रायपुर। केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को दिवाली से पहले ही सौगात दे दी थी। सरकार ने दिवाली से पहले 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाने का आदेश जारी कर दिया था। लेकिन छत्तीसगढ़ सहित अन्य चुनावी राज्यों में आचार संहिता लगने के चलते सरकार महंगाई भत्ता भुगतान का आदेश जारी नहीं कर सकती थी। ऐसे में भी दिवाली में कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
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हालांकि छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर महंगाई भत्ता पर फैसला लेने का आग्रह किया था, लेकिन चुनाव के चलते ये मामला पेंडिंग रह गया। वहीं, अब छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर केंद्र के समान महंगाई भत्ता भुगतान किए जाने की मांग की है।छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने निर्वाचन आयुक्त से पत्र लिखकर मांग की है कि नवंबर माह के मध्य में दिवाली का पर्व होने के चलते कर्मचारियों को अतिरिक्त व्यय वहन करना पड़ा और महीने के आखिरी में अब कर्मचारियों की जेब खाली हो गई है, जिसके चलते तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।
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फेडरेशन ने अपने पत्र में कहा है कि चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लगने के चलते सरकार की ओर से महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी के लिए निर्वाचन आयेाग को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। इसी बात को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश है। इसके साथ ही फेडरेशन ने निर्वाचन आयोग से मांग की है कि जल्द से जल्द कर्मचारियों के हित में फैसला लिए जाएं।
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गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 18 अक्टूबर को ही कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 4 प्रतिशत बढ़ोतरी करने का आदेश जारी कर दिया था। इसके साथ ही कर्मचारियों की डीए की नई दर 46% हो गई है। यह बीते 1 जुलाई से प्रभावी होगा। आपको बता दें कि पहली छमाही में केंद्रीय कर्मचारियों को 42% की दर से डीए मिल रहा था। सरकार के नए फैसले से 1 करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। इसमें 60 लाख से ज्यादा पेंशनर्स भी शामिल हैं।
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