रायपुर। चैत्र नवरात्रि : छत्तीसगढ़ के आराध्य देवी मां बमलेश्वरी के धाम नवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना करते है। और दर्शन कर लोग अपनी – अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए देवी से प्रार्थना भी करते है। नवरात्री के नव दिन यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें लाखों की संख्या में लोग यहाँ आते है।
चैत्र नवरात्रि : छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में मां बमलेश्वरी का बड़ा धाम है। राजनांदगांव जिले में स्थित डोंगरगढ़ में पहाड़ियों पर विराजी मां का यह स्वरुप प्रदेश ही नहीं देश भर में बमलेश्वरी स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ राज्य की सबसे ऊंची चोटी पर विराजित मा का इतिहास काफी पुराना है वैसे तो साल भर यहां भक्तों का मेला लगा रहता है पर यह 9 दिन विशेष होते हैं। प्रदेश में धार्मिक पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र पुरातन कामाख्या नगरी भी कहलाती है पहाड़ों से घिरे होने के कारण इसे पहले डोंगरी और अब डोंगरगढ़ नाम से जाना जाता है यहां ऊंची चोटी पर विराजमान बगलामुखी मां बमलेश्वरी देवी का मंदिर छत्तीसगढ़ ही नहीं देश भर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। हजारों सीढ़ियां चढ़कर हर दिन मां के दर्शन के लिए कोने-कोने से श्रद्धालु यहां आते हैं और माता के दर्शन करते हैं।
चैत्र नवरात्रि : मंदिर से जुड़ी है कई कहानियां लोग के बीच व्यापत हैं कोई इस मंदिर का संबंध राजा विक्रमादित्य की नगरी उज्जैन से कहता हैं। तो कोई इसे इस नगरी और मंदिर को कामकंदला और माधवनल की प्रेम कहानी के लिए भी जाना जाता है।
कुछ कहानियों के अनुसार उज्जैन के राजा विक्रमादित्य और यहां के राजा मदानादित्य के बीच लड़ाई हुई जिसमे जीत के बाद भी विक्रमादित्य अपना प्रयोजन सिद्ध ना होता देखकर मां बमलेश्वरी की आराधना करने लगे लम्बी आराधन के बाद राजा जब प्राण त्याग करने को तत्पर हो गए तब देवी ने स्वयं प्रकट होकर अपने भक्तों को आत्मा घात से रोका तत्पश्चात विक्रमादित्य ने मां बगलामुखी से वरदान मांगा और अपने जागृत रूप में पहाड़ी में प्रतिष्ठित होने का आग्रह किया तब से मां बगलामुखी अपभ्रंश बमलेश्वरी देवी साक्षात महाकाली के रूप में डूंगरगढ़ में प्रतिष्ठित है।