130 वैगन में कोयला भरकर ऊर्जा संयंत्र
के लिए रवाना हुई लांग हाल मालगाड़ी
कोरबा। देश के ऊर्जा संयंत्रों में पिछले काफी समय से कोयला का संकट गहराया हुआ है। जिसके कारण रेल बोर्ड द्वारा विभिन्न रुट में चलने वाली कई यात्री गाड़ियों का परिचालन या तो रद्द कर दिया गया है अथवा उन्हें प्रभावित किया गया है। ऊर्जा संयंत्रों को कोयला संकट से उबारने कोरबा रेलवे भी अहम योगदान दे रहा है।
सामान्य दिनों में जहां कोरबा से विभिन्न राज्यों के संयंत्रों और उद्योगों के लिए 30 से 35 रेक कोयला का परिवहन किया जाता था वहीं अब यह बढ़कर 45 से 50 रेक से भी अधिक पहुंच गया है।
बिजली संयंत्रों को कोयला संकट से उबारने के लिए रेलवे द्वारा एनाकोंडा और वाशुकी से लेकर शेषनाग और लांग हाल मालगाड़ी में कोयला भरकर संयंत्रों तक पहुंचाया जा रहा है।
लांग हाल मालगाड़ी की खासियत यह है कि एक साथ हजारो टन कोयला इसमें लोड कर तय समय पर गंतव्य तक पहुंच जाता है। इतना ही नहीं दो से 5 किलोमीटर तक लंबी इस मालगाड़ी को एक साथ 2 से 4 ईंजन खींचने में कामयाब रहते हैं। जिसकी वजह से कम ईंधन और ऊर्जा खर्च कर रेलवे अपने राजस्व में भी अपेक्षित बढ़ोत्तरी कर रहा है।
कोरबा रेलवे से इस समय लगातार लांग हाल मालगाड़ी का परिचालन देश भर के विभिन्न बिजली संयंत्रों के लिए किया जा रहा है। इसी कड़ी में गुरूवार 5 मई को भी कुसमुंडा कोल साइडिंग से लगभग 3 किलोमीटर लंबी लांग हाल मालगाड़ी कोयला भरकर गुजरात के बिजली संयंत्र के लिए रवाना किया गया। इस मालगाड़ी में कुल 130 डिब्बे थे, जिनमें 16 हजार टन कोयला गुजरात स्थित बिजली संयंत्र के लिए गुरूवार को रवाना किया गया।
बढ़ाया गया परिचालन
बिजली संयंत्रों को कोयला संकट से उबारने के लिए रेलवे बोर्ड के निर्देशानुसार कोरबा से मालगाड़ियों का परिचालन बढ़ाया गया है, इसी के तहत लांग हाल मालगाड़ी भी चलायी जा रही है। इसमें एक साथ 16 हजार टन कोयला गंतव्य पहुंच रहा है।
-प्रभात कुमार, एआरएम, कोरबा