मानपुर: 12 जुलाई 2009 का वो काला दिन जो भूले भुलाया नहीं जा सकता। इसी दिन जिले के नक्सल इतिहास में पुलिस बल पर नक्सलियों का सबसे बड़ा हमला हुआ था। घटना की शुरुआत इसी मदनवाड़ा थाना से हुई थी। जहां नक्सलियों के हमले से दो जवान शहीद हुए थे और बाद में ये संख्या 29 जवानों की शहादत तक पहुंच गई थी।
दरअसल, मदनवाड़ा थाना क्षेत्र में नक्सलियों के हमले से दो जवान शहीद हुए थे, जिसकी सूचना पर राजनांदगांव जिले के तत्कालीन एसपी व्ही.के चौबे जवानों के काफिले के साथ जिला मुख्यालय से घटना स्थल के रवाना हुए। पर बीच रास्ते में ही नक्सलियों के एम्बुश में फंस गए। नक्सलियों के एंबुश में फंसकर एसपी चौबे सहित 25 जवान शहीद हो गए थे। करीब 300 नक्सलियों ने थ्री लेयर बनाकर अंधाधुंध फायरिंग कर दी और ब्लास्ट से सड़क भी उड़ा दी, जिससे जवानों को मदद न मिल सके।
इसके बाद शुरू हुआ केवल जवानों के शव गिनने का सिलसिला। तब पूरी घटना को नक्सलीगढ़ कोरकोटटी और मदनवाड़ा के ग्रामीणों ने भी करीब से देखा था। जवानों के बिखरे शव से लेकर पुलिस की जद्दोजहद को देखी। वहां के पेड़ों में सालों तक गोलियों के निशान थे। वह चट्टान आज भी मौजूद हैं, जहाँ नक्सली छुपे हुए थे और गोलियां बरसा रहे थे।
तीसरी घटना में बैक कवर कर वापस लौट रहे जवानों पर घात लगाए नक्सलियों ने एकस पुल को बम से उड़ा दिया। जिसमें दो जवान शहीद हो गए । मदनवाडा थाना क्षेत्र अंतर्गत एक ही दिन में तीन अलग अलग जगह नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया जिमसें एसपी सहित 29 जवान शहीद हो गए।