रायपुर: Jhiram Ghati Naxal Attack देश के सबसे बड़े नक्सली हमलों में से एक झीरम घाटी घटना को 10 साल बीत चुके हैं। आज झीरम घाटी कांड के पूरे 10 साल हो गए। आज से ठीक 10 साल पहले 25 मई 2013 को बस्तर जिले के झीरम घाटी में देश के सबसे बड़े नक्सली हमला हुआ था। इस नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं समेत कुल 32 लोग शाहदत हुए थे।
Jhiram Ghati Naxal Attack 25 मई 2013, ये तारीख देश में कोई नहीं भूल सकता। कांग्रेस के लिए ये काले दिन की तरह है। 10 साल बाद भी इस हत्याकांड का रहस्य अनसुलझा है। कांग्रेस ने पिछले साल से ही इस दिन को झीरम घाटी शहादत दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की है।
खत्म हो गई थी कांग्रेस की लीडरशिप
आपको बता दें कि साल 2013 के आखिरी में छत्तीसढ़ में विधानसभा चुनाव होने को था। कांग्रेस 10 सालों से सत्ता से दूर था। लेकिन साल 2013 में कांग्रेस पूरा चुनाव जीतने की तैयारी में थी और इसी दौरान कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में परिवर्तन यात्रा निकालने का ऐलान भी किया था। 25 मई 2013 को सुकमा जिले में परिवर्तन यात्रा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर जा रहा था। 25 गाड़ियों में करीब 200 लोग थे। कांग्रेस नेता कवासी लखमा, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, महेन्द्र कर्मा, मलकीत सिंह गैदू और उदय मुदलियार समेत छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लगभग सभी शीर्ष नेता काफिले में शामिल थे।
इस तरह की गई 32 लोगों की हत्या
शाम को 4 बजे काफिला जैसे ही झीरम घाटी से गुजरा, तभी नक्सलियों ने पेड़ गिराकर रास्ता रोक दिया। कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही पेड़ों के पीछे छिपे 200 से ज्यादा नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद नक्सलियों ने एक-एक गाड़ी को चेक किया। जिन लोगों की सांसें चल रहीं थी उन्हें फिर से गोली मारी। जिंदा लोगों को बंधक बनाया। हमले में 32 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई।