रायपुर। Chaitra Navratri : नवरात्रि के चौथे माँ के दिन 9 रूपों में से चौथे स्वरुप मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कुष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी इन्हें सृष्टि की आदि स्वरूप आदिशक्ति माता माना जाता है माता कुष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं मां के शरीर की कांति ही सूर्य के समान है इसका तेज और प्रकाश से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है इनके साथ हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, अमृत पूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है आठवें हाथ में जपमाला है। सिंह पर सवारी करती है। माता के इस स्वरूप को भय, रोग, शोक दूर करने वाली देवी के रूप में भी पूजा जाता है।