बिहान योजना से हो रहा पहाड़ी कोरवा एवं पण्डो परिवार का उत्थान
बलरामपुर। विकासखण्ड वाड्रफनगर और शंकरगढ़ मे संचालित बिहान योजनांतर्गत उत्थान परियोजना के माध्यम से पहाड़ी कोरवा और पण्डो समुदाय की महिलाएं स्व-सहायता समूह से जुड़कर स्वरोजगार प्राप्त कर अच्छे जीवन यापन की राह गढ़ रही है, क्षेत्र की महिलाओं में कौशल उन्नयन और व्यावसायिक गतिविधि भी जागृति हुई है। Upliftment of Pahadi Korva and Pando family is happening through Bihan Yojana
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा समाज के हर वर्ग तक न्याय पहुंचाने की रही है, खासकर ऐसे वर्ग जहाँ सरकार की बहुत सी योजनाओं का लाभ नही पहुंच पाया है योजनाओं को हितग्राहियों तक पहुंचाने हेतु छत्तीसगढ़ सरकार निरंतर नए प्रयास कर रही है।
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में जिला प्रशासन के द्वारा बिहान के तहत् चलाये जा रहे उत्थान परियोजना के माध्यम से विशेष पिछड़ी जनजाति अंतर्गत आने वाले पण्डो एवं पहाड़ी कोरवा समुदाय के लोगों और महिलाओं की उन्नति के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।
आधुनिकता की चकाचौंध जीवन से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत पहाड़ी कोरवा और पण्डो समुदाय के लोग सरल एवं सहज स्वभाव से जीवन यापन करते हैं। समय के साथ-साथ इनकी जनसंख्या भी कम होती जा रही है, इसलिए राज्य शासन द्वारा इन्हें संरक्षित और मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।
जिले में कलेक्टर विजय दयाराम के. के निर्देशन एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी रीता यादव के मार्गदर्शन में बिहान द्वारा संचालित उत्थान परियोजना के माध्यम से पहाड़ी कोरवा और पण्डो समुदाय वाले गांवों में उपलब्ध संसाधनों का आंकलन कर उचित प्रबंधन तैयार करके समुदाय के लोगों को स्थाई आजीविका उपलब्ध कराया गया है, जिसमें जैविक कृषि, मुर्गी पालन, बकरी पालन, सुअर पालन एवं किराना दुकान के संचालन के माध्यम से जीविकोपार्जन कर रहे हैं।
विकासखण्ड वाड्रफनगर में कुल 5 गांवों के लगभग 580 परिवार एवं विकासखण्ड़ शंकरगढ के 10 गांवों में लगभग 677 परिवारों को चिन्हांकित किया गया है, जिसमें कुल 4584 लोंगों को राशन, स्वास्थ्य, शिक्षा, बीमा और जाति प्रमाण पत्र समेत सभी शासकीय योजनाओें का लाभ दिलाने का कार्य किया जा रहा है साथ ही विशेष पिछड़ी जनजाति के परिवारों की सक्रिय महिलाओं को स्व-सहायता समूह से जोडकर इन्हें प्रशिक्षित भी किया गया है, ताकि वे वास्तविक परिस्थितियों के अनुरूप कार्य कर सकें और समुदाय की अन्य महिलाओं को आजीविका की आर्थिक गतिविधियों से जोडने का कार्य कर सकें।
ऋण लेकर मिनी राईस मिल के संचालन से महिलाएं ले रही अतिरिक्त लाभ
बिहान के माध्यम से विशेष पिछड़ी जनजाति की महिलाओं को स्व-सहायता समूह के द्वारा चक्रिय निधि के तहत 15 हजार, सामुदायिक निवेश कोष से 60 हजार तथा बैंक लिंकेज के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि वे अपना स्वरोजगार खुद चुन सकें।
विकासखण्ड वाड्रफनगर के ग्राम पंचायत विरेन्द्रनगर में संचालित सपना महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य रजमन ने बताया कि लोन के माध्यम से उन्होंने मिनी राईस मिल खरीदा, जिससे कुटाई-पीसाई के माध्यम से उन्होंने अभी तक 15 हजार रूपये की अतिरिक्त आय प्राप्त किया है और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं।
सक्रिय सदस्यों की अहम भूमिका
उत्थान परियोजना के तहत उसी समुदाय के सक्रिय सदस्य को लीडर नियुक्त किया जाता है, ताकि वह अपने समुदाय की जरूरतों के हिसाब से कार्य कर सके। ग्राम पंचायत विरेन्द्रनगर में पण्डों समुदाय के सी.आर.पी. हीरालाल पण्डों ने बताया की वे लगभग 119 परिवारों को प्रशिक्षित और जागरूक करने का काम कर रहे हैं और उन्हें पारम्परिक भोजन जैसे सामा, मेरो, और कुटकी जो कि विटामिन युक्त भोजन है उसे खाने लिए प्रेरित कर रहे हैं, साथ ही समुदाय के लोगों का आधार कार्ड, पहचान पत्र, पैन कार्ड बनवाने तथा उनका बीमा करने का कार्य कर रहे हैं।