वन अधिकार पट्टे से मिले ढाई एकड़ ज़मीन में
18 क्विंटल से अधिक हुआ मक्के का उत्पादन
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी योजनाएं किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। प्रदेश के छोटे किसान भी खेती-बाड़ी से बेहतर आय की प्राप्त कर रहे हैं। शासन की पहल और अपने मेहनत से किसान सफलता की नई-नई कहानी लिख रहे हैं। Salik Ram Dhruv’s family became financially empowered by the cultivation of maize.
प्रदेश के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। किसानों को नई फसल लेने हेतु कृषि विभाग द्वारा पहल कर उन्हें नगदी फसल और आधुनिक खेती से जोड़ा जा रहा है।
गरियाबंद विकासखण्ड अंतर्गत वनांचल में बसे ग्राम जैतपुरी के सालिक राम ध्रुव ने कृषि विभाग के प्रयास और परामर्श से शासन द्वारा मिले वन पट्टा का बेहतर उपयोग करते हुए उसमें मक्के की खेती कर रहे है। हालांकि इससे पूर्व वे धान बोते थे।
इस बार उन्होंने ढाई एकड़ के खेत में कृषि विभाग द्वारा मिले निःशुल्क मक्के का बीज (केएमएच-3426) लगाया था। इस खेती से उसने लगभग 18 क्विंटल मक्के का उत्पादन हुआ है। जिसमें से उन्होंने 8 क्विंटल से ज्यादा खुले बाज़ार में बेचकर अच्छा मुनाफ़ा पाया है। सालिक राम बताते है कि मक्के की क्वालिटी को देखकर आसपास एवं दूसरे जिले के व्यवसायी भी आकर मक्का खरीदते थे। इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ।
धान के बदले इस नई खेती से मिले आमदनी से उनका परिवार आर्थिक रूप से सशक्त हो रहा है। सालिक राम बताते है कि वे कृषि विभाग के सलाह से धान के बदले मक्के की खेती कर रहे है। इससे अच्छे आय की प्राप्ति हो हो रही है। कुल उत्पादन में से बचे लगभग 10 क्विंटल मक्के को अब वे राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत विक्रय करेंगे।
इससे उन्हें इस योजना का लाभांश भी मिलेगा। सालिक राम इस कार्य में अपने बेटे आत्माराम को भी खेती किसानी के गुर सिखा रहे है। अब दोनों साथ मिलकर किसानी कर रहे है। उनके पुत्र आत्माराम ने बताया कि मक्के की उपज अच्छी आई है, जिससे वे अधिक प्रोत्साहित हुए है। आने वाले साल में और अधिक उत्साह व मेहनत से खेती करेंगे।
आत्माराम ने कहा कि वे आसपास के किसानों को भी अन्य फसल लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। ताकि उन्हें भी आर्थिक रूप से आमदनी हो सके। सालिक राम ने मक्के की खेती के साथ ही मछली पालन और मशरूम उत्पादन भी कर रहें हैं। जिससे उनको अतिरिक्त आय की प्राप्ति हो रही है। सालिक राम और उसके बेटे आत्माराम ने मक्के की खेती से आर्थिक रूप से संबल बनाने के लिए राज्य सरकार, जिला प्रशासन और कृषि विभाग को धन्यवाद ज्ञापित किया।