) में कहा गया है कि शमन योग्य पार्किंग की गणना Calculation of extinguishable parking इस प्रकार की जायेगी कि 500 वर्ग मीटर तक आवासीय क्षेत्र में पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर निरंक होगी।
वहीं 500 से अधिक क्षेत्र होने पर पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर 50 प्रतिशत होगी। गैर आवासीय क्षेत्र में पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर निरंक होगी जबकि 500 से अधिक क्षेत्र होने पर पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर 50 प्रतिशत होगी।
प्रावधान में कहा गया है कि (ग) ऐसी गैर लाभ अर्जन करने वाली सामाजिक संस्थायें, जो लाभ अर्जन के उद्देश्य से स्थापित न की गई हो, के अनधिकृत विकास के प्रत्येक प्रकरण में शास्ति प्राक्कलित राशि के 50 (पचास प्रतिशत की दर से देय होगा। छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 के नियम 39 में निर्धारित प्रावधान के अनुसार, मार्ग की चौड़ाई उपलब्ध नहीं होने के कारण, स्थल पर विद्यमान गतिविधियों में किसी प्रकार का लोकहित प्रभावित न होने की स्थिति में, नियमितीकरण किया जा सकेगा।
इसके अलावा मूल अधिनियम की धारा 7 की उप-धारा (1) के खण्ड (तीन) का लोप किया गया है। मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (2) में, शब्द ”अपील के लंबित रहने की अवधि में अपीलकर्ता अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जैसा कि प्राधिकारी द्वारा निर्धारित की जावे, नियमित रुप से जमा करेगा” के स्थान पर, शब्द ”अपील के लंबित रहने की अवधि में अपीलकर्ता द्वारा अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जो एक वर्ष से अनधिक अवधि का देय होगा, जैसा कि प्राधिकारी द्वारा निर्धारित की जाये, नियमित रूप से जमा करेगा। यह प्रावधान समस्त लम्बित एवं नवीन प्रकरणों पर प्रभावशील होगा” से प्रतिस्थापित किया गया है।
मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (3) के परन्तुक के स्थान पर, निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा ”परंतु अपील के लंबित रहने की अवधि में, अपीलकर्ता अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जैसा कि इस अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया गया हो, एक वर्ष से अनधिक अवधि के लिए जमा नियमित रूप से करेगा। यह समस्त लम्बित एवं नवीन प्रकरणों पर प्रभावशील होगा”।