परंपरागत ढंग से खेती-किसानी ले जुड़े कोनो विशेष परब या बेरा
ल ही अलग-अलग संस्कृति म नवा बछर के रूप म मनाए जाथे
सुशील भोले
हमर देश ल बहुभाषी बहुसंस्कृति वाले देश कहे जाथे, एकरे सेती इहाँ कतकों परब तिहार के रूप-रंग अउ चलन घलो बहुआयामी देखेब म आथे. ठउका इही बानी नवा बछर ल घलो इहाँ कतकों बेर मनाए जाथे.
वइसे जादा करके ए देखे म आथे, के खेती-किसानी ले जुड़े कोनो विशेष परब या बेरा ल ही अलग-अलग संस्कृति म नवा बछर के रूप म मनाए जाथे.
आजकल अंतर्राष्ट्रीय स्तर म 1 जनवरी ल ही नवा बछर के रूप म मनाए के जादा चलन देखे जावत हे, जेन ह असल म ईसाई धर्म के नवा बछर के शुरुआत आय. 1 जनवरी ल नवा बछर के रूप म मनाए के शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 ले होय रिहिसे. एकर तारीख के गिनती ह ग्रिगोरियन कैलेंडर के मुताबिक होथे.
हमर देश मूल रूप ले कृषि प्रधान देश आय. एकरे सेती इहाँ सबो डहर नवा बछर के उछाह कृषि आधारित ही होथे.
अक्ती छत्तीसगढ़ी नवा बछर.. हमर छत्तीसगढ़ म बैसाख महीना म अंजोरी पाख के तीज तिथि म अक्ती के रूप म नवा बछर मनाए जाथे.
इही दिन इहाँ खेती-किसानी ले जुड़े जम्मो कमइया संग पौनी-पसारी मनके नवा बछर खातिर नियुक्ति होथे. हमर इहाँ इहिच दिन इहाँ के खरीफ धान के बोवई के शुरुआत घलो होथे, जेला इहाँ के भाषा म ‘मुठधरई’ या ‘मूठ धरना’ कहे जाथे.
आवव जानथन अइसने अउ कब-कब इहाँ नवा बछर मनाए के परंपरा हे…
नवसंवत्सर
चैत महीना के अंजोरी पाख म एकम के दिन ल नवा बछर माने जाथे. एला हिन्दू धर्म के नवा बछर के रूप म घलो मनाए जाथे. इहाँ ए जानना जरूरी हे, के भारतीय कैलेंडर के गिनती सूर्य अउ चंद्रमा के आधार म होथे.
अइसे मान्यता हे के विक्रमादित्य के बेरा म सबले पहिली भारत म कैलेंडर या पंचाग के चलन शुरू होइस. एकर छोड़े 12 महीना के एक बछर अउ 7 दिन के एक हफ्ता के चलन ल घलो विक्रम संवत ले ही माने जाथे.
उगाडी
ए नवा बछर ल कर्नाटक अउ आंध्र प्रदेश म मनाए जाथे. एला तेलुगु नवा बछर घलो कहिथें. ए ह हमर हिन्दी के चैत महीना अउ अंग्रेजी के मार्च-अप्रैल के बीच म आथे.
गुड़ी पड़वा
चैत महीना के अंजोरी पाख म एकम के दिन गुड़ीपड़वा के तिहार ल मनाए जाथे. मराठी अउ कोंकणी लोगन एला नवा बछर के रूप म मनाथें. ए दिन गुड़ी ल घर के मुहाटी म लगाए जाथे.
बैसाखी
बैसाखी ल पंजाबी नवा बछर घलो कहे जाथे. एला 13 या 14 अप्रैल के मनाए जाथे. एकर मुख्य तिहार खालसा के जन्म स्थान अउ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर म मनाए जाथे. अब तो ए तिहार ल अमेरिका, कनाडा अउ इंग्लैंड के संगे-संग जिहां-जिहां खालसा पंथ ल मानने वाले मन रहिथें उहाँ-उहाँ मनाए जाथे.
पुथंडु
तमिल महीना Chithirai के पहली दिन, जे ह अप्रैल महीना के बीच म परथे, वो दिन तमिल नवा बछर मनाए जाथे. ए बेरा म लोगन एक-दूसर ल Puthandu Vazthukal कहिथें. ए दिन कच्चा आमा, गुड़ अउ लीम के फूल ले ए तिहार खातिर विशेष पकवान बनाये जाथे.
बोहाग बिहू
एला असामी नवा बछर के रूप म जाने जाथे. ए बोहाग बिहू परब ल अप्रैल महीना के बीच म मनाए जाथे. एला असम के सबले बड़का परब के रूप म मनाए जाथे.
पोहला बोईशाख
एला बंगाली नवा बछर घलो कहिथें. ए ह अप्रैल महीना के बीच म परथे. बंगाल म एला ‘पोहला बोईशाख’ कहे जाथे. ए ह बैशाख महीना के पहला दिन होथे. पोहला माने पहला अउ बोईशाख ह बंगाली कैलेंडर के पहला महीना आय. बंगाली कैलेंडर ह हिन्दू वैदिक सौर मास ऊपर ही आधारित हे. पश्चिम बंगाल के छोड़े त्रिपुरा के पहाड़ी क्षेत्र म घलो पोहला बोईशाख मनाए जाथे.
बेस्तु वर्ष
एला गुजराती नवा बछर कहे जाथे. गुजराती नवा बछर बेस्तु वर्ष कहे जाथे, एला देवारी बिहान दिन मनाए जाथे. मान्यता हे, के भगवान कृष्ण ह ब्रज म तेज बरखा ल छेंके खातिर गोवर्धन पहाड़ ल उठाय रिहिसे, वोकरे सेती ए दिन गोवर्धन पूजा करे जाथे. गुजराती नवा बछर के शुरुआत इही गोवर्धन पूजा के दिन ल माने जाथे.
विषु
केरल म मनाए जाने वाला नवा बछर ल ‘विषु’ के रूप म जाने जाथे. ए ह मलयालम महीना मेदम के पहिली तिथि म आथे. केरल म विषु उत्सव के दिन धान बोआई के बुता के शुरुआत होथे. विषु परब म सबले महत्वपूर्ण होथे- विषुकनी रसम, जेला घर के सबो झन निभाथें. एमा घर के सबो झन बिहनिया सबले पहिली अपन कुल देवी-देवता मनके दर्शन-पूजन करथें.
नवरेह
कश्मीरी नवा बछर नवरेह ल कश्मीर म नवा चंद्रवर्ष के रूप म मनाए जाथे. एला चैत नवरात के पहला दिन मनाए जाथे. नवरेह के तिहार ल कश्मीरी पंडित मन बड़ उत्साह के साथ मनाथें. नवरेह के बिहनिया सबले पहिली चाॅंउर ले भरे बर्तन ल देखथें. एला समृद्धि ले भरे भविष्य के प्रतीक माने जाथे.
हिजरी-इस्लामिक नवा बछर
इस्लामिक नवा बछर मुहर्रम के पहला दिन ले शुरू होथे. हिजरी चंद्रमा आधारित कैलेंडर आय. इस्लामिक धार्मिक परब तिहार मनला मनाए खातिर हिजरी कैलेंडर के ही इस्तेमाल करे जाथे.
संपर्क : सुशील भोले-9826992811